महाशिवरात्रि में भगवान शिव की पूजा कैसे करें और जाने नियम और निषेध

भगवान शिव की पूजा के नियम और निषेध

भगवान शिव को संहार और सृजन का देवता माना जाता है। वे जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता हैं, इसलिए उन्हें भोलेनाथ कहा जाता है। भक्तगण श्रद्धा और भक्ति से उनकी पूजा करते हैं, विशेष रूप से मासिक शिवरात्रि और महाशिवरात्रि के अवसर पर। शिवलिंग का जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक, पंचामृत स्नान आदि उनकी पूजा की महत्वपूर्ण विधियाँ हैं। लेकिन शिव पुराण के अनुसार, कुछ ऐसी वस्तुएँ हैं जो शिवलिंग पर अर्पित नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इससे पुण्य के स्थान पर पाप का भागी बनना पड़ता है और भगवान शिव रुष्ट हो सकते हैं।

1. भगवान शिव की पूजा का महत्व

भगवान शिव की पूजा भक्तों के लिए मोक्षदायिनी मानी जाती है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति श्रद्धा और नियमपूर्वक भगवान शिव की उपासना करता है, उसे जीवन में सफलता और शांति मिलती है। शिवलिंग की पूजा करने से भक्त के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं, और उसे शुभ फलों की प्राप्ति होती है। शिव पूजा में जल, दूध, बिल्व पत्र, भस्म, धतूरा, आक, गंगाजल, चंदन आदि का विशेष महत्व है।

2. मासिक शिवरात्रि और महाशिवरात्रि का महत्व

शिवरात्रि का पर्व हर मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आता है, जिसे मासिक शिवरात्रि कहा जाता है। साल में एक बार फाल्गुन मास में महाशिवरात्रि का आयोजन होता है, जिसे सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि की रात चार प्रहर की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

3. शिवलिंग की पूजा के नियम

भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग की पूजा विधिपूर्वक करनी चाहिए। शिव पुराण और अन्य ग्रंथों में बताया गया है कि शिव पूजा में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। नीचे कुछ महत्वपूर्ण नियम दिए गए हैं:

1. शुद्धता और स्वच्छता का ध्यान रखना – शिवलिंग की पूजा से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।

2. जलाभिषेक अनिवार्य है – शिवलिंग पर जल अर्पित करना सबसे श्रेष्ठ पूजा मानी जाती है। गंगाजल विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

3. बिल्वपत्र चढ़ाना – तीन पत्तों वाले बिल्वपत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय हैं, लेकिन इन्हें उल्टा या खंडित नहीं होना चाहिए।

4. धतूरा और आक अर्पित करना – ये दोनों फूल और फल भगवान शिव को अत्यंत प्रिय हैं।

5. शिवलिंग पर चंदन और भस्म का तिलक लगाना – यह शिव तत्त्व को जागृत करता है और व्यक्ति को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है।

6. शिव मंत्रों का जाप करना – ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करने से शिव कृपा प्राप्त होती है।

4. शिवलिंग पर न चढ़ाएँ ये चीजें

शिव पुराण के अनुसार, कुछ वस्तुएँ ऐसी होती हैं जिन्हें शिवलिंग पर चढ़ाने से अशुभ फल प्राप्त होता है। इन वस्तुओं को भूलकर भी भगवान शिव की पूजा में उपयोग नहीं करना चाहिए।

1. तुलसी के पत्ते

तुलसी देवी भगवान विष्णु को प्रिय हैं, लेकिन शिवलिंग पर तुलसी अर्पित करना निषेध माना गया है। पौराणिक कथा के अनुसार, तुलसी का विवाह शंखचूड़ नामक असुर से हुआ था, जिसे भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से मारा था। इस कारण तुलसी को शिव पूजा में निषेध माना जाता है।

2. नारियल का पानी

नारियल भगवान शिव को अर्पित किया जा सकता है, लेकिन उसका पानी शिवलिंग पर नहीं चढ़ाना चाहिए। नारियल जल को लक्ष्मी स्वरूप माना जाता है और इसे जमीन पर गिराना अशुभ होता है।

3. केतकी और केवड़ा के फूल

केतकी और केवड़ा के फूल भगवान शिव की पूजा में वर्जित हैं। शिव पुराण के अनुसार, इन फूलों ने भगवान शिव के समक्ष झूठ बोला था, इसलिए शिवजी ने इन्हें अपनी पूजा में निषेध कर दिया।

4. हल्दी और कुमकुम

हल्दी सौभाग्य और स्त्रियों के सुहाग का प्रतीक मानी जाती है, जबकि भगवान शिव संन्यासी और विरक्त माने जाते हैं। इसलिए शिवलिंग पर हल्दी चढ़ाना निषेध है।

5. टूटा या खंडित बिल्वपत्र

बिल्वपत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय हैं, लेकिन इन्हें खंडित अवस्था में चढ़ाना अशुभ माना जाता है।

6. शंख से जल चढ़ाना

शंख समुद्र मंथन से उत्पन्न हुआ था और यह भगवान विष्णु से जुड़ा हुआ है। इसलिए शंख से भगवान शिव को जल अर्पित करना वर्जित माना गया है।

7. लाल फूल

भगवान शिव को सफेद रंग के फूल प्रिय होते हैं। लाल रंग के फूल, विशेष रूप से केतकी और केवड़ा, उन्हें चढ़ाना वर्जित है।

8. दूध को तुरंत न चढ़ाएँ

यदि आप शिवलिंग पर दूध अर्पित कर रहे हैं, तो

ध्यान दें कि वह बासी या खट्टा न हो। ऐसा करने से पुण्य के बजाय पाप लगता है।

5. महाशिवरात्रि पर विशेष पूजा विधि

महाशिवरात्रि की रात भगवान शिव की पूजा चार प्रहर में की जाती है। प्रत्येक प्रहर की पूजा का विशेष महत्व होता है।

1. पहला प्रहर (रात 6 बजे से 9 बजे तक) – जल और गंगाजल से अभिषेक करें।

2. दूसरा प्रहर (रात 9 बजे से 12 बजे तक) – दूध, दही, घी से अभिषेक करें।

3. तीसरा प्रहर (रात 12 बजे से 3 बजे तक) – शहद और पंचामृत से अभिषेक करें।

4. चौथा प्रहर (रात 3 बजे से 6 बजे तक) – गन्ने के रस और जल से अभिषेक करें।

पूजा के दौरान ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करना और भगवान शिव की आरती करना अन

आचार्य दिलीप पाण्डेय

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