धनबाद:जिस माता शबरी के जूठे बैर ने और केवट के विश्वास ने युवराज राम को मर्यादापुरूसोतम भगवान श्रीराम बनाया, ऐसे ही शबरी माता के वंशजों के घर पर अर्थात् ऐसे वनवासी समाज के बंधु जो शहर के शबरी बस्तियों में रहते है उनके घर को दीप जला के रोशन करने का संकल्प श्रीराम मंदिर प्राणप्रतिष्ठा के दिन एकल अभियान की युवा टोली एकल फ्यूचर द्वारा किया गया ।
पूरे भारत में 500 वर्षों तक हमारे शौर्यवान पूर्वजों के भीषण संघर्ष,तप, त्याग व बलिदान के बाद अयोध्या जी में पुनः मर्यादापुरूसोतम भगवान श्रीराम लला विराजमान हो करके उनका प्राणप्रतिष्ठा हो रहा है इसका जश्न व उल्लास पूरा देश अपने अपने तरीक़े से मना रहा है। इसी क्रम में एकल अभियान की युवा इकाई एकल फ्यूचर धनबाद महानगर द्वारा ऐसे सभी शबरी बस्तियों में विभिन्न टोलियो में स्वयं पहुँच कर वहाँ के माता बहन व बंधु के साथ दीप जला के भावपूर्ण दीपोत्सव मनाया गया । खूब मिठाई बाटे गए, खूब पटाके फोड़े गए ।
एकल फ्यूचर धनबाद महानगर के सदस्यों ने बताया कि, हमारी पीढ़ी आज के इस ऐतिहासिक पल को देख पा रहे है यह स्वयं में गौरव व सौर्य की अनुभूति करा रही है । इस इतिहास को स्वयं अपने आखों से देखना कोई साधारण बात नहीं है, यह हम सबके पूर्व जन्मों के पुण्य कार्य ही होंगे जिसके फल स्वरूप राम लला के प्राण प्रतिष्ठा को हम सब देख पा रहे है, अनुभव कर पा रहे है। अब बस आवश्यकता है मर्यादापुरूसोतम भगवान श्रीराम के जीवन से प्रेरणा ले करके स्वयं अनुसरण करने की और इसी निमित्त हम आज के इस पावन पल को उस शबरी माता के समाज के साथ मना रहे है जिनके स्नेह, विश्वास व प्रतीक्षा ने युवराज राम को मर्यादापुरूसोतम भगवान श्रीराम बनाया। जिनको आम समाज ने अपेक्षित किया, किंचित् व वंचित समझा उनको प्रभु श्री राम ने गले लगाया ।
वास्तव में वनवासी समाज ही प्रभु श्री राम जी की सेना है और उनको गले लगा कर उनके झोपड़ी को दीपक के सकारात्मक व सार्थक रोशनी से प्रकाशित करना ही राम जी का वास्तविक काज है ।
एकल फ्यूचर धनबाद द्वारा विभिन्न टोलियो में सुषनीलेवा, पुलिसलाइन, गॉल्फ़ग्राउंड, ढांगी, भूदा एवं झरिया छेत्र के शबरी बस्तियों धूम धाम से श्रीराम जी के प्राणप्रतिष्ठा को दीपावली जैसा मना के मनाया।विभिन्न शबरी बस्तियों में एकल फ्यूचर धनबाद के सदस्यगण उपस्थित रहे। शबरी बस्तियों में एकल फ्यूचर के इस प्रयोग से मानो पूरा बस्ती भावपूर्ण हो गया। शबरी बस्ती के मताओ के आँखो में आँसू साफ़ देखे जा सकते थे,मानो स्वयं श्री राम जी अपने भाई लक्ष्मण जी के साथ शबरी माता के घर पुनः जूठे बैर खाने पहुँचे हो।