पूजा – पाठ: आज जैन धर्मावलंबियों के लिए विशेष है ‘रोहिणी व्रत’, जानिए सही तिथि, पूजा विधि और इस व्रत की महिमा
धनबाद : रोहिणी व्रत जैन धर्म के प्रमुख व्रत-त्योहारों में से एक है।जैन धर्मावलंबियों के लिए विशेष है ‘रोहिणी व्रत’। यह व्रत हर महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है। इस बार फरवरी महीने की रोहिणी व्रत कल यानी शुक्रवार 7 फरवरी 2025 को रखा जा रहा हैं। यह व्रत जैन धर्म में विशेष महत्व रखता हैं।
ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से साधक की सभी समस्याएं दूर होती हैं। यह व्रत मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा रखा जाता है, जिसमें वह अपने पति की लंबी उम्र और सुख-शांति के लिए कामना करती हैं।आइए जानते है रोहिणी व्रत से जुड़ी नियम और महत्व।
क्या है रोहिणी व्रत की पूजा विधि जानिए :
रोहिणी व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें
आचमन कर व्रत का संकल्प लें और सूर्य भगवान को जल अर्पित करें।
पूजा स्थल की साफ-सफाई के बाद वेदी पर भगवान वासुपूज्य की मूर्ति स्थापित करें।
पूजा में भगवान वासुपूज्य को फल-फूल, गंध, दूर्वा, नैवेद्य आदि अर्पित करें।
सूर्यास्त होने से पहले पूजा कर फलाहार करें।
अगले दिन पूजा-पाठ करने के बाद अपने व्रत का पारण करें।
व्रत के दिन गरीबों में दान जरूर करें।
रोहिणी व्रत के दिन इन बातों का रखें विशेष ध्यान
जैन धर्म में रोहिणी व्रत एक पवित्र अनुष्ठान है, ऐसे में इस दिन स्वच्छता और शुद्धता का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए।
महिलाओं के साथ-साथ पुरुष भी रोहिणी व्रत कर सकते हैं। सूर्यास्त के बाद इस व्रत में भोजन नहीं किया जाता।
इस व्रत को लगातार तीन, पांच या सात साल तक रखना जरूरी माना जाता है। पारण अनुष्ठान करने के बाद ही इस व्रत को पूर्ण माना जाता है। सोर्स न्यूज़ फास्ट।
*जानिए क्या है रोहिणी व्रत की महिमा*
जैन धर्म की मान्यताओं के अनुसार, जहां सुहागिन महिलाओं को रोहिणी व्रत करने से अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है। वहीं, इस व्रत से साधक के सभी दुख-दर्द भी दूर हो जाते हैं। जैन धर्म में यह भी माना गया है कि इस व्रत को करने से साधक को मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। इसी के साथ आत्मा की शुद्धि के लिए भी यह व्रत काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।
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