पूज्य श्री सुरेन्द्र हरीदास जी महाराज के सानिध्य में केन्दुआ#में 12 से 20 नवम्बर तक श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है ।
आज श्रीमद् भागवत कथा के समापन दिवस की शुरूआत विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई । जिसके बाद पूज्य महाराज श्री ने सभी भक्तगणों को “मेरे ठाकुर के दरबार में सब लोगों का खाता” भजन श्रवण कराया ।
आज कथा के समापन दिवस पर पूज्य महाराज श्री ने हिन्दू होने के दायित्व का वर्णन कर सभी भक्तों का मार्गदर्शन किया। आगे पूज्य महाराज श्री ने कहा- हिन्दुओं ने यह सोच रखा है धर्म को नुकसान पहुंचेगा तो भगवान की जिम्मेदारी है कि वो आए हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं है ।
आज के समय में प्रत्येक व्यक्ति को सिर्फ अपने ही काम से मतलब है, उसे धर्म से कोई मतलब नहीं होता है । इस धरती पर अधर्म बढ़ेगा तो भगवान आएंगे लेकिन यदि मनुष्य के घर में, मन में अधर्म बढ़ेगा तो व्यक्ति क्या करेगा ? आज का मनुष्य इतना आलस्य से भरा है कि वह अपने घर में धर्म की स्थापना नहीं कर सकता वह सिर्फ और सिर्फ भगवान के भरोसे ही सारे काम कर लेना चाहता है ।
पूज्य महाराज श्री ने धर्म परिवर्तन की बात पर भारत सरकार से प्रार्थना किया और कहा- भारत सरकार देश में एक ऐसा कानून बना दे जो विशेषता: हिन्दुओं का धर्म परिवर्तन कराने की कोशिश करे उसे दण्डनीय अपराध घोषित हो जाना चाहिए । आज के समय में धर्म परिवर्तन किया जा रहा है ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि हम जागरूक नहीं हैं । हर सनातनियों से निवेदन है कि अपने बच्चों को इस लायक बनाओ कि वो भगवान के आगे कुछ देर बैठ सके।
बॉलीवुड में बनने वाली फिल्मों की तुलना साउथ में बन रही फिल्मों से करते हुए पूज्य महाराज श्री ने कहा- बॉलीवुड के निर्माताओं से लाख गुना अच्छे हैं साउथ फिल्मों के निर्माता क्योंकि वहां का अभिनेता भी तिलक लगा कर रखता है और हर देवी-देवताओं की पूजा करते हैं । बॉलीवुड के लोग हमारे देवी- देवताओं का मजाक उड़ाते हैं।
साधु-संतों एवं महात्माओं के साथ हो रहे दुर्व्यवहार पर पूज्य महाराज श्री ने कहा- सिर्फ साधुओं एवं संतों को ही बच्चा चोर समझ के क्यों पकड़ा गया ? किसी पादरी, किसी मौलवी को क्यों नहीं पकड़ा गया? हमारे समाज के लोगों में ही कमी है क्योकि वो खुद के बारे में पहले सोचते है।
किसी के साथ यदि दुर्व्यवहार हो तो हर एक सनातनी को खड़े होकर आवाज उठानी चाहिए और सभी को एक स्वर में बोलना होगा कि यदि किसी ने भी हमारे भगवान को, हमारे साधु-संतों को, देवी-देवताओं को, कथाकार को, हमारी संस्कृति को अगर उल्टा-सीधा कहेगा तो पूरा भारत देश उसके साथ खड़ा होगा और बदला लेगा।
कथा के समापन दिवस पर भागवत विदाई की गई । जिसके बाद कृष्ण सुदामा की झांकी निकाली गई जिसका दर्शन सभी भक्तजनों ने किया। उसके बाद वृंदावन की फूलों की होली खेली गई सभी आयोजन में साथ देने वालो में संजीव साव सोनी देवी मोती लाल वर्मा, प्रकाश लाडिया कुणाल सिंह, वानर सेना, संजय जालान, श्रवण अग्रवाल, सुमित खण्डेलवाल, राधे कृष्णा राय, रीना देवी,मंगल कुमार, आदि सभी समाज के लोगों का सहयोग रहा।