89 वर्षीय सत्तो दा के देहांत से गमगीन हुआ लालमणि वृधा सेवा आश्रम

Posted by Dilip Pandey

धनबाद:लोहार बरवा टुंडी रोड, आसन डाबर स्थित लालमणि वृद्धा सेवा आश्रम में 15 साल से आश्रय ले रहे सबसे पुराने 89 वर्षीय वृद्ध सत्तो दा के देहांत से आश्रम में मातम छा गया। आश्रम के अध्यक्ष नौशाद गद्दी ने कहा 15 साल पूर्व उनको आश्रम में वे लाये थे और तब से यहां नियमित रूप बहुत ही इत्मीनान होकर रह रहे थे। वह काफी शांत स्वभाव के थे और आश्रम के किसी भी महत्वपूर्ण निर्णय पर अपनी राय दिया करते थे। सभी वृद्धजनों के लिए उनके दिल में खास प्यार, लगाव एवं सभी को थोडी खुशी प्रत्येक दिन कैसे मिले इसके लिए चिंतित रहते थे। और आश्रम में आने वाले आगंतुकों को पिता जैसा स्वागत-प्यार देकर दिल में बस जाते थे और अपना हार्दिक आत्मिक आशीर्वाद देते थे। गुरुवार की रात्रि अचानक उनकी सांस रुक जाने की खबर से सारे वृद्धजनों की आंखें नम हो गई और आश्रम में सन्नाटा पसर गया। आश्रम के केयरटेकर द्वारा इसका इसकी सूचना पाकर नौसाद गद्दी एवं समाजसेवी ओमकार मिश्रा अत्यंत दुखी हुए और आश्रम आकर उनके निकटतम परिजनों एवं मित्रों को सूचना देकर दाह संस्कार की तैयारी करने लगे। सत्तो दा का अंतिम क्रिया कर्म हिंदू रीति के विधि विधान से किया गया। समाजसेवी ओंकार मिश्रा ने कहा आश्रम में सारे वृद्धजन एक परिवार के जैसा रहते हैं। सुबह उठकर एक दूसरे को खोजते हैं। जीवन की अंतिम पड़ाव में आपस में दुख सुख बांटते हैं और एक दूसरे का ख्याल रखते हैं, एक साथ खाना खाते हैं एक साथ भजन कीर्तन करते हैं। और एक के बिछड़ते ही आश्रम के सभी माताओं एवं पिताओं पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है और भावुक होकर वे जीवन की सच्चाईयों का चिंतन मनन करने लगते हैं। इन दुखों के बाद ही मनोबल बढ़ाने के लिए हम आश्रम प्रबंधन विभिन्न प्रयत्न करते हैं कि फिर आश्रम में जीवन यापन सामान्य हो जाए। इन माताओं पिता ओं की सेवा का कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। और ख्वाहिश की छोटी बड़ी चीजों को पूर्ण करने का हर संभव प्रयास करते हैं। और हर धनबाद वासियों से आग्रह करते हैं कि कृपया आश्रम आकर इनसे बातें करें, इनकी सेवा करें, कुछ पल बिताए। इनकी भावनाओं को समझें और सच्चा और निस्वार्थ आशीर्वाद लें। अंतिम संस्कार आश्रम के अध्यक्ष नौशाद गद्दी, समाजसेवी ओमकार मिश्रा, कोषाध्यक्ष प्रशांत वर्मा, सीताराम चौबे,ए.के. चक्रवर्ती,एम.एम. सरकार बलदेव प्रजापति समेत अन्य आश्रम के वृद्धजन एवं सेवाकर्ता सक्रिय थे।

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