रांची। संस्कृत सेवा संघ की ओर से संस्कृत दिवस समारोह का आयोजन गुरुवार को किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कोल्हान विश्वविद्यालय चाईबासा के कुलपति प्रो गंगाधर पंडा ने कहा कि संस्कृत विश्वभाषा है, क्योंकि विश्व की अनेक भाषाओं पर इसका प्रत्यक्ष या परोक्ष प्रभाव दिखता है। कहा कि संस्कृत हमारी संस्कृति की आधारशिला है। संस्कृत मात्र एक भाषा नहीं, यह हमारा संस्कार है, संस्कृति है, हमारा इतिहास, हमारा जीवन दर्शन है। उन्होंने वेद के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि वेद ही मानवमात्र के लिए विकास का मार्ग प्रशस्त करते हुए सुख और शांति की स्थापना कर सकते हैं। वेदों का आश्रय ग्रहणकर समाज का चारित्रिक विकास किया जा सकता है। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर के संस्कृत विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो श्रीप्रकाश पांडेय ने कहा कि आज संस्कृत को एक सक्रिय जीवंत भाषा और सम्प्रेषण के एक प्रभावी माध्यम के रूप में पढ़ाने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए रांची विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ जय नारायण पांडेय ने कहा कि संस्कृत में लोगों को एकसूत्र में बांधने की अपूर्व क्षमता है। अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्कृत सेवा संघ के सचिव प्रो रामाशीष पांडेय ने संस्कृत के अध्ययन की प्रासंगिकता पर बल दिया। इस अवसर पर प्रो रामाशीष पांडेय रचित पुस्तक ‘शतकत्रयम् का विमोचन किया गया। धन्यवाद ज्ञापन जगदम्बा प्रसाद ने किया। मौके पर डॉ शैलेश कुमार मिश्र, डॉ अशोक प्रियदर्शी, डॉ० भारती द्विवेदी, डॉ सुधांशु शेखर मिश्र, डॉ धनंजय वासुदेव द्विवेदी आदि उपस्थित थे।
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