Dhanbad: क्या था बाघमारा में देशभक्ति या दिखावा दर्जनों एंबुलेंस फसा जाम मे समाजसेवी दिलीप दशौन्धी





दिलीप दशौन्धी एक सामाजिक कार्यकर्ता होने के नाते जिला अधिकारी से प्रश्न करना चाहता हु की आज आपने तिरंगा यात्रा की परमिशन तो दे दी पर साथ मे आप कुछ शर्तें भी लागू कर देते तो आम जन-जीवन को बहुत मेहरबानी होती
आज रैली के कुछ दुष्परिणाम जिसके बारे में किसी न शायद न सोचा,
जो स्कूली बच्चे 1 बजे दोपहर को घर पहुँच जाते है उनमे से 40% 3 बजे तक भी घर पहुँच न पाए, भूखे प्यासे बस यही निहारते रहे कि कब ये जाम हटेगा की हमलोग अपने अपने घर पहुच पाएंगे,
लाखो लोग बेवजह जाम के कारण फंसे परेशान रहे उनकी क्या गलती थी,

दर्जनों एम्बुलेन्स जाम के कारण फसे रहे, उन एम्बुलेंस में पड़े मरीज का पता नही बाद में क्या हुआ होगा ये कल के किसी पेपर में नही आएगा

और सबसे शर्मनाक बात जिसे भारत का कोई भी नागरिक बर्दास्त नही कर सकता, आज दर्जनों हमारा तिरंगा झंडा रोड में ऐसे गिरा पड़ा था जैसे कि कोई कागज का रद्दी हो,
जिस तिरंगे के लिए लोग मर मिटने के तैयार रहते है उसका भी अपमान, इससे ज्यादा शर्म की बात धनबाद के लिए और क्या हो सकती है उपायुक्त महोदय,
अपने निजी स्वार्थ मेयर का चुनाव जीतना हो या धनबाद से सांसद का टिकट लेना हो उस स्वार्थ के लिए तिरंगे का अपमान सच कहूं तो आज ग़ांधी जी के तीन बन्दरो की याद आ गयी
पुलिस प्रसाशन ने अपना काम बखूबी निभाया पर फिर अधिक भीड़ हो जाने के कारण कही कही वे लोग भी बेबस दिखे
इसी लिए मेरा उपायुक्त महोदय नम्र निवेदन है कि अगली बार जब भी आप किसी भी बड़े छोटे नेताओ को ऐसी रैलियों का परमिशन दीजियेगा तो इन सब बातों पर थोड़ा ध्यान दे दीजियेगा

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