लगातार बढ़ रही है इस वायरल डिजीज से पीड़ित मवेशियों की संख्या सोनो में तेजी से फैल रहा है लंपी स्किन डिजीज

जमुई से सरोज कुमार दुबे की रिपोर्ट

जिले के सोनो प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत लंपी वायरस के बढ़ते प्रकोप से इनदिनों सोनो के पशुपालक परेशान हैं। पशुपालकों को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है कि वह इस पर वायरल डिजीज के उपचार के लिए कहां जाएं ?

प्रखंड के केवाली , बलथर, चुरहेत, सोनो, दहियारी, डुमरी,बटिया, भेलवा- मोहनपुर सहित विभिन्न क्षेत्रों में मवेशियों में होने वाला यह वायरल डिजीज तेजी से फैल रहा है। इस बीमारी से पीड़ित मवेशियों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

आलम यह है कि सोनो में लंपी स्किन डिजीज महामारी का रूप ले चुका है और इससे मवेशियों की मौत भी हो रही है। खासकर गाय, बैल,बछड़े में होने वाली यह एक वायरल डिजीज है जो तेजी से फैलता है। प्रखंड पशुपालन विभाग की माने तो प्रखंड के तकरीबन तीस फीसद मवेशी इस बीमारी से ग्रस्त हैं तथा यह आंकड़ा तेजी से बढ़ता ही जा रहा है। इस कारण पशुपालकों की परेशानी बढ़ गई है।

इस रोग से ग्रस्त पशु खाना नहीं खा रहे हैं। साथ ही उन्हें उठने, बैठने, चलने में भी दिक्कत हो रही है। वही पशु चिकित्सकों द्वारा लिखी दवाइयों का भी कोई असर उन मवेशियों पर नहीं हो रहा है। पशु चिकित्सक के मुताबिक दूध देने वाली गायों में अधिक संक्रमण देखने को नहीं मिल रहा है।इन गायों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। सर्वप्रथम 1929 में इस बीमारी के लक्षण पाए गए थे।इस बीमारी में मवेशी पहले खाना कम कर देता है।

नाक और मुंह से डिस्चार्ज होता है।कुछ मवेशियों के पैरों में सूजन आ जाता है। दुधारू गाय का अचानक दूध कम हो जाता है। पशुओं को उठने बैठने में परेशानी होती है। कुछ मवेशियों में शरीर पर गांठ निकल आता है और यह गांठ तीन सेंटीमीटर व्यास तक भी हो सकता है। गांठ से खून भी निकलता है। कभी-कभी इस बीमारी से ग्रस्त मवेशी की मौत भी हो जाती है।पशु चिकित्सक ने बताया कि इस बीमारी की अब तक कोई कारगर दवा भारत में उपलब्ध नहीं है। सावधानियां व घरेलू उपचार द्वारा इस बीमारी की रोकथाम की जा सकती है। उन्होंने बताया कि

यह तेजी से फैलने वाला एक संक्रामक बीमारी है इसलिए इस बीमारी से ग्रस्त पशुओं को दूसरे मवेशियों से अलग रखें। नीम के पत्तों को पानी में उबालकर, इस पानी में पोटेशियम परमैग्नेट मिलाकर पीड़ित पशुओं को धोने से फायदा होता है।कोनी का तेल पीड़ित पशु शरीर पर लगाएं। उन्होंने बताया कि नारियल के तेल में कपूर व पोटेशियम परमैग्नेट मिलाकर मालिश करने से भी फायदा मिलता है। पीड़ित पशु को ठीक होने में तकरीबन आठ से दस दिन तक का समय लग जाता है।

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