धनबाद :श्री श्री राधा कृष्ण प्रेम मंदिर के तत्वाधान में सुरेंद्र हरिदास महाराज के सानिध्य में कार्मिक नगर, धनबाद में श्रीमद् भागवत कथा का समापन दिवस की शुरूआत विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई । जिसके बाद हरिदास सुरेंद्र महाराज ने सभी भक्तगणों को “दिल में ना जाने सतगुरु क्या रंग भर दिया है छोरेगें न अब दर तेरा इकरार कर लिया है ” भजन श्रवण कराया ।
कथा के प्रारंभ रूक्मिणी कृष्ण की विवाह की विशेष चर्चा और भगवान का 16108 का ब्याह क्यो हुआ विस्तार से कथा सुनाएं
जैसे किसी वस्त्र को धोने के लिए साबुन की जरूरत होती है वैसे ही मन के मैल को धोने के लिए गुरू की एवं भगवान के कथा की आवश्यकता होती है ।हरिदास सुरेंद्र महाराज ने मनुष्य के चरित्र को लेकर कहा- जितना चरित्र बेटियों के लिए जरूरी है उतना ही चरित्र बेटों के लिए भी जरूरी है । यदि बेटे सही हो तो बेटियां कहां गलत हो सकती हैं। जो लोग आपको गलत दिशा दिखाते हों उन्हें अपने जीवन का सबसे बड़ा शत्रु समझना।कथा के मध्य राज सिन्हा विधायक धनबाद पधारे जिन्होंने सुरेंद्र हरिदास महाराज एवं व्यास पीठ से आशीर्वचन प्राप्त किए ।व्यक्ति यदि किसी क्लास में फेल हो जाए तो उसके पास मौका होता है पुन: प्रयास करने का लेकिन यदि जिंदगी की क्लास में फेल हो गए तो जीवन दुबारा मौका नहीं देती।आज का समाज हमें पापी बना रहा है । आज के युग के लोग अपने मार्ग से भटकते जा रहे हैं । यह भागवत कथाएं ही हमें सही दिशा दिखाती हैं, यह कथाएं हमें बताती हैं कि हमें क्या करना चाहिए क्या नहीं करना चाहिए ।
सुरेंद्र हरिदास महाराज ने कथा के समापन दिवस पर सातों दिनों की कथा सभी भक्तों को श्रवण कराया । जिसके बाद आरती पूजन कर व्यास पीठ की परिक्रमा की गई । कथा समापन के दौरान उमड़े जन सैलाब में मौजूद सभी भक्त भजनों की धुन पर झुमते नजर आए। जिसके बाद सभी भक्तों ने भागवत जी को विदा किया। इस कथा को सफल बनाने में सत्यदेव साव, बनारसी चौरसिया, मुरली मनोहर अग्रवाल, सरिता राकेश अग्रवाल, परमानंद प्रसाद अखिलेश सिंह, रीमा देवी, विजय कुमार सिंह, अभिषेक रूडु, सत्यदेव रिटोरिया, उपेन्द्र मंडल संतोष कुम्हार, अमित सिंह, लालटू चौधरी, राजू सिंह, विवेक सिंह, रोहित साव, आदि सभी कार्मिक नगर बापुनगर के लोगों ने सहयोग किया।
जम्मूतवी स्टेशन का पुनर्विकास कार्य किये जाने के कारण
ट्रेनों के परिचालन में बदलाव
जम्मूतवी स्टेशन का पुनर्विकास कार्य किये जाने के कारण
ट्रेनों के परिचालन में बदलाव