धनबाद:आज लिंडसे क्लब और लाइब्रेरी में तीन दिवसीय लघु पत्रिका मेले की शुरुआत हुई। इस मेले का आयोजन शिल्पे अनन्या एवं लिंडसे क्लब एंड लाइब्रेरी हीरापुर , धनबाद द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है। यह मेला 25 दिसंबर तक चलेगा। इस मेले के कार्यक्रम में देश के जाने – माने लेखक, साहित्यकार , कवि और संपादक भाग ले रहें है। इस लघु पत्रिका मेले के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय धनबाद के कुलपति प्रो. डॉ. सुखदेव भुई थे। विशिष्ठ अतिथि थे एमेरिटस मेडिकल साइंटिस्ट,चितरंजन कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट कोलकाता ,से अवकाश प्राप्त सौमित्र कुमार चौधुरी । इनके अलावा लिंडसे क्लब एंड लाइब्रेरी धनबाद के अध्यक्ष डॉ. अमलेंदु सिन्हा,शिल्पे अनन्या पत्रिका के संपादक एवं लिंडसे क्लब एंड लाइब्रेरी हीरापुर,धनबाद के सचिव प्रो. डॉ. दीपक कुमार सेन, भारत ज्ञान विज्ञान समिति के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. काशी नाथ चटर्जी, सुबरना बनर्जी,साइंस राइटर एंड फॉर्मर डायरेक्टर सह एसआरसी त्रिपुरा के प्रो. बी.जी. मजूमदार, भारत सेवाश्रम संघ पथरिया दुमका से स्वामी नित्यब्रतानंद। सांस्कृतिक कार्यक्रम में जाने – माने भारत नाट्यम के विशारद प्रो. राहुल देव मंडल,अन्य में आलोक बनर्जी, परेशनाथ बनर्जी आदि मौजूद थे।सर्व प्रथम सांस्कृतिक कार्यक्रम में सिमंती व इनके समूह द्वारा मुख्य अतिथि का स्वागत किया गया। सभी मंचासीन व्यक्तियों को पुष्पगुच्छ देकर उनका अभिनंदन किया गया। इसके पश्चात दीप प्रज्जवलित कर व सरस्वती वंदना कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई।प्रो. डॉ. दीपक कुमार सेन ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि धनबाद और देश में अनेकों पत्र – पत्रिकाओं का प्रकाशन होता है।यह मेला धनबाद में आयोजित तीसरा लिटिल मैगजीन मेला है।
उन्होंने यह भी कहा कि देश की विभिन्न भाषाओं में
लघु पत्रिकाएं निकल रही है।इस आयोजन की थीम भगवान बिरसा मुंडा , पंडित ईश्वर चंद्र विद्यासगर और जगदीश चंद्र बसु पर केंद्रित है।पंडित ईश्वर चंद्र विद्यासागर समाज में फैली बुराइयों को दूर करने का काम किया वे समाज सुधारक थे उन्होंने स्त्रियों के उत्थान के लिए बालिका विद्यालयों की स्थापना कराई और विधवा विवाह के लिए कानून बनवाया।विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक सर जगदीशचंद्र बसु का अंतिम समय झारखंड के गिरीडीह में बिता।उन्होंने जीव – विज्ञान में महत्वपूर्ण काम किया और बताया की पेड़ – पौधे भी मनुष्य की तरह संवेदनशील होते है और वे भी हंसते है, दुःख का अनुभव करते है। भारत ज्ञान विज्ञान समिति के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. काशी नाथ चटर्जी द्वारा अपने उद्बोधन में कहें की आज लघु पत्रिका के तीन दिवसीय मेला में त्रिपुरा , बिहार , बंगाल व तमाम राज्यों और जिलों से आए लेखक , कवि , साहित्यकार और सांस्कृतिक कार्यक्रम के कलाकार व उपस्थित लोगों का अभिवादन करते हुए कहें की आज से पहले तीन दिनों तक पौष मेला का आयोजन हो चुका है। आज से शिल्पे अनन्या” एवं लिंडसे क्लब एंड लाइब्रेरी हीरापुर,धनबाद के संयुक्त तत्वावधान में ये तीसरा मेला का आयोजन की जा रही है।आज का वर्तमान समय डिजिटल का जमाना है। कुछ लोग पेन और डिजिटल भी है परंतु कुछ लोग अर्थात 34 करोड़ लोग कुछ भी नही जानते है।आज बर्न कुमार मजूमदार जैसे लेखक और साहित्यकार मौजूद है। भारत ज्ञान विज्ञान समिति के 430 किताबे है जिसमें प्रत्येक किताबे लघु व आंदोलन है।उक्त किताबों से आम लोगो को सीखने का अवसर मिलेगा।लिंडसे क्लब एंड लाइब्रेरी हीरापुर धनबाद के अध्यक्ष डॉ. अमलेंदु सिन्हा द्वारा सभी मंचासिन व उपस्थित प्रबुद्धजनों को स्वागत करते हुए कहें की धनबाद कोल कैपिटल है, यहां ऊर्जा का भंडार ना केवल खनिज के रूप में अपितु शिक्षा व लेखन के क्षेत्र में भी है।लिटिल मैगजीन है तो छोटा पर धनबाद के लिए एक आंदोलन है।धनबाद तथा आस- पास के जिलों में इसका प्रभाव रहा है तथा इसमें सुधार भी हुआ है।विशिष्ट अतिथि डॉ. सौमित्रा चोधुरी द्वारा लिटिल मैगजीन मेला में संबोधित करते हुए कहें की इस कार्यक्रम को करने के लिए शिल्पे अनन्या एवं लिंडसे क्लब एंड लाइब्रेरी हीरापुर,धनबाद को आभार व्यक्त किए की आज के इस डिजिटल युग में भी पत्रिका को जीवित रखें है।हिंदी बोलना नही आता पर हिंदी साहित्य को पढ़ा है,प्रेम चंद आदि साहित्यकार के पुस्तकों को पढ़े है,स्वयं के द्वारा कुछ हिंदी साहित्य को अनुवाद भी किए है, साहित्य में अंत: मन की भाव को समझना ही सफलता है।मुख्यातिथि प्रो. डॉ. सुकदेव
भूई अपने लघु पत्रिका मेला को संबोधित करते हुए कहें की इस तरह के कार्यक्रम में हमें अविभूतियां मिलती है जिस तरह धनबाद में बंगाली मानुष के द्वारा हमे सम्मानित किया गया ऐसा मुझे पूर्व आभाष भी नही था मैं उड़ीसा से ही बंगला भाषियों के बीच रहते हुए आसाम के सिलचर, बनारस आदि जगहों में भी बंगला भाषियों के संपर्क में रहा हूं।आज के इस कार्यक्रम में विभिन्न जगहों से विद्वान,कवि,लेखक, साहित्यकार आए हुए है वैसे तो मेरे द्वारा विभिन्न मेलों में जाना हुआ है परंतु जिस तरह का वातावरण और चर्चाएं यहां हो रही है वह प्रसंसनीय है आज डिजिटल के साथ – साथ हमे पढ़ने और लिखने का भी अभ्यास निरंतर रखना होगा तभी हमारा मानसिक विकास संभव है।इसके पश्चात भारत ज्ञान विज्ञान समिति से सीमंती कुमारी व इनके समूह तथा राहुल देव मंडल व अनुस्वा सुर मंडल द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत भरत नाट्यम प्रस्तुत किया गया। इस पुस्तक मेला में शिल्पे अनन्या पत्रिका , ज्ञान विज्ञान समिति झारखंड , डाना ( आसनसोल) , अरत्रिक , मध्यबाला ( छत्तीसगढ़) , बिहार बंगाली समिति , मौऊल ( बाकुंडा ) , वर्णमाला ( धनबाद),
सैली ( झरिया) और कोयलांचल प्रखर साहित्यकार व लेखक अजीत राय के प्रकाशन शहर पाबलीकेशंस, झारखंड द्वारा पुस्तकों के स्टॉल लगाए गए ।