धनबाद.कुडमी जाति को केंद्र द्वारा अनुसूचित जाति में शामिल होने से पुन:बाहर कर दिए जाने के कारण झारखंड के कुडमी जनजाति समाज में राज्य सरकार और केंद्र सरकार के प्रति भारी आक्रोश है. झारखंड प्रदेश आदिवासी कुडमी युवा मंच ने कुड़मी विरोधी राजनेताओं के खिलाफ शुक्रवार को सड़क पर उतर जोरदार आंदोलन किया.विभिन्न क्षेत्रों से सैकड़ों की संख्या में आए कुड़मी जाति के लोगों ने गोल्फ ग्राउंड से पैदल यात्रा निकाली. रणधीर वर्मा चौक पहुंचकर यह पैदल यात्रा सभा में तब्दील हो गई. युवा समाज ने आक्रोश दिखाते हुए सभी 12 लोक सभा सांसद और छह राज्यसभा सांसद के पुतले को सूली पर चढ़ाया गया और विरोध दर्शाया गया. उक्त कार्यक्रम का नेतृत्वकर्ता मंटू महतो ने अपने संबोधन में कहा झारखंड के कुडमी जनजाति राजनीतिक,आर्थिक,सांस्कृतिक बोली भाषा नेता धारी, रहन-सहन व्यवसाय दूसरी तरफ संवैधानिक पद अनुच्छेद 342- 1 के अनुसार यह समाज अपनी पूरी अहर्ता पूरी करने के बाद भी अकारण तत्कालीन कॉन्ग्रेस सरकार बगैर कारण के रीशेड्यूल नहीं किया. झारखंड के भूमि संपदा को लूटने चारागाह बनाने उपनिवेशवाद बनाने की मंशा से कुडमी जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल नहीं किया गया.तब से अभी तक निरंतर यह जनजाति झारखंड, बंगाल,उड़ीसा में अपने हक और पहचान के लिए संघर्षरत है.अब डीएनए भी वैज्ञानिक पक्ष में कुड़मी जाति को आदिवासी प्रमाणित करती हैं फिर क्यों केंद्र सरकार कुड़मी जाति को छांट दे रही है.मंटू महतो ने कहा केंद्र सरकार यहां आदिवासियों की संख्या को कम करना चाहती है ताकि छठी अनुसूची से झारखंड हमेशा बाहर रहे और यह राज्य आदिवासी राज्य नहीं बन पाए और धीरे-धीरे पांचवी अनुसूची भी खतरा में पड़ गया.केंद्र की बीजेपी सरकार चाहे तो कुड़मी जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल कर इस जनजाति को सुरक्षित कर सकती है.कार्यक्रम में चौधरी चरण महतो, हलधर महतो, दीपक महतो, विश्वनाथ महतो, शेखर महतो, बबलू महतो, सौरभ महतो, सचिन महतो मनीष महतो, सदानंद महतो, नरेश महतो, रिंकू मुखिया समेत अन्य लोग शामिल थे.
जम्मूतवी स्टेशन का पुनर्विकास कार्य किये जाने के कारण
ट्रेनों के परिचालन में बदलाव
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