Posted by Dilip pandey
कोयलांचल में उद्योग बंद कराने के लिए पहले लाल झंडा को दोषी माना जाता था लेकिन अब किसी भी दल को कोई परहेज नहीं है. जिस दल की सरकार चल रही हो ,उस दल के लोग भी आंदोलन में पीछे नहीं रहते. एक तो उद्योग खुलते नहीं है ,अगर एक- आध खुल भी गए तो वहां चींटी -माटा की तरह यूनियनबाजी की आड़ में “खेल” शुरू हो जाता है.
धनबाद-:कोयलांचल में उद्योग बंद कराने के लिए पहले लाल झंडा को दोषी माना जाता था लेकिन अब किसी भी दल को कोई परहेज नहीं है. जिस दल की सरकार चल रही हो ,उस दल के लोग भी आंदोलन में पीछे नहीं रहते. एक तो उद्योग खुलते नहीं है ,अगर एक- आध खुल भी गए तो वहां चींटी -माटा की तरह यूनियनबाजी की आड़ में “खेल” शुरू हो जाता है. सिंदरी का HURL मैनेजमेंट यही दंश झेल रहा है. यह दंश तब झेल रहा है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह ड्रीम प्रोजेक्ट है. इसके पहले सिंदरी खाद कारखाना देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का ड्रीम प्रोजेक्ट हुआ करता था. उसी कारखाने के बंदी के बाद फिर से खाद उत्पादन शुरू हुआ है. लेकिन उत्पादन शुरू होने के साथ ही कारखाने की परेशानी भी बढ़ी हुई है. इस कारखाने में कई विचारधारा के लोगों की सोच को भी सामने लाया है.
यह ही पार्टी के नेता है लेकिन विचारधारा में डिफरेंस
यह भी बताया है कि पार्टी एक है, लेकिन अलग- अलग विचारधारा यूनियन लोग चला रहे है. भारतीय मजदूर संघ, भाजपा समर्थित है तो बाघमारा के भाजपा विधायक ढुल्लू महतो की अपनी अलग यूनियन चलती है. यह यूनियन एटक से संबद्धता प्राप्त है. सिंदरी HURL में नियोजन की मांग को लेकर सिर्फ बाघमारा विधायक ढुल्लू महतो ही अपनी यूनियन के बैनर तले प्रबंधन को चेतावनी नहीं दी है बल्कि धनबाद के सांसद पशुपतिनाथ सिंह और विधायक राज सिन्हा ने भी भारतीय मजदूर संघ के बैनर तले प्रबंधन को चेताया है. झारखंड मुक्ति मोर्चा का आंदोलन अभी चल ही रहा है. मासस के बैनर तले निरसा के पूर्व विधायक अरूप चटर्जी भी आंदोलन कर चुके है. सबकी मांग एक ही है कि स्थानीय लोगों को नौकरी दी जाये. मैनेजमेंट का कहना है कि सरकार के नियमानुसार 75% स्थानीय लोगों को नौकरी दे दी गई है. इसकी सूची प्रशासनिक अधिकारियों को भी भेज दी गई है. अगर किसी को कोई संदेह हो तो वह आकर जांच भी कर सकता है. बावजूद इसी मुद्दे पर लगातार आंदोलन चल रहा है और यह आंदोलन सभी दल कर रहे है.
सांसद ने अधिकारियो को कही खरी -खरी
भारतीय मजदूर संघ के आंदोलन और सांसद की मौजूदगी का असर यह हुआ कि 16 मई को सांसद के निवास पर HURL के डायरेक्टर एमपी मोहंती, जीएम दीपेंद्र राय, एचआर हेड विक्रांत नीरज पहुंचे. इस समय भारतीय मजदूर संघ के धनबाद जिला अध्यक्ष सहित अन्य भी मौजूद थे. विधायक राज सिन्हा भी मौजूद रहे. मांग रखी गई कि स्थानीय नियोजनालय से HURL कंपनी नाम लेकर बेरोजगारों को काम दे, छटनी मजदूरों को पुनः बहाल किया जाये, जिन मजदूरों का बकाया कंपनी के पास है, उन्हें बुलाकर उनका पूरा भुगतान किया जाए ,जो ठेकेदार अपने मजदूरों को सरकारी दर पर मजदूरी भुगतान नहीं करते हैं ,वैसे ठेकेदारों को कंपनी ब्लैक लिस्टेड कर निष्कासित करें, गुंडे तत्वों को प्रोत्साहन ना दें, सांसद ने कड़े शब्दों में कहा कि यहां के प्रबंधन स्थानीय लोगों से अच्छा व्यवहार नहीं करता. जनप्रतिनिधियों का सम्मान नहीं होता. डायरेक्टर ने बैठक में उपस्थित सभी जनप्रतिनिधियों से एवं यूनियन नेताओं से कहा कि मैं अति शीघ्र इस पर आवश्यक कार्रवाई होगी. अधिकारियों ने सांसद से आग्रह किया कि आपकी शिकायत पर त्वरित कार्रवाई की जाएगी और आप कोई ऐसा कदम ना उठाएं, जिससे उद्योग को क्षति हो.
डिमांड एक लेकिन मकसद अलग -अलग
जानकार सूत्रों के अनुसार जिस तरह कोलियरी लोडिंग में मजदूरों के नाम पर ही सब कुछ” खेल “होता है ,उसी तरह सिंदरी के HURL में भी मजदूरों के नाम पर ही “खेल” शुरू किया गया है. मांग तो सबकी एक ही है लेकिन मकसद अलग-अलग है. और यह मकसद ऐसा है जिसे मैनेजमेंट कभी पूरा कर भी नहीं पाएगा, कितने लोगों को मैनेजमेंट ठेका – पट्टा दे पाएगा. झारखंड बनने के बाद कोयलांचल में उद्योग तो खुले नहीं ,जो चल रहे थे ,वह भी धीरे-धीरे बंद हो रहे है. ऐसे में सारे जनप्रतिनिधियों को मिलकर उद्योग खुलवाने के लिए सरकार पर दबाव बनाना चाहिए ना कि चलते किसी उद्योग को परेशान करने के लिए धरना -प्रदर्शन,सही मांग मनवाने के और भी तरीके हो सकते है
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