नवादा जिले के एक मात्र स्वतंत्रता सेनानी बाबू बटोरन सिंह अब नहीं रहे। गुरुवार 30 दिसंबर की रात 104 साल की आयु में पैतृक आवास पर अंतिम सांसें ली। काशीचक प्रखंड के धानपुर गांव के निवासी थे। स्वतंत्रता संग्राम में नवादा जिले के सैकड़ों लोगों ने सक्रिय भूमिका निभाई थी। उनमें एक नाम बाबू बटोरन सिंह का भी शामिल था। देश की आजादी के बाद वे सरपंच भी रहे थे। निधन पर शोक संवेदनाओं का तांता लगा हुआ है। शुक्रवार को बड़ी संख्या में लोग उनके घर तक पहुंच पार्थिव शरीर पर पुष्प माला अर्पित किया। अंतिम संस्कार मरांची के गंगा तट पर किया गया।
बटोरन बाबू के बारे में विस्तार से जानिए
1942 के आंदोलन में फरारी कार्यकर्ता के रूप में क्रांतिकारी भूमिका इन्होंने निभाई थी। बचपन से ही अंग्रेजी शासन की खिलाफत किया करते थे। स्कूली शिक्षा के वक्त मध्य विद्यालय साम्बे में पढ़ाई करते हुए छात्रों की टोली के साथ रेल की पटरी उखाड़ने के मामले आरोपी हो गए थे। तब पकरीबरवां थाना के दरोगा रहे मो. फकरुज्जमां ने गिरफ्तार कर गया जेल भेज दिया था। उस वक्त पाली गांव के वासुदेव सिंह ने उनकी जमानत करवाई थी। जेल से आने के बाद भी ये आजादी मिलने तक क्षेत्रवासियों में अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध क्रांति फैलाने के लिए पर्चे बांटा करते थे।
श्रद्धांजलि देने पहुंच बीडीओ रवि जी और थानाध्यक्ष राजकुमार
पीएम इंदिरा ने दी पेंशन
प्रधानमंत्री रहते इंदिरा गांधी द्वारा जब स्वतंत्रता सेनानियों के लिए पेंशन की शुरुआत की तो इन्हें भी उसका लाभ मिला। वर्ष 1971 से 1978 तक ग्राम पंचायत सुभानपुर के निर्वाचित सरपंच रहे। समाजसेवी के रूप में पहचान रही है। फिलवक्त जिले के एक मात्र जीवित स्वतंत्रता सेनानी थे। विद्यालय के प्रमाणपत्र में इनकी जन्मतिथि 2 जनवरी 1917 दर्ज है।
जिले में थे कुल 306 स्वतंत्रता सेनानी
स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के जिला उपाध्यक्ष नरेंद्र कुमार शर्मा उर्फ कार्यानंद शर्मा के पास जिले के सभी स्वतंत्रता सेनानियों का ब्योरा है। श्रीशर्मा बताते हैं कि नवादा जिले में कुल 306 स्वतंत्रता सेनानी थे। सभी ताम्रपत्र धारी थे। इनमें से 267 को सरकार प्रदत्त पेंशन व अन्य सुविधाओं का लाभ मिल रहा था। 39 भूमिगत स्वतंत्रता सेनानियों को ताम्रपत्र मिला था। लेकिन तकनीकी कारणों से कुछ को पेंशन नहीं मिला तो कुछ ने पेंशन लिया ही नहीं। श्रीशर्मा बताते हैं कि हमारे पिताजी स्व. बच्चू सिंह स्वतंत्रता सेनानी संघ के जिलाध्यक्ष और प्रदेश महासचिव रहे थे। ऐसे में काफी कुछ दस्तावेज काे संभाल रखे हैं। अब मात्र एक स्वतंत्रता सेनानी बटोरन बाबू जीवित हैं।
श्रद्धांजलि देते कांग्रेस जिलाध्यक्ष सतीश कुमार मंटन
विस्मृत हो चुकी थी यादें
सेनानी बटोरन बाबू के पुत्र प्रो. उपेंद्र प्रसाद सिंह बताते हैं कि पिताजी की यादें विस्मृत हो चुकी थी। जिले के धरोहर के रूप में पहचान रखने वाले योद्धा की टूटती सांसें इनके दूर जाने का अहसास करा रही है। सेवा में लगे पुत्र प्रो. उपेंद्र ने बताते थे कि अधिक उम्र के कारण पिताजी अब किसी को सहज रूप से पहचान भी नहीं पाते थे। मगर खुद व खुद पुरानी बातें बोल उठते थे। इस वर्ष गणतंत्र दिवस व स्वतंत्रता दिवस पर जिला प्रशासन राजकीय समारोह में उन्हें बुलाने की बजाय घर तक जाकर सम्मानित किया था। जिला कांग्रेस अध्यक्ष सतीश कुमार मंटन व हिसुआ से कांग्रेस विधायक नीतू कुमारी भी उनके घर जाकर सम्मानित कर चुके थे।
अधिकारी सहित जन प्रतिनिधियों ने दी श्रद्धांजलि
वारिसलीगंज विधायक अरूणा देवी, कांग्रेस जिलाध्यक्ष सतीश कुमार मंटन, बीडीओ रवि जी, थानाध्यक्ष राजकुमार, ग्रामीण मुखिया बज्रशेखर सिंह उर्फ बौआ सहित इलाके के बड़ी संख्या में बुद्धिजीवि अंतिम विदाई देने पहुंचे।
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