साइंटिस्ट अक्षय नारायण विक्रम लैंडर बनाने वाली वैज्ञानिकों की टीम में शामिल

जमुई से सरोज कुमार दुबे की रिपोर्टचांद पर तिरंगा होना भारत के लिए गर्व की बात है । जब 2019 में चंद्रयान-2 की चंद्रमा की सतह पर हार्ड लैंडिंग हुई थी, तब विक्रम लैंडर बनाने वाली वैज्ञानिकों की टीम में शामिल इसरो के वरीय वैज्ञानिक अक्षय नारायण काफी हतोत्साहित हुआ था।सगे संबंधियों स्वजनों ने उसका हौसला बढ़ाया। चंद्रयान-2 के बाद चंद्रयान-3 पर काम शुरू हुआ। हमारे वैज्ञानिक इस मिशन में जुटे थे। मूल रूप से भागलपुर के रहने वाले अक्षय नारायण, चंद्रयान-2 और उसकेबाद चंद्रयान- 3 के विक्रम लैंडर बनाने वाले वैज्ञानिकों की टीम में शामिल हुआ।वह मंगलयान मिशन का भी हिस्सा रहा है। इसरो के वरीय वैज्ञानिक ( साइंटिस्ट ई ) अक्षय नारायण के पिता रामनारायण चौधरी सोनो स्थित दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक में बतौर मुख्य प्रबंधक कार्यरत हैं। चंद्रयान-3 की सफलता से उत्साहित रामनारायणचौधरी बताते हैं कि उनका बड़ा बेटा अक्षय नारायण बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि का था। 2007 में डीएवी भागलपुर से दसवीं की परीक्षा पास करने के बाद वह आईआईटी की तैयारी के लिए कोटा चला गया। 2009 में सेंट्रल एकेडमी कोटा से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की और इसी साल उसने पहले ही प्रयास में आईआईटी जेईई की परीक्षा पास कर ली।आईआईटी जेईई की रैंक के आधार पर उसका नामांकन आईआईएसटी त्रिवेंद्रम में हुआ।उसने 2013 में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग से स्नातक किया और इसी साल इसरो में बतौर साइंटिस्ट सी योगदान दिया। 2018 में साइंटिस्ट डी और 2023 में साइंटिस्ट ई में उसे प्रमोशन प्राप्त हुआ। बता दें कि अक्षय नारायण की मां पूनम चौधरी गृहणी है जबकि छोटा भाई अज्ञेय नारायण भी आईआईटियन है और यूएसए की कंपनी डेल में बतौर साफ्टवेयर इंजीनियर कार्यरत है।

Related posts