अमृत महोत्सव व्याख्यान माला के तहत आजादी में हिन्दी की भूमिका



हिन्दी आम भारतीयों के निज गौरव को जगाने का काम किया – डॉ. सुबोध सिंह ‘शिवगीत’

हिन्दी ही भारतीय राष्ट्रवाद को पल्लवित व पुष्पित करने का काम किया – डॉ. सुबोध सिंह ‘शिवगीत’

हजारीबाग गौतम बुद्ध शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय, मुकुंदगंज, में आजादी के अमृत महोत्सव का आज आठवाँ दिन विनोबा भावे विश्व विद्यालय, हजारीबाग के हिन्दी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. सुबोध सिंह ‘शिवगीत’ ने अपने व्याख्यान में कहा कि आजादी में हिन्दी साहित्य की भूमिका पर प्रकाश डाला। 90 वर्षों तक चले स्वतंत्रता संग्राम में हिन्दी साहित्य ने कश्मीर से कन्याकुमारी तक जन-जन को जगाने तथा विभिन्न भाषाई लोगों के एकीकरण में अहम भूमिका निभायी। महात्मा गाँधी ने कहा कि जब तक हमारे राष्ट्र की एक ‘राष्ट्र-भाषा’ नहीं होगी तब तक हम अपनी मातृभूमि को अंग्रेजी हुकुमत से आजाद नहीं करा सकते हैं।
साहित्य ही समाज का दर्पण होता है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में तमाम भारतीय भाषाओं के साहित्यकारों की भूमिका उल्लेखनीय है पर हिन्दी साहित्यकारों की लेखनी आम भारतीयों के निज गौरव को जगाने में अहम भूमिका निभाई। विभिन्न साहित्यकारों ने कविता, कहानी, उपन्यास, गीत आदि की रचना कर भारतीयों को भारत के गौरवशाली अतीत से अवगत कराया। भारतीयों को भारत के प्राचीनकाल के ज्ञान, विज्ञान, तकनीक तथा समृद्ध अर्थव्यवस्था से परिचित कराते हुए बताया कि हमारा देश ब्रिटेन की संस्कृति व सभ्यता के हर पहलू में श्रेष्ठ था। ब्रिटिश हुकुमत जान बुझ कर प्रायोजित ढंग से हम भारतीयों मेेें हीन मानसिकता भरने का काम की तथा यह सिद्ध करने का प्रयास की कि ‘‘भारतीयों को सभ्य बनाने के लिए ब्रिटेन यहाँ अपनी सरकार कायम रखे हुए हैं।’’
ब्रिटिश हुकुमत के इस भ्रामक तथा असत्य औपनिवेषिक अवधारणा को भारतीय सहित्यकारों ने अपनी लेखनी से पर्दाफास कर दिया तथा भारत की श्रेष्ठता को सिद्ध कर दिया। हिन्दी साहित्यकारों में भारतेन्दु हरिशचन्द्र, जयशंकर प्रसाद, माखनलाल चतुर्वेदी, मुंशी प्रेमचन्द तथा कई अन्य साहित्यकारों ने भारत के कृषकों, श्रमिकों, बुद्धिजीवियों तथा युवाओं को अपनी मातृभूमि की आजादी के लिए लड़ने तथा बलिदान के लिए प्रेरित किया और इस प्रकार भारत में राष्ट्रवाद का प्रचार-प्रसार हुआ। इसी पृष्ठभूमि में राष्ट्रीय आन्दोलन को पल्लवित व पुष्पित होने का अवसर मिला तथा लम्बी लड़ाई के बाद हमारा देश आजाद हुआ।
मौके पर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अरविंद कुमार यादव, व्याख्यातागण, शिक्षकेत्तर कर्मी एवं बी.एड. तथा डी.एल.एड. के प्रशिक्षुगण उपस्थित रहे।

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