जमुई से सरोज कुमार दुबे की रिपोर्ट
सोनो (जमुई):-
स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बुधवार को ममता हेल्थ इंस्टीट्यूट फॉर मदर एंड चाइल्ड जमुई की ओर से अंतरराष्ट्रीय माहवारी स्वच्छता दिवस पर एक दिवसीय कार्यक्रम हुआ। इसमें प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक ग्रीस कुमार, काउंसलर राजीव कुमार, विद्यालय प्रभारी रेखा कुमारी, अंजु कुमारी, वरुण कुमार और मेराज खान शामिल


हुए। कार्यक्रम का उद्देश्य किशोरियों को माहवारी के दौरान स्वच्छता के महत्व की जानकारी देना और जागरूक करना था।कार्यक्रम में बताया गया कि माहवारी स्वच्छता महिलाओं और किशोरियों के स्वास्थ्य, गरिमा और आत्मविश्वास के लिए


जरूरी है। मासिक धर्म के दौरान साफ-सफाई रखना, संक्रमण से बचाव और सामाजिक गतिविधियों में बिना झिझक भाग लेना जरूरी है। सैनिटरी पैड, टैम्पोन और मेंस्ट्रुअल कप जैसे उत्पादों के सही उपयोग की जानकारी दी गई। कपड़े के पैड का उपयोग करने पर उसे अच्छी तरह धोकर सुखाने की सलाह दी गई।


बताया गया कि पैड या अन्य उत्पादों को हर 4 से 6 घंटे में बदलना चाहिए।जननांग क्षेत्र की सफाई के लिए हल्के साबुन और साफ पानी का उपयोग जरूरी है। सुगंधित या रसायनयुक्त उत्पादों से बचने की सलाह दी गई। उपयोग किए गए पैड को कागज या बायोडिग्रेडेबल बैग में लपेटकर


कूड़ेदान में डालना चाहिए। सार्वजनिक शौचालयों में इन्हें फ्लश नहीं करना चाहिए। मेंस्ट्रुअल कप और कपड़े को अच्छी तरह धोकर दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है।बताया गया कि स्वच्छ शौचालय, साफ पानी और गोपनीयता माहवारी स्वच्छता के लिए जरूरी हैं। स्कूलों, कार्यस्थलों और सार्वजनिक स्थानों पर ऐसी सुविधाएं होनी चाहिए। माहवारी से जुड़े मिथकों को दूर करना और सही जानकारी देना जरूरी है। इससे लड़कियों को आत्मविश्वास मिलता है और वे पढ़ाई व अन्य गतिविधियों में भाग ले पाती हैं।ग्रामीण क्षेत्रों में सैनिटरी पैड की उपलब्धता अब भी एक चुनौती है। माहवारी को लेकर सामाजिक


कलंक और मिथक अब भी मौजूद हैं। स्कूलों और सार्वजनिक स्थानों पर स्वच्छ शौचालयों की कमी भी समस्या है। सरकार और कई गैर-सरकारी संगठन इस दिशा में काम कर रहे हैं। स्वच्छ भारत मिशन और बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान में माहवारी स्वच्छता को शामिल किया गया है।कार्यक्रम में यह भी बताया गया कि पर्याप्त पानी पीना और पौष्टिक आहार लेना माहवारी के लक्षणों को कम करता है। माहवारी को शर्म या अशुद्धता से जोड़ना गलत है। यदि मासिक धर्म में अनियमितता, अत्यधिक दर्द या अन्य लक्षण हों तो डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। माहवारी पर खुलकर बात करना और इसे


सामान्य बनाना जरूरी है। पुरुषों और लड़कों को भी इस विषय पर शिक्षित करना चाहिए ताकि वे सहयोग कर सकें। स्कूलों में माहवारी स्वच्छता को पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग भी उठी।कार्यक्रम में बताया गया कि भारत में कई संगठन जैसे माहवारी स्वच्छता गठबंधन और गूंज इस दिशा में काम कर रहे हैं। राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम और महिला स्वच्छता योजना के तहत सस्ते सैनिटरी पैड उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

