मनुष्य को धर्म को मानने और न मानने से पहले धर्म को जानना चाहिए: सुरेन्द्र हरीदास महाराज



धनबाद :सुरेन्द्र हरीदास महाराज के पावन सानिध्य में श्री श्री राधा कृष्ण प्रेम के तत्वाधान मे प्रमुख यजमान परिवार अशोक गुप्ता सधर्मपत्नी सुधा गुप्ता एवं रानी बांध पुजा समिती के सेवा सहयोग से 18 से 25 दिसंबर तक श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। श्रीमद् भागवत कथा के सप्तम दिवस की शुरूआत विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई। जिसके बाद महाराज सभी भक्तगणों को कृष्ण प्रेममयी राधा राधा प्रेममयो हरी भजन श्रवण कराया।
जिस घर के बर्तन बिखरे रहते हुए हैं, टूटे हुए होते हैं और टूटे हुए बर्तनों में भोजन किया जाता है उस घर में कभी लक्ष्मी नहीं ठहरती है। जिस घर में स्त्री पति के विपरीत होती है दोनों में लड़ाई रहती है उस घर में भी लक्ष्मी नहीं ठहरती है। जिस घर में सफाई नहीं रहती है लक्ष्मी जी उस घर में भी नहीं ठहरती हैं। जो मनुष्य गीले पैरों से बिना पैर धोए सोता है वहां भी लक्ष्मी नहीं ठहरती है। मनुष्य जीवन में संत और बसंत दोनों महत्वपूर्ण हैं क्यूंकि जब बसंत आता है तो संसार महक जाता है और जब संत आता है तो जीवन महक जाता है।
आज का मनुष्य जो सबसे बड़ी ग़लती करता है वो है कि अपनी मर्ज़ी के अनुसार धर्म का अर्थ निकालता है। वह जिसमें खुद को आरामदेह समझता है उसी को धर्म का नाम दे देता है। जितना प्रेम मनुष्य अपने बेटे से, बेटी से, माता पिता से, पति पत्नी से करता है यदि उतने प्रेम 10 % भी भगवान से कर लोगे तो मनुष्य जीवन का उद्धार हो जायेगा।मनुष्य बिना जाने ही धर्म को मानने से मना करता है। धर्म को मानने और न मानने से पहले धर्म को जानना चाहिए। मनुष्य को कभी भी नग्न अवस्था में आध्यात्मिक नदियों में स्नान नहीं करना चाहिए। हमारे धर्म में जो हमें निष्ठा नहीं है, विश्वास नहीं है अपने आरध्य पर विश्वास नहीं है यहीं हमारे जीवन में अशांति का कारण है।
सुरेन्द्र हरीदास महाराज ने कथा का वृतांत सुनाते हुए कहा कि बिना साधना के भगवान का सानिध्य नहीं मिलता। द्वापर युग में गोपियों को भगवान श्री कृष्ण का सानिध्य इसलिए मिला, क्योंकि वे त्रेता युग में ऋषि – मुनि के जन्म में भगवान के सानिध्य की इच्छा को लेकर कठोर साधना की थी। शुद्ध भाव से की गई परमात्मा की भक्ति सभी सिद्धियों को देने वाली है। जितना समय हम इस दुनिया को देते हैं, उसका 5% भी यदि भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में लगाएं तो भगवान की कृपा निश्चित मिलेगी।
सुरेन्द्र हरीदास महाराज ने कहा कि गोपियों ने श्री कृष्ण को पाने के लिए त्याग किया परंतु हम चाहते हैं कि हमें भगवान बिना कुछ किये ही मिल जाये, जो की असम्भव है। महाराज ने बताया कि शुकदेव जी महाराज परीक्षित से कहते हैं राजन जो इस कथा को सुनता हैं उसे भगवान के रसमय स्वरूप का दर्शन होता हैं। उसके अंदर से काम हटकर श्याम के प्रति प्रेम जाग्रत होता हैं। जब भगवान प्रकट हुए तो गोपियों ने भगवान से 3 प्रकार के प्राणियों के विषय में पूछा। 1.एक व्यक्ति वो हैं जो प्रेम करने वाले से प्रेम करता हैं। 2.दूसरा व्यक्ति वो हैं जो सबसे प्रेम करता हैं चाहे उससे कोई करे या न करे।
3.तीसरे प्रकार का प्राणी प्रेम करने वाले से कोई सम्बन्ध नही रखता और न करने वाले से तो कोई संबंध हैं ही नही। आप इन तीनो में कोनसे व्यक्ति की श्रेणियों में आते हो? भगवान ने कहा की गोपियों! जो प्रेम करने वाले के लिए प्रेम करता हैं वहां प्रेम नही हैं वहां स्वार्थ झलकता हैं। केवल व्यापर हैं वहां। आपने किसी को प्रेम किया और आपने उसे प्रेम किया। ये बस स्वार्थ हैं। दूसरे प्रकार के प्राणियों के बारे में आपने पूछा वो हैं माता-पिता, गुरुजन। संतान भले ही अपने माता-पिता के , गुरुदेव के प्रति प्रेम हो या न हो।
लेकिन माता-पिता और गुरु के मन में पुत्र के प्रति हमेशा कल्याण की भावना बनी रहती हैं। लेकिन तीसरे प्रकार के व्यक्ति के बारे में आपने कहा की ये किसी से प्रेम नही करते तो इनके 4 लक्षण होते हैं- आत्माराम- जो बस अपनी आत्मा में ही रमन करता हैं। पूर्ण काम- संसार के सब भोग पड़े हैं लेकिन तृप्त हैं। किसी तरह की कोई इच्छा नहीं हैं। कृतघ्न – जो किसी के उपकार को नहीं मानता हैं। गुरुद्रोही- जो उपकार करने वाले को अपना शत्रु समझता हैं। श्री कृष्ण कहते हैं की गोपियों इनमे से मैं कोई भी नही हूँ। मैं तो तुम्हारे जन्म जन्म का ऋणियां हूँ। सबके कर्जे को मैं उतार सकता हूँ पर तुम्हारे प्रेम के कर्जे को नहीं। तुम प्रेम की ध्वजा हो। संसार में जब-जब प्रेम की गाथा गाई जाएगी वहां पर तुम्हे अवश्य याद किया जायेगा। कथा सफल करने वाले में अशोक गुप्ता सधर्मपत्नी सुधा गुप्ता, मुरली मनोहर अग्रवाल निर्मला देवी नंदु रजक उषा रजक टिंकू सरकार मीना सरकार मिहिर दत्ता अमिता दत्ता , विरेन्द्र भगत केदारनाथ मित्तल, श्याम पांडे, रमेश राय पप्पू सिंह, रंजीत जायसवाल अमृत सिंह गोपालनाथ प्रकाश दे झूलन सिंह राजेन्द्र रजक गोपाल नाग सुदीप दत्ता मोनू दीपक, रितेश , संतोष आदि सेवा में हैं।
श्रीमद् भागवत कथा के अष्टम दिवस द्वारिका लीला, सुदामा चरित्र, परीक्षित मोक्ष, व्यास पूजन पूर्णाहुति का वृतांत सुनाया जाएगा।

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