जमुई से सरोज कुमार दुबे की रिपोर्ट
जिला अंतर्गत सोनो के करमटिया को लेकर क्षेत्रीय सांसद अरुण भारती ने संजीदगी दिखाई है। उन्होंने संसद में केंद्रीय खनन मंत्री से करमटिया में तत्काल सर्वेक्षण और खुदाई प्रारंभ करने की मांग की है।बता दें कि 1982 में सोनो के करमटिया नामक एक बेचिरागी गांव की बंजर भूमि पर सोना पाए जाने की खबर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में थी। कहा जाता है कि इस दौरान इलाके के कुछ तेज तर्रार लोगों को रातो रात लखपति बनने का मौका भी मिला था। पांच से दस फीट की खुदाई पर ही लोगों को स्वर्ण कण मिल रहा था। यह खबर जब प्रशासनिक महकमे को पहुंची तो आनन-फानन में करमटिया को प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित कर दिया गया। इसके दो दशक बाद पुनः सोने की खान स्थल पर नई तकनीक के जरिए खुदाई का कार्य प्रारंभ किया गया पर यहां के लोगों को फिर निराशा ही हाथ लगी जब उन्हें पता चला कि सोने के अयस्क काफी गहराई में हैं। हालांकि भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण में करमटिया में प्रचुर मात्रा में स्वर्ण पाए जाने की पुष्टि की गई।1982- 1986 तक भूतल वेत्ताओं के निर्देश पर करमटिया में खुदाई का कार्य युद्धस्तर पर चला लेकिन अचानक कार्य बंद कर दिया गया ।इसके बाद 2010 -2011 में खुदाई का कार्य एक बार पुनःप्रारंभ किया गया। इस समय भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण पटना ने भी माना था कि क्षेत्र में स्वर्ण की असीम संभावनाएं हैं।घोटारी तथा घुटवे गांव के कुछ क्षेत्रों में स्वर्ण की उपलब्धता है ।उस समय बताया गया था कि यहां के पत्थरों के जो टुकड़े संग्रह किए गए हैं उसमें 50 पीपीबी से 1.25 पीपीएम तक सोने का सेरुजीनिययस क़वारजटाइंग प्राप्त हुआ है और यह अनुपात इस क्षेत्र में स्वर्ण की प्रचुर उपलब्धता होने का प्रमाण है। पर इन सबके बावजूद भी पुनः एक बार उत्पादन से अधिक लागत की बात कह करमटिया को गुमनामी के अंधेरे में ढकेल दिया गया। 1 दिसंबर 2021 को तत्कालीन केंद्रीय खनिज मंत्री प्रहलाद जोशी ने जब देश की संसद को बताया कि देश के स्वर्ण भंडार का 44 फ़ीसदी करमटिया में है तो यहां के लोगों की उम्मीदें परवाना चढ़ने लगी। लगा कि अब करमटिया के दिन फिर जाएंगे लेकिन सब कुछ फाइलों में ही दब कर रह गया।
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