पाथरडीह वाशरी से 4.6 करोड़ रूपये का कोयला खनन विभाग के परिवहन चालान के बिना रेल से भेजा जा रहा रामगढ़

धनबाद : भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) की पाथरडीह वाशरी से 4.6 करोड़ रूपये का कोयला खनन विभाग के परिवहन चालान के बगैर निकल गया। बीते 13 जून को पाथरडीह साइडिंग से कोयला को रेलवे के रैक से रामगढ़ भेजा गया।यह कोयला संडोज कंपनी के लिए भेजा गया था। रामगढ़ के खनन अधिकारियों ने छानबीन की तो परिवहन चालान नहीं मिला।
कई बार संपर्क करने पर पांच दिन बाद बीसीसीएल प्रबंधन ने रामगढ़ के खनन पदाधिकारी को चालान दिखाया। वह भी पूरे कोयले का नहीं था। रामगढ़ के खनन कार्यालय ने यह मसला धनबाद के जिला खनन कार्यालय को भेज दिया। धनबाद के जिला खनन पदाधिकारी ने पाथरडीह वाशरी प्रबंधन को कारण बताओ नोटिस भेजा है। सात दिन के भीतर स्पष्टीकरण देने को कहा गया है। धनबाद के जिला खनन पदाधिकारी मिहिर सलकर ने बताया कि दो रैक कोयले की जांच हुई थी। एक रैक का परिवहन चालान था। दूसरे रैक का चालान नहीं मिला। पाथरडीह के वाशरी प्रोजेक्ट अफसर विपिन कुमार ने बताया कि संडोज कंपनी का कोयला एमईएएल साइडिंग जा रहा था।
रामगढ़ से मिले पत्र में कंपनी का जिक्र नहीं
प्रारंभिक जांच में यह बात आई है कि रेलवे के रैक में 38 सौ से चार हजार टन वाशरी ग्रेड का कोयला लादा गया। इसकी कीमत 10 से 12 हजार रूपये प्रति टन है। वाशरी ग्रेड का कोयला स्टील या पावर सेक्टर को भेजा जाता है। रामगढ़ के खनन कार्यालय द्वारा भेजे गए पत्र में बीसीसीएल के कोयले का उल्लेख है। यह जिक्र नहीं किया गया कि वो कोयला किस कंपनी में जा रहा था। धनबाद के खनन कार्यालय ने यह पता लगा लिया है कि किस कंपनी में कोयला जा रहा है। उस कंपनी के भी दस्तावेज की जांच होगी।
इस संबंध में रामगढ़ के जिला खनन पदाधिकारी रितेश गुप्‍ता का कहना है कि पाथरडीह वाशरी से कोयला को रेल के रैक में लादा गया था। जांच में परिवहन चालान नहीं मिला। कई बार संपर्क करने पर पांच दिन बाद चालान दिखाया गया। कुछ गड़बड़ है। धनबाद के खनन विभाग को मामला अग्रसारित किया गया है।
वहीं धनबाद के खनन पदाधिकारी मिहिर सलकर ने कहा कि रामगढ़ जिला से पत्र मिलते ही कार्रवाई शुरू की गई है। पाथरडीह वाशरी प्रबंधन से पूरे मामले को लेकर स्पष्टीकरण पूछा गया है। सात दिन में जवाब देने के लिए कहा गया है। बिना चालान के कोयला का रैक रामगढ़ जाना जांच का विषय है।
इधर, बीसीसीएल वाशरी के महाप्रबंधक सत्‍येंद्र कुमार का कहना है कि रैक को रेलवे द्वारा वजन किया जाता है। एक रैक में तकरीबन 38 सौ टन कोयला लादा जाता है। वजन के आधार पर ही परिवहन चालान कटता है। इसमें समय लगता है। मामला संज्ञान में है। संबंधित अधिकारियों से जानकारी ली जाएगी।
परिवहन चालान में होती है सारी जानकारी
खनिज के प्रेषण के लिए परिवहन चालान आवश्यक है, जो अब ऑनलाइन है। खनिज कहां से लाया गया, कहां भेजा जाएगा, मात्रा कितनी है, किस दिन कैसे प्रेषण होगा, गाड़ी संख्या क्या है, परिवहन में कितना समय लगेगा, यह सारी जानकारी परिवहन चालान में दर्ज होती है। चाहे कोई भी खनिज हो, निजी अथवा सरकारी कंपनी हो, खनिज को इधर से उधर ले जाने के लिए परिवहन चालान आवश्यक है। इसे ही माइनिंग चालान कहा जाता है। ऑनलाइन होने के कारण जहां भी खनिज का परिवहन मिले, वहीं से उसके परिवहन चालान को देखा जा सकता है।

Related posts