झरिया में एक अजीबोगरीब घटना के तहत गुरुवार 6 अक्टूबर की सुबह 3 बजे सुदमडीह निवासी दिहाड़ी मजदूर सुखलाल मरांडी की मौत हो गई. शुक्रवार 8 अक्टूबर को दिन 10 बजे शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जा रहा था. तभी अर्थी पर लेटे सुखलाल मरांडी की सांसें चलने लगी. मुर्दे में जान आ गई और वह सब कुछ देखने लगा.इलाज के लिए भाग दौड़ करते रहे परिजन इस दृश्य को देख सभी के होश उड़ गए. उसे तुरंत पास के चासनाला स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया. उसकी सांसे चलती देख डॉक्टर ने उसे अन्यत्र रेफर कर दिया. फिर उसे पास के एक क्लिनिक में ले जाया गया और वहा से धनबाद एसएनएमएमसीएच रेफर कर दिया गया. वहां कई तरह की जांच की जा रही थी कि तभी फिर उसकी सांस रुक गई. कुल मिला कर 6 से 7 घंटे तक जीवित रहने के बाद उसने दम तोड़ दिया.
पहले चासनाला, फिर एसएनएमएमसीएच धनबाद
सुदामडीह थाना क्षेत्र के नीचे मोहलबनी के दिहाड़ी मजदूर सुखलाल मरांडी की मौत के बाद शव यात्रा के लिए अर्थी तैयार थी. परिवार के सभी लोग व रिश्तेदार अंतिम यात्रा में जाने के लिए तैयार थे. इसके पहले शव को नहलाने की प्रक्रिया चल रही थी. तभी मुर्दे ने खटिया पकड़ ली और आंखें खोल दी. परिजनों की आस जगी और उसे उठाकर ऑटो से सामुदायिक स्वास्थ केंद्र चासनाला ले गए. चिकित्सा पदाधिकारी डॉ प्रतिमा दत्ता ने उसकी गंभीर स्थिति देखकर धनबाद रेफर कर दिया. 108 एंबुलेंस की मदद से सुखलाल मुंडा को एसएनएमएमसीएच अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने इसीजी एवं अन्य जांच कर उसे मृत घोषित कर दिया. अंततः स्वजनों को दुखी कर चल बसा सुखलाल
परिजनों का कहना था कि स्वास्थ्य केंद्र ले गए, लेकिन डॉक्टर ने जांच नहीं की. डॉ प्रतिमा दत्ता का कहना है कि जांच कर रेफर कर रहे थे, तब तक उसे ले जाया गया. बहरहाल घंटों जिंदगी और मौत से लड़ाई लड़ने के बाद आखिरकार सुखलाल ने एसएनएमएमसीएच अस्पताल में अंतिम सांस ली. फिर पूरे विधि विधान के साथ उनकी अंतिम शव यात्रा निकाली गई.