18 जुलाई से शुरू होकर 16 अगस्त तक चलेगा मेला
राजगीर :आज से राजगीर में मलमास मेला शुरू हो रहा है. ऐसे में पर्यटन विभाग ने अपनी पूरी तैयारी कर ली है. ऐसी मान्यता है कि मलमास के दौरान 33 कोटि देवी-देवता राजगीर में ही प्रवास करते हैं. मलमास के दौरान देश में कहीं भी पूजा-पाठ और शादी समारोह आदि शुभ कार्य नहीं होता है. प्रशासन का ये अनुमान है कि इस एक महीने में करीब 50 लाख से अधिक लोग राजगीर पहुंचेंगे.पर्यटन विभाग ने राजगीर आने वाले श्रद्धालुओं को ठहरने के लिए 5000 क्षमता वाली टेंट सिटी का निर्माण कराया है. इसके अलावा राजगीर के 50 से अधिक बड़े होटल भी मलमास मेले के लिए तैयार है. इन होटलों में करीब 1000 से अधिक कमरे हैं. सोमवार से टेंट सिटी को आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा. मेला 18 जुलाई से शुरू होकर 16 अगस्त तक चलने वाला है.
*22 कुण्ड एवं 52 धाराओं में श्रद्धालु स्नान करेंगे*
पर्यटन सचिव अभय कुमार सिंह ने बताया कि सांस्कृतिक एवं धार्मिक रूप से मलमास महीना बहुत महत्वपूर्ण है. इस महीने पर बड़ी संख्या में लोग राजगीर आते हैं और पूजा-पाठ करने के बाद यहां की प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ मेले का आनंद उठाते हैं.kमेला परिसर की साफ-सफाई के लिए पूरी व्यवस्था है. राजगीर के विभिन्न स्थलों पर 48 ट्रैफिक पोस्ट बनाए गए है, ताकि लोगों को आने जाने में कोई परेशानी नहीं हो. साथ ही सूर्यकुंड परिसर में सीता कुंड, गणेश कुंड, सूर्य कुंड, चंद्रमा कुंड, अहिल्या कुंड, राम-लक्ष्मण कुंड की मरम्मत का कार्य पूरा कर लिया गया है. मलमास मेला के दौरान राजगीर में स्थित 22 कुण्ड एवं 52 धाराओं में श्रद्धालु स्नान करते हैं. सप्तधारा परिसर तथा ब्रह्मकुंड का जीर्णोद्धार मेला के पहले कराया गया था.
*राजगीर में आज से लग रहा मलमास मेला , एक माह तक आसमान में नहीं दिखेंगे काले कौए*
राजगीर में मलमास मेला का आयोजन तीन साल पर किया जाता है. कहा जाता है कि मलमास के दौरान राजगीर के गर्म जल कुंड में स्नान करने से सभी पाप खत्म हो जाते हैं. मलमास मेले को लेकर बिहार सरकार और जिला प्रशासन के द्वारा युद्ध स्तर पर कार्य किया जा रहा है. मलमास मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं. श्रद्धालु को कोई परेशानी न हो, इसके लिए हर सुविधा मुहैया कराया जाता है. पिछले दिनों खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने लाव लश्कर के साथ राजगीर पहुंच कर लगने वाले मलमास मेले का स्थल का निरीक्षण किया. आला अधिकारियों के साथ बैठक कर कई निर्देश भी दिए. वहीं, जिला प्रशासन के द्वारा लगातार राजगीर में बैठक की जा रही है. वहीं, इस मेला को लेकर कौआ से जुड़ी भी एक कहानी है.
*33 कोटि देवी-देवता राजगीर पहुंचते हैं*
कहा जाता है कि राजगीर में लगने वाले मलमास मेले का सबसे बड़ी खासियत यह है कि हिन्दू के 33 कोटि देवी-देवता राजगीर पहुंचते हैं और यहीं एक माह प्रवास करते हैं. मान्यता यह भी है कि लगने वाले मलमास मेला के समय देश में कहीं भी पूजा-पाठ और शादी समारोह और शुभ काम नहीं होता हैं. इस मलमास मेले में देश के कई हिस्सों से साधु संत भी यहां पहुंचते हैं, ऐसी मान्यता यह भी है कि मलमास मेले के ध्वजारोहण के समय मंत्र का जप करते समय पीले वस्त्र धारण किया जाता है. इससे लाभ प्राप्त होता है.
*राजा वसु ने राजगीर के ब्रह्मकुंड में जो यज्ञ का आयोजन किए थे*
सबसे बड़ी बात यह भी बताया जाता है कि राजगीर में जब से मलमास मेला का आज होता है. उसके बाद पूरे एक महीने तक राजगीर के आकाश में काले कौआ दिखाई नहीं देता है. बताया यह भी जाता है कि ब्रह्मा जी के मानस पुत्र राजा वसु ने राजगीर के ब्रह्मकुंड में जो यज्ञ का आयोजन किए थे तो उसमें सभी 33 करोड़ देवी-देवताओं को निमंत्रण दिया था, लेकिन काले काग को निमंत्रण देना भूल गए थे, यही कारण है कि काले कौआ मलमास मेले के दौरान पूरे एक महीने राजगीर के आकाश में दिखाई नहीं देते हैं.
*सज-धजकर तैयार हो गया है राजगीर*
मलमास मेला के दौरान राजगीर को दुल्हन की तरह सजा दिया जाता है. मनोरंजन के लिए सर्कस के साथ थियेटर की भी व्यवस्था की जाती है. इस दौरान रातभर थियेटर और सर्कस में श्रद्धालु मनोरंजन करते हैं. कहा जाए तो मलमास मेले में पूजा पाठ के साथ-साथ एक महीना मनोरंजन के लिए तरह-तरह के झूला भी लगाया जाता है. मलमास मेले में आने वाले श्रद्धालु राजगीर के इन महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल का भी लुफ्त उठा सकते हैं..