तोपचांची: राज्य सरकार द्वारा धनबाद और बोकारो जिला में भोजपुरी , मगही और अंगिका भाषा को क्षेत्रीय भाषा में शामिल किए जाने के विरोध में शुक्रवार को तोपचांची पंचायत में मुख्यमंत्री के नाम पोस्ट कार्ड भेजा गया।भाषा संस्कृति बचाओ संघर्ष समिति के कार्यकर्ताओं ने कहा की झारखंड सरकार हमारी जन भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रही है हमारे क्षेत्र में इन भाषाओं को नहीं बोला जाता है अगर कोई बोलता भी है तो वे प्रवासी लोग हैं क्षेत्रीय भाषा मूल वासियों की भाषा होती है परंतु झारखंड सरकार प्रवासी लोगों के भाषा को क्षेत्रीय भाषा बना दिया है जो सरासर ग़लत है झारखंड सरकार इन भाषाओं को वापस ले नहीं तो आन्दोलन के लिए बाध्य होंगे । सुनिल साव ने कहा कि सरकार जबरजस्ती बाहरी भाषा को धनबाद और बोकारो मे क्षेत्रीय भाषा की दर्जा दे रही है। भोजपुरी और मगही भाषा बोलने वालों की संख्या बहुत कम है । बाहरी भाषा झारखंड के मूल निवासी कतई स्वीकार नहीं करेंगे सरकार इन भाषाओं को जल्द से जल्द वापस ले अन्यथा आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। जयराम महतो ने कहा राज्य सरकार द्वारा झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के विभिन्न पदों हेतु जिलावार भाषा की सूची में मगही और भोजपुरी भाषा को क्षेत्रीय भाषा के रूप में शामिल करना भाषाई अतिक्रमण का कार्य करेगा। झारखंड आंदोलन का एक वृहद विशाल इतिहास रहा है। असंख्य शहादत के बाद अलग झारखंड राज्य बना है। अलग झारखंड राज्य सृजन का आधार ही भौगोलिक स्थिति, आर्थिक पिछड़ापन, भाषा और संस्कृति थी। अपनी विशिष्ट पहचान के आधार पर ही झारखंड राज्य बिहार से अलग हुआ था। किंतु दुर्भाग्य की बात है अलग होने के बाद भी झारखंड राज्य वासी बदहाली में जी रहे हैं। झारखंड गांव में बसता है और गांव का विकास तभी होगा जब गांव के लोगों का विकास होगा। गांव का विकास तभी होगा जब क्षेत्रीय भाषाओं का विकास होगा। सरकार को क्षेत्रीय भाषाओं को प्रोत्साहन करने के लिए प्रयास करना चाहिए। किंतु उसके विपरीत भाषाई अतिक्रमण पर उतारू है राज्य सरकार। धनबाद और बोकारो जिले के किसी भी गांव में मगही भोजपुरी भाषा नहीं बोली जाती है। लेकिन इसके बावजूद राज्य सरकार द्वारा इन दो जिलों में मगही और भोजपुरी को क्षेत्रीय भाषा के रूप में अंगीकृत करना हास्यपद है और अनैतिक है। निसंदेह भोजपुरी और मगही खूबसूरत भाषा है परन्तु भोजपुरी भोजपुर क्षेत्र की भाषा है और मगही मगध क्षेत्र की भाषा है। सरकार को ध्यान रखना चाहिए कि धनबाद और बोकारो भोजपुर और मगध क्षेत्र में नहीं, छोटानागपुर/ झारखंड के क्षेत्र में आते हैं और यहां के लोग भोजपुरी और मगही से कोई वास्ता नहीं रखते हैं। सरकार के इस फैसले के खिलाफ बोकारो और धनबाद के गांव-गांव में लोग आक्रोशित है, सरकार का पुतला दहन कर रहे हैं। झारखंड सरकार जल्द इन भाषाओं को वापस ले ओर जन भावनाओं का सम्मान करें ।इस दौरान मौके पर जयराम महतो, संतोष महतो, बासुदेव महतो , सुनील साव , सहित दर्जनों लोगों उपस्थित थे।
8 दिसम्बर से बहेगी तुलसी भागवत नगर शोभायात्रा के साथ कतरास के नदी किनारे नियर सुर्य मंदिर मंदिर में भागवत की व्यार।
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