धनबाद नगर निगम को दो साल बाद शहर के तालाबों की सुध आई है. निगम सभी 84 तालाबों को अपने कब्जे में लेकर जरूरत के अनुसार उनका सौंदर्यीकरण कराएगा. इसके बाद मछली पालन के लिए उनकी बंदोबस्ती की जाएगी.तालाबों को अपने अधीन लेने (टेकओवर) की तैयारी शुरू हो गई है. निगम ने जिला मत्स्य विभाग से पुरानी फाइलों सहित तालाबों से संबंधित सभी कागजात मांगे हैं. सहायक नगर आयुक्त प्रकाश कुमार ने कहा कि मैनपावर की कमी के कारण विलंब हुआ है. हैंडओवर-टेकओवर की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. हालांकि जिला मत्स्य पदाधिकारी मुजाहिद्दीन अंसारी लिखित रूप में तालाबों को हैंडओवर करने के लिए तैयार नही हैं. सहायक नगर आयुक्त ने कहा कि कागजात की जांच के बाद बंदोबस्ती की प्रक्रिया शुरू होगी.
नगर विकास विभाग ने दो साल पहले शहरी क्षेत्र के तालाबों को निगम को ट्रांसफर करने का आदेश दिया था. लेकिन आदेश की कॉपी लेकर निगम के अधिकारी चिर निद्रा में सो गए. पहले कोरोना का हवाला दिया और अब मैन पावर की कमी की बात कही जा रही है. इधर, विभाग के आदेश के बाद मत्स्य विभाग ने शहर के तालाबों से अपना ध्यान हटा लिया. इसकी वजह से कई तालाबों का या तो अतिक्रमण हो गया, या उनमें जलकुंभी भर गई है. ऐसे में टेकओवर के बाद भी निगम की मुश्किलें कम नही होंगी.
निगम के सभी 55 वार्डों में कुल 84 तालाब हैं. इनमें से कुछ तो भर भी गए हैं. लगभग 40 वर्षों से मत्स्य विभाग ही इनकी देखरेख करता था. यू कहें कि उन पर विभाग का मालिकाना हक था. नगर विकास विभाग के आदेश के बाद मत्स्य विभाग ने पिछले वर्ष 40 से अधिक तालाबों की बंदोबस्ती नही की. निगम ने इसमें कोई दिलचस्पी दिखाई. निगम अधिकारी सिर्फ घोषणा करते रहे कि सभी तालाबों का सौंदर्यीकरण किया जाएगा और मछली पालन के लिए बंदोबस्ती भी की जाएगी. अधिकारियों ने बताया कि तालाबों का टेकओवर नहीं होने से निगम को सालाना तीन लाख रुपए के राजस्व का नुकासान हो रहा है.
इस संबंध में पूछे जाने पर सहायक नगर आयुक्त प्रकाश कुमार ने कहा कि तालाबों को अपने अधीन लेने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. मत्स्य विभाग से सभी पुरानी फाइलें मंगाई जा रही हैं. कहीं कोई अड़चन नही है. फाइलों का अवलोकन करने के बाद बंदोबस्ती की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.