जमुई से सरोज कुमार दुबे
जिले के सोनो प्रखंड में किसानों की डिजिटल पहचान के लिए फॉर्मर आईडी रजिस्ट्रेशन शुरू हो गया है। पहले चरण में पायलट प्रोजेक्ट के तहत सोनो और महेश्वरी गांव में कैंप लगाए जा रहे हैं। इस अभियान से किसानों को सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ मिलेगा।कैंप में किसानों की पहचान ई-केवाईसी और फेस रिकॉग्निशन तकनीक से की जा रही है। इसके लिए कृषि विभाग के किसान समन्वयक और पंचायत के राजस्व कर्मचारी की आईडी बनाई गई है। समन्वयक ई-केवाईसी कर रहे हैं। राजस्व कर्मचारी जमीन की बकेटिंग कर रहे हैं। किसानों को दोनों चरणों में उपस्थित रहना जरूरी है। पूरी प्रक्रिया फेस रिकॉग्निशन तकनीक से हो रही है।सोनो में कृषि समन्वयक सह नोडल पदाधिकारी रंजीत कुमार, राजस्व कर्मचारी नीरज कुमार पंडित और किसान सलाहकार परमानंद सिंह इस कार्य में लगे हैं। कृषि विभाग के पुराने आंकड़ों के अनुसार, सोनो गांव में 1092 किसान हैं। ये किसान सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ ले रहे हैं।रंजीत कुमार और नीरज कुमार ने बताया कि भविष्य में सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए फॉर्मर आईडी जरूरी होगा। इससे बैंक से ऋण लेने में भी मदद मिलेगी। दस्तावेज की जरूरत नहीं पड़ेगी। केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ लेने में यह आईडी अहम भूमिका निभाएगी। सरकार यह भी जान सकेगी कि किसान के पास कितनी जमीन और पशुधन है।आईडी बनवाने के लिए किसान को खुद उपस्थित होना होता है। आधार कार्ड और उससे जुड़ा मोबाइल नंबर जरूरी है। जमीन के खेसरा और जमाबंदी रसीद की भी जरूरत होती है। अभी सिर्फ उन्हीं किसानों की आईडी बन रही है जिनके नाम पर जमीन है। पिता या दादा के नाम पर जमीन होने पर आईडी नहीं बन रही है। आधार कार्ड और जमाबंदी में नाम एक जैसा होना चाहिए। नाम में थोड़ी भी गड़बड़ी होने पर प्रक्रिया रुक जा रही है।डिजिटल प्रक्रिया में सिर्फ उन्हीं किसानों की आईडी बन रही है जिनके नाम से जमीन है। जिनके पास खुद की जमीन नहीं है, उनके लिए आईडी बनाना संभव नहीं हो पा रहा है। क्षेत्र में अधिकतर किसानों ने खुद जमीन नहीं खरीदी है। न ही पूर्वजों की जमीन अपने नाम ट्रांसफर करवाई है। मौजूदा नियमों के कारण बड़ी संख्या में किसान पहचान पत्र से वंचित हो सकते हैं। इस स्थिति में किसानों ने नियमों में ढील देने की मांग शुरू कर दी है।

