धीरज गुप्ता गया
गया में अभाविप द्वारा विश्वविद्यालय एवं छात्र हित के मांगो को लेकर विराट प्रदर्शन किया गया है। सभा को संबोधित करते हुए अभाविप के प्रदेश मंत्री लक्ष्मी रानी ने कहा की विद्यार्थी परिषद स्थापना काल से ही छात्र हित, समाज हित और राष्ट्र हित के क्षेत्र में कार्य करता रहा है। इसी कड़ी में महामहिम को संज्ञान में लाना है कि मगध विश्वविद्यालय का एक अपना गौरवशाली इतिहास रहा है। इसे उत्तर भारत का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय होने का गौरव प्राप्त है। लेकिन पिछले कुछ समय से मगध विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ राजेंद्र प्रसाद एवं उनके सहयोगियों के कुकृत्य के परिणाम स्वरूप इसकी छवि अत्यधिक धूमिल हुई है। दुर्भाग्य तो यह है कि अभी तक भ्रष्टाचार में संलिप्तता के बावजूद तत्कालीन कुलपति एवं उनके सहयोगियों के ऊपर कोई कार्यवाही नहीं हुआ है। जिसके कारण संपूर्ण विद्धत समाज आहत है। संपूर्ण छात्र-छात्राओं एवं शिक्षकों और समाज में भय व्याप्त है। इतनी बड़ी विजिलेंस की कारवाई के बाद भी दोषीयो को जिस तरह से राजनिति षड्यंत्र के तहत बचाया जा रहा है, वह देश और बिहार के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। जिस भ्रष्ट्र कुलपति ने शिक्षा के मंदिर को बदनाम करने का काम किया है, वह खुलेआम जिस तरीके से विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों को धमकी देने का काम कर रहा हैं और निगरानी की जांच प्रभावित कर रहा है एवं विश्वविद्यालय में दुबारा पद स्थापित होने के लिए एड़ी चोटी एक कर रहा हैं। यह राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार के क्रियाकलापों पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है। वही अभाविप मगध विश्वविद्यालय संयोजक सूरज सिंह ने कहां कि मगध विश्वविद्यालय में शैक्षणिक व्यवस्था पूरी तरह खत्म हो चुकी है।अभी तक भ्रष्ट कुलपति डॉ राजेंद्र प्रसाद एवं उनके सहयोगी पदाधिकारियों पर कार्यवाही करते हुए हटाया नहीं जाना और गिरफ्तार नहीं किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण हैं। डॉ राजेंद्र प्रसाद के समय मे जितने भी कॉलेजो को संबंधन दिया गया है, उसकी भी जांच होनी चाहिए। विश्वविद्यालय का दुर्भाग्य है कि इतना बड़ा कैंपस होने के बावजूद वर्तमान समय में एक भी छात्रावास नहीं रहना अपने आप में चिंता का विषय है। छात्रों के नामांकन के अनुपात में छात्रावास का निर्माण किया जाना चाहिए, ताकि दूर-दराज के छात्र और छात्राओं के पढ़ाई में कोई बाधा ना हो। वही भ्रष्टाचार को बल देते हुए डॉ राजेंद्र प्रसाद ने धन बल के आधार पर ट्रांसफर-पोस्टिंग भी बड़े पैमाने पर हाल ही में किया है। अगर उसकी जांच हो तो बहुत बड़ा घोटाला उजागर होगा।आज विश्वविद्यालय में छात्रों को मूल प्रमाण पत्र लेने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। प्रमाण पत्र मिलने में महीनों का समय लग जा रहा है। जिससे कि छात्रो का भविष्य बर्बाद हो रहा है।इस मामले में दोषी व्यक्तियो पर कारवाई कि जायें। आज मगध विश्वविद्यालय का लगभग सभी सत्र बिल्कुल अनियमित है। इसे जल्द से जल्द सुधार कर सभी शैक्षणिक सत्र को नियमित किया जाए ताकि विद्यार्थी समय से डिग्री प्राप्त कर सकें। परीक्षा समाप्ति के 45 दिनों के अंदर परीक्षा परिणाम छात्रों को उपलब्ध कराया जाए। स्नातक एवं स्नातकोत्तर नामांकन में धांधली हो रही है। पैसे लेकर नामांकन किया जा रहा है,ऐसा छात्रों का शक है। इसकी एक जांच कमेटी बनाकर सही जांच कराई जाए। स्नातक एवं स्नातकोत्तर में तमाम छात्राओं एवं अनुसूचित जाति,जनजाति के विद्यार्थियों से भी नामांकन शुल्क की वसूली की जा रही है,इसे अविलंब रोका जाए साथ ही साथ कन्या विद्याधन योजना के अंतर्गत मिलने वाली राशि भी समय से छात्राओ को उपलब्ध कराई जाए। सभी महाविद्यालयों का ऑडिट निगरानी विभाग से कराया जाये तो करोड़ो का घोटाले उजागर होगा।विश्वविद्यालय के सभी महाविद्यालयों द्वारा स्नातक एवं स्नातकोत्तर नामांकन शुल्क के साथ-साथ अन्य शुल्क की भी वृद्धि की गई है। उसे अविलंब रोका जाए एवं पूर्व की भांति ही शुल्क ली जाएं। सिनेट बैठक में छात्र नेताओं पर प्रदर्शन के दौरान फर्जी केस किया गया था, उसे अविलंब विश्वविद्यालय वापस लें।वोकेशनल एवं प्रोफेशनल कोर्सों के लिए अलग परीक्षा नियंत्रक की नियुक्त की जाए साथ ही साथ जिन छात्रों का रजिस्ट्रेशन अभी तक नहीं हुआ है,उन छात्रों का रजिस्ट्रेशन कराया जाए और पूर्व में रजिस्ट्रेशन किए गए छात्रों का रजिस्ट्रेशन कार्ड सही कर निर्गत किया जाये। वही विश्वविद्यालय अपने स्तर से पहल कर जहानाबाद और नवादा में पीजी की पढ़ाई अभिलंब शुरू करें। सूरज सिंह ने कहां कि इस विराट प्रदर्शन में गया,औरंगाबाद,जहानाबाद एवं नावादा के छात्र छात्राएं बडे संख्या में भाग लियें है। कुलपति ने भ्रष्टाचार की सारी हदें पार कर बिना किसी अनुमति के OMR सीट पर परीक्षा लेने का काम किये थे, मगध विश्वविद्यालय के कई कॉलेजों में वोकेशनल की पढ़ाई चल रही है परंतु वोकेशनल एवं प्रोफेशनल कोर्सों में छात्रों को उचित शैक्षणिक सुविधा उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है और ना ही उन्हें कोर्स के हिसाब से शिक्षा दिया जा रहा है यहा तक कि कुलपति से मिली भगत कर वोकेशनल एवं प्रोफेशनल कोर्सों का सभी शुल्क बढा दिया गया बिना सरकार एवं राज्यभवन के अनुमती के। मगध विश्वविद्यालय में रोटेशन पॉलिसी पूरी तरह खत्म हो चुकी है रिटायर व्यक्तियों को कॉलेज के कई महत्वपूर्ण पदों पर बिठाकर उनसे छात्रों के कई महत्वपूर्ण पेपरों पर साइन कराया जा रहा है जो कि एक कानूनी अपराध है, मगध विश्वविद्यालय के तमाम कॉलेजों में अराजकता चरम सीमा पर फैला हुआ है। मगध विश्वविद्यालय के नियमों को ताक पर रखकर कई कॉलेज में बड़े-बड़े घोटाले को अंजाम देकर के भवन निर्माण एवं कई प्रकार के कार्य किए जा रहे हैं और किये गयें है इसकी भी जांच निगरानी द्वारा होनी चाहिए। आज कॉलेज में शैक्षणिक माहौल खत्म होकर के भ्रष्टाचार का माहौल चरम सीमा पर है कॉलेज के प्राचार्य शैक्षणिक व्यवस्था सुधारने की जगह ठेकेदारी व्यवस्था में पूरी तरह लग गयें है। एक ओर जहां केंद्र की सरकार और राज्य की सरकार शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए नई शिक्षा नीति लाई है वही मगध विश्वविद्यालय बोधगया कैंपस एवं उनके अनुभूत कॉलेजों में शैक्षणिक व्यवस्था सुधारने की जगह पर शैक्षणिक व्यवस्था और शिक्षा अस्तर गिराने में कई पदाधिकारी एवं प्राचार्य लगे हैं इसका जीता जागता उदाहरण कॉलेजों के गिरते ग्रेडींग स्तर है, मालूम हो कि मगध विश्वविद्यालय कैंपस एवं उसके कई अनुभूत कॉलेजों में कई शिक्षको की नौकरियां ही फर्जी है जिसका खुलासा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद बहुत जल्द करेगा। मगध विश्वविद्यालय में कई और घोटाले को उजागर करने के लिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद कार्य कर रही है एवं इन घोटालों को बहुत जल्द जनमानस के समक्ष रखा जाएगा। वही विभाग संगठन मंत्री पशुपतिनाथ ने कहा कि अभाविप मगध विश्वविद्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे पहले आवाज उठाई थी। लेकिन इस आवाज को दबाने के लिए राजभवन ने कई चालें चली है। मालुम हो कि परिषद द्वारा मगध विश्वविद्यालय के भ्रष्ट कुलपति के खिलाफ पीआईएल दाखिल किया गया था एवं राजभवन से भष्ट्राचार कि जांच करने कि मांग कि गई थी। लेकिन राजभवन से आई जांच टीम ने भष्ट्राचार की सारी हदे पार कर मगध विश्वविद्यालय के भ्रष्ट कुलपति को क्लीन चिट दे दी है। फिर भी परिषद बिना हार माने कुलपति के कुकर्मो को उजागर करने हेतु राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार के कई मंत्रालय को सबूत के साथ पत्र लिखा एवं निगरानी को जांच करने कि मांग कि उसके बाद परिषद की मांग को गम्भीरता से लेते हुए निगरानी ने पूरे मामले कि जांच करनी शुरू की और कुलपति के कई ठिकानों पर छापेमारी की ,जिसमें लगाये गये सारे आरोप सच साबित हुए एवं इनके ठिकाने से मिले सारे साक्ष्य जगजाहिर है। अगर विद्यार्थी परिषद की सम्पूर्ण मांगो को जल्द से जल्द पूरा नहीं किया जाता है एवं कुलपति के साथ साथ दोषियों को गिरफ्तार नहीं किया जाता है, तो प्रदेश स्तर पर आंदोलन करने के लिए विद्यार्थी परिषद बाध्य होगी। जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेवारी राजभवन और बिहार सरकार की होगी। इस प्रदर्शन में मुख्य रूप से विभाग संगठन मंत्री पशुपतिनाथ पारस, विश्वविद्यालय संयोजक सूरज सिंह,प्रदेश कार्यसमिति सदस्य मंतोष सुमन,विभाग संयोजक अमन मिश्रा,सीनेट सदस्य डॉ रूपेश कुमार,राष्ट्रीय कार्यसमिति बंदना भगत,विश्वविद्यालय मीडिया प्रभारी अनिरुद्ध सेन, राहुल कुमार,प्रान्त एसएफडी प्रमुख पुष्कर अग्रवाल,प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य आशिका सिंह,जिला संयोजक औरंगाबाद शुभम कुमार,जिला संयोजक नावादा शिवनारायण कुमार,रौशान कुमार,प्रियंका कुमारी,प्रदेश कार्यकारिणी संजीव कुमार,विकास कुमार,गोपाल कुमार,संजय कुमार,धर्मपाल कुमार,प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य राहुल कुमार,अजित कुमार,सुजित कुमार, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य प्रिया सिंह, नगर मंत्री गया सत्यम कुमार, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य सुबोध कुमार पाठक,राहुल कुमार,अमन कुमार, सरवन कुमार,आरिफ अनवर, जिला संयोजक प्रशांत कुमार आदि मौजूद थे।
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