धनबाद:श्री श्री राधा कृष्ण प्रेम मंदिर के तत्वाधान में पूज्य श्री सुरेन्द्र हरीदास जी महाराज के पावन सानिध्य में18 से 25 दिसम्बर 2022 तक रानी बांध धैया सरस्वती मंदिर के प्रांगण में श्रीमद्भागवत कथा का विशाल आयोजन किया जा रहा है। सुरेन्द्र हरीदास महाराज ने कथा की शुरुआत करते हुए कथा पंडाल में बैठे सभी भक्तों को भजन सांवरे से मिलने का सत्संग ही बहाना है,श्रवण कराया।
सुरेन्द्र हरीदास महाराज ने कथा की शुरूआत करते हुए कहा कि श्रीमद् भागवत कथा हमें अपराध करने से रोकती है साथ में भगवान की भक्ति करने की प्रेरणा देती है सिखाती है बताती है क्या करना चाहिए और क्या नहीं।
मनुष्य को अपने जीवन में सदैव गुरु बनाना चाहिए। परमपिता परमात्मा की बनाई हुई सभी वस्तुओं से हमें कुछ न कुछ सीखने को मिलता है। श्रीमद्भागवत पुराण हम सभी को जीवन यापन करना सिखाती है। मनुष्य को संतोषी होना चाहिए। चतुर इंसान वही है जो सदुपयोग करें अपने अच्छे समय का अच्छे समय में आप जितने सत्कर्म कर लेंगे वही आपके काम आने वाला है। जो जीव श्रीमद्भागवत कथा पुराण का श्रवण करता है उसका अंत: करण शुद्ध हो जाता है पाप नष्ट हो जाते हैं। यह कथा मनुष्य को इस भवसागर से तार देने वाली है। सुरेन्द्र हरीदास महाराज ने कथा का वृतांत सुनाते हुए कल का कथा क्रम याद कराया की राजा परिक्षित को श्राप लगा कि सातवें दिन तुम्हारी मृत्यु सर्प के डरने से हो जाएंगी। जिस व्यक्ति को यहाँ पता चल जाये की उसकी मृत्यु सातवें दिन हो वो क्या करेगा क्या सोचेगा ? राजा परीक्षित ने यह जान कर उसी क्षण अपना महल छोड़ दिया। राजा परीक्षित ने अपना सर्वस्व त्याग कर अपनी मुक्ति का मार्ग खोजने निकल पड़े गंगा के तट पर। गंगा के तट पर पहुंचकर जितने भी संत महात्मा थे सब से पूछा की जिस की मृत्यु सातवें दिन है उस जीव को क्या करना चाहिए। किसी ने कहा गंगा स्नान करो, किसी ने कहा गंगा के तट पर आ गए हो इससे अच्छा क्या होगा, हर की अलग अलग उपाय बता रहा है। तभी वहां भगवान शुकदेव जी महाराज पधारे, जब राजा परीक्षित भगवान शुकदेव जी महाराज के सामने पहुंचे तो उनको राजा ने शाष्टांग प्रणाम किया। शाष्टांग प्रणाम करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। शुकदेव जी महाराज जो सबसे बड़े वैरागी है चूड़ामणि है उनसे राजा परीक्षित जी ने प्रश्न किया कि हे गुरुदेव जो व्यक्ति सातवें दिन मरने वाला हो उस व्यक्ति को क्या करना चाहिए? किसका स्मरण करना चाहिए और किसका परित्याग करना चाहिए? कृपा कर मुझे बताइये… अब शुकदेव जी ने मुस्कुराते हुए परीक्षित से कहा की हे राजन ये प्रश्न केवल आपके कल्याण का ही नहीं अपितु संसार के कल्याण का प्रश्न है। तो राजन जिस व्यक्ति की मृत्यु सातवें दिन है उसको श्रीमद भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए तो उसका कल्याण निश्चित है। श्रीमद भागवत में 18000 श्लोक, 12 स्कन्द और 335 अध्याय है जो जीव सात दिन में सम्पूर्ण भागवत का श्रवण करेगा वो अवश्य ही मनोवांछित फल की प्राप्ति करता है। राजा परीक्षित ने शुकदेव जी से प्रार्थना की हे गुरुवर आप ही मुझे श्रीमद भागवत का ज्ञान प्रदान करे और मेरे कल्याण का मार्ग प्रशस्थ करे।भगवान मानव को जन्म देने से पहले कहते हैं ऐसा कर्म करना जिससे दोबारा जन्म ना लेना पड़े। मानव मुट्ठी बंद करके यह संकल्प दोहराते हुए इस पृथ्वी पर जन्म लेता है। प्रभु भागवत कथा के माध्यम से मानव का यह संकल्प याद दिलाते रहते हैं। भागवत सुनने वालों का भगवान हमेशा कल्याण करते हैं। भागवत ने कहा है जो भगवान को प्रिय हो वही करो, हमेशा भगवान से मिलने का उद्देश्य बना लो, जो प्रभु का मार्ग हो उसे अपना लो, इस संसार में जन्म-मरण से मुक्ति भगवान की कथा ही दिला सकती है। भगवान की कथा विचार, वैराग्य, ज्ञान और हरि से मिलने का मार्ग बता देती है। राजा परीक्षित के कारण है भागवत कथा पृथ्वी के लोगो को सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। समाज द्वारा बनाए गए नियम गलत हो सकते हैं किंतु भगवान के नियम ना तो गलत हो सकते हैं और नहीं बदले जा सकते हैं।
कथा सफल करने वाले में मुरली मनोहर अग्रवाल, विरेन्द्र भगत केदारनाथ मित्तल, श्याम पांडे, रमेश राय,मिहिर दत्ता टिंकू सरकार पप्पू सिंह, रंजीत जायसवाल अमृत सिंह गोपालनाथ नंदू रजक प्रकाश दे झूलन सिंह राजेन्द्र रजक गोपाल नाग सुदीप दत्ता मोनू दीपक, रितेश , संतोष आदि सेवा में सक्रिय थे।
![](https://i1.wp.com/azadduniyanews.com/wp-content/uploads/2021/10/WhatsApp-Image-2021-10-17-at-2.03.05-PM.jpeg?w=640)
![](https://i2.wp.com/azadduniyanews.com/wp-content/uploads/2021/10/WhatsApp-Image-2021-10-17-at-2.05.18-PM-1024x261.jpeg?resize=640%2C163)