अगर मनुष्य जीवन प्राप्त करने के बाद गौ माता से पैर लगा दे, अग्नि से पैर लगा दे और ब्राह्मण से पैर लगा दे तो ये संसार का सबसे बड़ा पाप है – पूज्य श्री सुरेन्द्र हरीदास जी महाराज
पूज्य श्री सुरेन्द्र हरीदास जी महाराज के सानिध्य में 12 नवंबर से 19 नवंबर तक श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है।
आज श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस की शुरूआत विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई। जिसके बाद पूज्य महाराज श्री ने सभी भक्तगणों को “हमने ब्रज के ग्वाले से अपना दिल लगाया है” भजन श्रवण कराया।
हरीदास जी ने पूतना वध, कालिया नाग मर्दन, माटी लीला माखन चोरी लीला, गोपी के वस्त्र चिर हरण लीला गोवर्धन पूजा 56 भोग
की अमृतमयी कथा सुनाएं
पूज्य महाराज श्री ने प्रभु से प्रेम की व्याख्या करते हुए कहा – प्रेम क्या होता है ये उन युवा युवतियों से पूछो जो एक दूसरे से मिलने के लिए खिड़कियों से कूद कर भाग जाते है, जब संसार के हड्डी मांस से इतना प्रेम हो सकता है कि खिड़की से कूड़ा दे तो सोचिये अगर ठाकुर जी से प्यार हो जाये तो क्या नहीं हो सकता। परन्तु सच ये है कि संसार से प्रेम होता है, संसार रचयिता से नहीं, भगवान से नहीं। और अगर भगवान से हो जाये तो एक अलग ही दुनिया की रचना होती है।
अगर कोई मनुष्य जीवन प्राप्त करने के बाद गौ माता से पैर लगा दे, अग्नि से पैर लगा दे और ब्राह्मण से पैर लगा दे ये संसार का सबसे बड़ा पाप है। इन तीनों को अपने चरण से कभी प्रहार नहीं करना चाहिए। क्यूंकि इन सभी में भगवान का अंश होता है। अगर ऐसा कोई करता है तो वो 14 इंद्रों की आयु तक नरक में रहता है।
सोचो कम, करो ज्यादा, रहो यंग इसे जीवन का नियम बना लो। अन्यथा आप अपनी उम्र से पहले बूढ़े हो जायेंगे। कल क्या होगा ये मत सोचो बल्कि कल क्या करना है ये सोचो। जो होगा उसे आप प्रभु पर छोड़ दो। और जो व्यक्ति ज्यादा सोचता है वही ज्यादा खुश रहता है।
हमें जन्म देने वालों को मम्मी डैडी नहीं कहना चाहिए ये हमारी संस्कृति नहीं है। हमें उन्हें माता पिता कहना चाहिए। क्यूंकि जिस देश ने अपनी संस्कृति खोई है उस देश का विनाश ही हुआ है। इसीलिए अगर आप अपने समाज को जिन्दा रखना चाहते हैं तो आपको अपनी संस्कृति को जिन्दा रखना पड़ेगा। संजीव साव, सोनी देवी, मोती लाल वर्मा, राधे कृष्णा राय, रीना देवी, प्रकाश लाडिया, कुणाल सिंह , वानर सेना, श्रवण अग्रवाल, सुमित कुमार,मंगर कूमार आदि सहित सभी समाज के लोगों का सहयोग रहा।
श्रीमद् भागवत कथा के सप्तम दिवस पर उद्धव चरित्र, रूक्मिणी विवाह, रास पंचाध्यायी का वृतांत सुनाया जाएगा।


