गरीबी और लाचारगी से बिरहोर महिला की मौत सरकारी सुविधा नहीं मिलने का मलाल,



निजी चिकित्सक के कहने पर बिहार के बाराचट्टी में कराया अल्ट्रासाउंड,

कोडरमा अस्पताल में हुई मौत,पर नहीं आये सामुदायिक अस्पताल चौपारण

आयुष्मान कार्ड की सार्थकता पर प्रश्नचिन्ह

दस दिनों में आदिम जनजाति की दो महिलाओं की बीमारी से मौत



हम विकास का जितना भी दम भर ले परंतु जमीनी हकीकत उलट है। अभी भी सुदूर ग्रामीण व जंगलों में रह रहे आदिम जनजाति बिरहोर परिवारों की स्थिति अत्यंत दयनीय बनी हुई है। शिक्षा , स्वास्थ्य, आवास, पेयजल, बिजली जैसी मौलिक सुविधाओं से वंचित यह विलुप्त प्रायः आदिम जनजाति सरकारी लापरवाही के वजह से दिन-ब-दिन विलुप्त होने के रास्ते पर अग्रसर है।

केंद्र और राज्य सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर आयुष्मान कार्ड सहित कई तरह की योजनाएं संचालित कर रही हैं। परंतु आज भी यह सुविधाएं बेहद लाचार और गरीब परिवारों को नहीं मिल पा रहा है। यही वजह है कि गरीबी और लाचारगी के कारण बीमारी का समुचित इलाज नहीं होने से बीते 10 दिनों में जिले के चौपारण प्रखंड के 2 अति पिछड़े इलाकों से दो बिरहोर महिलाएं असमय मौत के काल में समा गई।


शनिवार को जमुनिया तरी गांव के विकास बिरहोर की पत्नी कुंती देवी उम्र लगभग 30 वर्ष की मौत कोडरमा अस्पताल पहुंचने से पूर्व हो गई । उसे शनिवार सुबह ही कोडरमा ले जाया गया था। बाद में एंबुलेंस से उसके शव को भेजा गया। इस संबंध में जानकारी देते हुए मृतका के पति विकास बिरहोर ने बताया कि बीते कुछ माह से उसकी पत्नी की तबियत खराब थी । बताया कि 15 दिन पूर्व उसे सामुदायिक अस्पताल चौपारण ले जाया गया जहां उसने पत्नी का इलाज कराया। परंतु उसकी स्थिति में सुधार नहीं हुआ। बाद में उसने अपने पत्नी को स्थानीय स्तर पर ही इलाज कराना आरंभ कर दिया। शुक्रवार को उसने अपने पत्नी को चोरदाहा के एक नीम हकीम चिकित्सक ओमप्रकाश से दिखाने के बाद रात में ही बिहार के शोभ तथा बाराचट्टी से अल्ट्रासाउंड तथा खून जांच करवाया। रात में निजी चिकित्सक उसे अपने पास रखने के बाद गंभीर हालत में देखते हुए रेफर कर दिया । परंतु परिजन उसे चौपारण न ले जाकर कोडरमा ले गये, जहां कुंती की मौत हो गई। मृतका के तीन बच्चे हैं । एक दूध मुंही बच्ची अपने पिता के गोद में ही बैठे थी। पति विकास लाचार होकर बस एक ही बात रटे जा रहा था कि पैसे रहते तो शायद में इलाज करा पाता । स्थानीय प्रशासन को इस संबंध में जानकारी दिए जाने के बाद तत्काल एम ओ भूपनाथ महतो को जमुनिया तरी भेजकर मृतक परिवार को 50 किलो अनाज तथा नगद 2000 की राशि बीडीओ प्रेमचंद सिन्हा ने दिलवाया।


चार दिन पूर्व शंकुतला बिरहोरिन की हुई मौत

चौपारण हजारीबाग
झारखंड बिहार सीमा के चोरदाहा स्थित बिरहोर टोला में बीते कुछ साल से बीमार पड़े महिला शंकुतला देवी पति गंदौरी बिरहोर ने आखिरकार दम तोड़ ही दिया। इलाज के अभाव में उसने अपने घर में तड़प तड़प कर ही जान दे दिया। बताते चलें कि वह गंभीर बीमारी से आक्रांत थी। परंतु उसका बेहतर इलाज उसे नहीं मिल पा रहा था । कई बार स्थानीय स्तर पर उसे सहायता पहुंचाने की कोशिश की गई । मुख्यधारा से अलग रह रहे इस जनजाति को सहायता की जरूरत है।

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