श्रीमद् भागवत कथा का पंचम दिवस हमें तीन चीजों पर हमेशा नियंत्रण रखना चाहिए आंख कान और वाणी: सुरेंद्र हरिदास महाराज



धनबाद सुरेन्द्र हरीदास महाराज के सानिध्य में श्री श्री राधा कृष्ण प्रेम मंदिर के तत्वावधान धैया रानी बांध पुजा समिती एवं प्रमुख यजमान परिवार अशोक गुप्ता सधर्मपत्नी सुधा गुप्ता के सहयोग मे 18से 25 दिसंबर तक श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। गुरुवार को श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस की शुरूआत विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई। जिसके बाद महाराज ने सभी भक्तगणों को राधे तेरा घर अंगना फुलों सा महकता है भजन श्रवण कराया।भगवान के श्री मुख से निकली हुई गंगा एक एक वचन धर्म की राह को दिखाता है और जीवन को सफल बनाता है। जहाँ संत है वहां बसंत है और जहाँ बसंत है वहां दुःखों का अंत है। महाराज के श्री मुख से श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करना ये सौभाग्य की बात है। जिस घर में पत्नी की चलती है ऐसे कुछ घर सुखी हो सकते है, जहाँ पति की चलती है ऐसे भी कुछ घर सुखी हो सकते है और जहाँ पति, पत्नी , माता, पिता की चलती है ऐसे भी कुछ घर सुखी हो सकते हैं, लेकिन जिस घर में पति, पत्नी , माता, पिता और भगवान की चलती है ऐसे सभी घर सुखी रहते हैं।सुरेन्द्र हरीदास महाराज के यहां हर पूर्णिमा के दिन श्री श्री राधा कृष्ण प्रेम मंदिर लोयाबाद पधारे और अपने ठाकुर का दर्शन कर जीवन को पवित्र खुशहाल बनाईए जो 11 पुर्णिमा पधारते हैं मेरा गोविंद उसे सबकुछ देते हैं।
हमारे संस्कार हमें बताते हैं कि हम सुयोग्य हैं या अयोग्य हैं। हमारा बोलना, चलना, कर्म करना ये सब हमें बताता है कि हमारे लक्षण सुयोग्य हैं या अयोग्य हैं।हमारी संस्कृति में दो सबसे प्रिय पुराण है, रामायण और श्रीमद् भागवत। रामायण हमें जीना सिखाती है और भागवत हमें मरना सिखाती है। जीवन जीना सीख लिया तो भी कल्याण है और अगर जीवन जीना नहीं सीख पाए तो मरना तो सीख ही लो कि कैसे मरना चाहिए। हमें ऐसी मृत्यु नहीं मरना चाहिए जिसके बाद हमें कई बार मरना पड़े। इसीलिए इस प्रकार मरना चाहिए कि फिर दोबारा मरना न पड़े। ऐसी मृत्यु सिर्फ मनुष्य योनि में ही मिल सकती है। इस मृत्यु को सुधारा कैसे जाये ये भागवत सिखाती है। हमें तीन चीजों पर हमेशा नियंत्रण रखना चाहिए – आँख कान और वाणी। ये तीनों पाप के द्वार है। जिनका अपनी आँखों पर नियंत्रण नहीं है वो आँखों से पाप करते है, जिनका अपने कानों पर नियंत्रण नहीं है वो वो कानों से पाप करते है और जिनका अपनी वाणी पर नियंत्रण नहीं होता है वो वाणी से पाप करते हैं। जिनका अपनी आँखों पर नियंत्रण नहीं है वो कुछ भी देखते हैं, जिनका अपने कानों पर नियंत्रण नहीं है वो कुछ भी सुनते है और जिनका अपनी वाणी पर नियंत्रण नहीं है वो कुछ भी बोलते हैं। और इन सब मैं प्रमुख हैं हमारी आँखें क्यूंकि आँखें जो देख लेती हैं वही सुनना चाहती है वही बोलना चाहती हैं।
जब तक हमारे जीवन में मोबाइल नहीं था तब तक जीवन बहुत सुन्दर था। और जब से मोबाइल आया है इसका हमने ग़लत उपयोग किया है। अगर आज हम सोशल मीडिया पर कुछ अच्छा भी देखने जाते है तो न चाहते हुए भी हमें ग़लत चीजें दिख जाती हैं। माता पिता हमें सिर्फ कोई वस्तु दे सकते हैं लेकिन उसका उपयोग करना है या अनुपयोग करना है ये आपके हाथ में है। भगवान ने हमें सत्संग दिया है अब इस सत्संग से हमें कौन से मोती चुनने हैं कौन से हीरे चुनने है कौन से वो बिंदु चुनने है जिससे मेरा जीवन सुधर जाए, मेरी मृत्यु सुधर जाये ये हम पर निर्भर करता है।इसके बाद महाराज के सानिध्य में सभी भक्तों ने श्री कृष्ण जन्मोत्सव को बड़ी धूमधाम से मनाया। पुरी धैया वृंदावन के रंग में रंग गया कथा सफल करने वाले में अशोक गुप्ता सधर्मपत्नी सुधा गुप्ता, मुरली मनोहर अग्रवाल, विरेन्द्र भगत केदारनाथ मित्तल, श्याम पांडे, रमेश राय,मिहिर दत्ता टिंकू सरकार पप्पू सिंह, रंजीत जायसवाल, अमृत सिंह,गोपालनाथ,नंदू रजक, प्रकाश दे, झूलन सिंह, राजेन्द्र रजक, गोपाल नाग, सुदीप दत्ता, मोनू दीपक, रितेश ,संतोष आदि सेवा में लगे हुए हैं।
श्रीमद् भागवत कथा के षष्ठम दिवस पर भगवान कृष्ण की बाललीला, गोवर्धन पूजा, छप्पन भोग का वृतांत सुनाया जाएगा।

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