धनबाद कार्तिक महीने के पवित्र पावन महीने में श्री श्री राधा कृष्ण प्रेम मंदिर के संस्थापक एवं कथा व्यास सुरेन्द्र हरीदास ने कहा की यह कथा श्री श्री आदित्यनाथ नंदेश्वर महादेव मंदिर के तत्वाधान में नंदी महाराज के पूर्ण स्थापना के शुभ अवसर पर अष्ट दिवसीय श्री मद्भागवत महापुराण कथा ज्ञान गंगा यज्ञ 01से 08 नवम्बर तक निर्मल वर्षों समय 2 बजे से 07 बजे तक बहेगी सदा सेव्या सदा सेव्या श्रीमद्भागवती कथा।
यस्या: श्रवणमात्रेण हरिश्चित्तं समाश्रयेत्।
श्रीमद्भागवत की कथा का सदा-सर्वदा सेवन, आस्वादन करना चाहिए। इसके श्रवणमात्र से श्रीहरि हृदय में आ विराजते हैं।
इस ग्रन्थमें अठारह हजार श्लोक और बारह स्कन्ध हैं तथा श्रीशुकदेव और राजा परीक्षित् का संवाद है। यह जीव तभी तक अज्ञानवश इस संसारचक्र में भटकता है, जबतक क्षणभर के लिये भी कानों में इस शुकशास्त्र की कथा नहीं पड़ती। बहुत-से शास्त्र और पुराण सुननेसे क्या लाभ है, इससे तो व्यर्थ का भ्रम बढ़ता है। मुक्ति देने के लिये तो एकमात्र भागवतशास्त्र ही गरज रहा है।जिस घर में नित्यप्रति श्रीमद्भागवत की कथा होती है, वह तीर्थरूप हो जाता है और जो लोग उसमें रहते हैं, उनके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। हजारों अश्वमेध और सैकड़ों यज्ञ इस शुकशास्त्र की कथा का सोलहवाँ अंश भी नहीं हो सकते। जब तक लोग अच्छी तरह श्रीमद्भागवत का श्रवण नहीं करते, तभी तक उनके शरीर में पाप निवास करते हैं।फल की दृष्टि से इस शुकशास्त्रकथा की समता गङ्गा, गया, काशी, पुष्कर या प्रयाग—कोई तीर्थ भी नहीं कर सकता।जो पुरुष अन्तसमय में श्रीमद्भागवत का वाक्य सुन लेता है, उस पर प्रसन्न होकर भगवान् उसे वैकुण्ठधाम देते हैं।
कलियुग में जीवों के उद्धार के लिए श्रीमद्भागवत ही एकमात्र उपाय है इस कथा सफल बनाने में प्रमुख रूप से नंदेश्वर महादेव मंदिर कमेटी सहित जितेन्द्र सिंह,गोपाल गौराई ,बबलू मोदक, जितेन्द्र शर्मा, कैलाश प्रसाद राय एवं समाज के सभी वर्गों के लोग सेवा दे रहे हैं।