14 नवंबर को मधुमेह दिवस पर विविध कार्यक्रम का होगा आयोजन : डॉ. एन.के. सिंह



धनबाद।14 नवंबर को हर साल की भांति विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाएगा. धनबाद एक्शन ग्रुप के संयोजक डॉक्टर एन के सिंह एवं चेयरमैन आरएसएसडीआई झारखंड चैप्टर एवं नेशनल एक्सक्यूटिव (रिसर्च सोसायटी फॉर स्टडी इन डायबिटीज इन इंडिया) ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी देते हुए बताया कि विश्व मधुमेह दिवस के उपलक्ष्य में विविध कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं।12 नवंबर को कोरंगा बस्ती में ग्रामीण मधुमेह जांच शिविर,13 को ( शहरी)मधुमेह जांच शिविर,14 को सुबह 8 बजे डायबिटीज रन वॉकिंग (सिटी सेंटर से रणधीर वर्मा चौक),हेल्दी ब्रेकफास्ट प्रोग्राम 9.30 बजे,गांधी सेवा सदन, दोपहर 2 बजे
ब्लू बैलून प्रोग्राम श्रमिक चौक पर होगा।उन्होंने आगे बताया 2022 में मधुमेह के इलाज में अभूतपूर्व परिवर्तन हुआ है. ऐसा कुछ नए शोधों के आने के बाद हुआ है।मेटफॉर्मिन,सल्फोनिलूरियाज जैसे सीटाग्लिप्टिन, विल्डागलिप्टिन , तेनालीग्लिपटिन जैसी दवा को शुरुआती दौर से इलाज में प्रयुक्त किया जाता रहा है. धीरे-धीरे कार्डियोवैस्कुलर शोध हुए और यह पता चला कि डायबिटीज में हार्ट की बीमारी हार्ट फैलियर , किडनी की खराबी ही मुख्य तौर से मृत्यु दर को बढ़ाती है।अगर हार्ट की बीमारी होने या किडनी से संबंधित शुरुआती जांच में जैसे पेशाब में एल्ब्यूमिन का आना या शुरुआती किडनी फैलियर के लक्षण है तो एसजीएलटी 2 इन्हिबिटर दवा रामबाण की तरह काम करती हैं।नए गाइडलाइंस जो यूरोपियन, अमेरिकन और आर एस एस डी आइ ने जारी किए हैं उसमें शुरुआती दौर से ही एसजीएलटी 2 इन्हिबिटर
को देने की सिफारिश की गई है, यह एक बड़ा परिवर्तन है. अब डापागलाइफलोजिन दवा जो पहले बहुत महंगी थी ,काफी सस्ती हो गई है और इसका उपयोग सही ढंग से होने लगा है.
जीएलपी-1 आर 1 ग्रुप की सिमगलु टाइड दवा भी अब हर जगह उपलब्ध है यह एक बहुत प्रभावकारी दवा है जो शारीरिक वजन को काफी कम करती ह. इंसुलिन का एक्शन बढ़ाती है, इंसुलिन का डोज कम हो जाता है और हृदय के लिए भी सुरक्षित है । अभी इसके 7 मिलीग्राम टेबलेट का मूल्य ₹350 के पास है और रोज एक लेना पड़ता है।तीसरी दवा टिरज़ेपाटाइड भारत में उपलब्ध नहीं है लेकिन जल्द ही उपलब्ध होने वाली है। यह दवा इतनी प्रभावकारी है कि 10 से 15 किलो तक वजन कम करती है और शुगर का नियंत्रण काफी सरल हो जाता है।टाइप वन डायबिटीज में भी ग्लूकोज मॉनिटरि, सीजीएम, आदि में बहुत परिवर्तन हुआ है और इससे मरीजों का जीवन काफी सरल हुआ है. नई इंसुलिन इस मायने में अद्भुत है कि इसे सप्ताह में मात्र एक बार देना पड़ता है और काफी इफैक्टिव है। अभी यह उपल्ब्ध नही है।
धीरे-धीरे टेक्नोलॉजी सुदूर क्षेत्रों में भी उपलब्ध हो गई है और कई मोबाइल एप्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा मॉनिटरिंग और सही इलाज संभव हो रहा है।डायबिटीज के शोध में अभी टाइम रिस्ट्रिक्टेड फीडिंग, इंटरमिटेंट फास्टिंग द्वारा रिमिशन ऑफ़ डायबिटीज पर काफी शोध चल रहा है और अगर 5 से 15 प्रतिशत अगर वजन को कम कर दिया जाए तो डायबिटीज से मुक्ति कुछ समय तक मिल जाती है। यह एक बड़ा संदेश है कि जिन कारणों से डायबिटीज होता है उसे कम कैलोरी और सही व्यायाम द्वारा रिवर्स कर दिया जाता है।भारत में कम उम्र के लोगों में बड़ी तेजी से डायबिटीज बढ़ रहा है इसका मुख्य कारण इंसुलिन की नाकामी जोकि गलत खानपान, पॉल्यूशन से संबंधित फैक्टर्स, शारीरिक श्रम की कमी है।आजकल ज्यादा देर रात में जगने और देर से रात्रि में खाना खाने, इन सब चीजों से नैसर्गिक सर्काडियन रिदम शरीर का टूट जाता है और यह भी डायबिटीज होने का एक कारण बन जाता है।आवश्यकता इस बात की है की स्कूलों में बच्चों को जो अच्छे भोज्य पदार्थ हैं उन पर बार-बार बताया जाए और एक घंटे शारीरिक व्यायाम को आवश्यक कर दिया जाए.
झारखंड आर एस एस डी आई इन दिनों विश्व मधुमेह दिवस के उपलक्ष में हर जिला में अपने मेंबरों को निर्देश दे चुका है की एसएमबीजी द्वारा नए केसों का डिटेक्शन किया जाए, खानपान और शारीरिक श्रम पर जागरूकता पैदा किया जाए,इसके लिए स्कूलों में डिटेक्शन कैंप, वॉकिंग और रनिंग के कार्यक्रम आदि आयोजित किए जाने हैं।दाग प्रोजेक्ट डायरेक्टर डा.लीना सिंह ने कहा कि डायबिटीज के दुष्परिणामों से हमारा समाज बुरी तरह पीड़ित है और इसे समय पर पहचानना और रोकना जरूरी है।प्रेस वार्ता को सफल बनाने में रमेश गांधी प्रेसिडेंट दाग ,सचिव धीरज, पूर्व प्रेसिडेंट डेंट रवि श्रीवास्तव, अजीत कुमार,सदस्य मुकेश झा, वीरेंद्र सोनी, लालू सिंह का काफी योगदान रहा।

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