झारखंड में स्वाइन फ्लू ने बढ़ाई चिंता, 1000 सुअरों को मारने की तैयारी




रांची : राज्य में अफ्रीकन स्वाइन फ्लू का खतरा बना हुआ है। पिछले दिनों बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी कांके के सूकर फॉर्म में कई सुअरों में इसकी पुष्टि हो चुकी है। करीब 1000 सुअरों को मारने की तैयारी भी है। अब विभिन्न जिलों में स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए सरकार ने तैयारी भी शुरू कर दी है। जिला पशुपालन कार्यालय के स्तर से सुअरों में स्वाइन फ्लू से सावधानी बरतने संबंधी सूचना जारी की जा रही है। संक्रमण के दौरान सुअरों की खरीद बिक्री, उसके मांस की बिक्री पर रोक लगाए जाने संबंधी निर्देश भी दिए हैं।

क्या सावधानी है जरूरी

जिला पशुपालन कार्यालय रांची टीम की ओर से कहा गया है कि असम में लगातार असामान्य रूप से सुअरों की मौत अफ्रीकन स्वाइन फीवर बीमारी के चलते हुई है। झारखंड में सूकर प्रजनन प्रक्षेत्र कांके में भी सुअरों की मौत के पीछे यही कारण है। यह बीमारी जानवरों से मनुष्यों में नहीं फैलती फिर भी कुछ सावधानी जरूरी है। इस बीमारी के कारण सुअरों को तेज बुखार आता है। भूख नहीं लगती व वह खाना छोड़ देता है। उल्टी एवं दस्त की समस्या होती है। कान, छाती, पेट एवं पैरों में लाल चकत्तेदार धब्बे आते है। वह लड़खड़ा कर चलता है। एक से तीन दिनों में जान चली जाती है। ऐसी स्थितियों को देखते सूकर फॉर्म में अनावश्यक कोई ना जाए। संक्रमण के बाड़े में अन्य जाति के पशुओं की आवाजाही पर रोक रहे। होटल का जूठन अगर पशुपालक सुअरों को देते हैं तो 20 मिनट उबाल लेने के बाद ही उसे दें। मृत सुअर, संक्रमित भोजन एवं मल को गहरा गड्ढा खोदकर चूने के साथ दफना दें। सुअर के बाड़े की हर दिन सफाई रोगनाशक घोल के साथ करें। असामान्य या अत्यधिक संख्या में सुअरों के मरने की स्थिति में नजदीकी पशु चिकित्सालय में सूचना दें।

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