Posted by Dilip Pandey
हजारीबाग : हरियाणा जलेबी के संचालक नर सिंह ने बताया कि उनकी जलेबी की रेसीपी खास है जिसके कारण उनका स्वाद सबसे स्पेशल है. जलेबी बनाने के लिए सबसे पहले मैदे का घोल तैयार कर के उसे दो दिन तक फर्मेंट होने दिया जाता है. फिर उसे घी और डालडा में पकाया (फ्राई) किया जाता है. इससे उसमें कुरूकरापन आ जाता है. आखिर में उसे इलाइची और चीनी की चाशनी में डुबो कर बाहर निकाल लिया जाता है। इतिहासकारों के द्वारा माना जाता है कि जलेबी ईरान की मिठाई है. इसे वहां जिलूबिया कहा जाता था. करीब 500 वर्ष पूर्व भारत आई जलेबी आज भारत की ही हो गई है. हल्के नारंगी रंग और चासनी में डूबी जलेबियां, खुद को तेल में तपा कर हमारे मुंह का स्वाद बढ़ाती हैं, लेकिन कुछ जलेबियां लाजवाब होती है. इन्हें देखते ही, इनकी सुंगध आते ही मुंह में पानी में आ जाता है. ऐसी ही एक जलेबी है झारखंड के हजारीबाग में बिकने वाले हरियाणवी जलेबी.
हरियाणवी जलेबी के संचालक नर सिंह बताते है कि उनका परिवार कई साल से जलेबी बनाता आ रहा है. वो मूलत: राजस्थान के बीकानेर के रहने वाले है और हजारीबाग में वर्ष 2012 से जलेबी बना कर बेच रहे है. उनके साथ उनके परिवार के कई लोग भी शहर के अन्य हिस्सों में स्टॉल लगाते है. उनके यहां 160 रुपये किलो जलेबी मिलता है. साथ ही, 10 रुपये में 60 ग्राम और 20 रुपये में 120 ग्राम जलेबी मिलती है.
हरियाणा जलेबी की रेसिपी है.
वो आगे बताते हैं कि उनकी जलेबी की रेसीपी खास है जिसके कारण उनका स्वाद सबसे स्पेशल है. जलेबी बनाने के लिए सबसे पहले मैदे का घोल तैयार कर के उसे दो दिन तक फर्मेंट होने दिया जाता है. फिर उसे घी और डालडा में पकाया (फ्राई) किया जाता है. इससे उसमें कुरूकरापन आ जाता है. आखिर में उसे इलाइची और चीनी की चाशनी में डुबो कर बाहर निकाल लिया जाता है.
जलेबी का स्वाद लेने आए विकास नगर के सरस धोनी बताते है कि वो यहां अकसर जलेबी खाने आते है. यहां की जलेबी का स्वाद सबसे अलग और लाजवाब है.

