प्रमोद सिंह हत्याकांड में कांग्रेस नेता रणविजय, संतोष सिंह सहित सभी 6 आरोपी बरी

19 वर्ष के लंबे इंतजार के बाद सीबीआई कोर्ट ने सुनाया फैसला

कोर्ट के बाहर सभी बरी आरोपी विजय चिह्न दिखाते हुए



धनबाद : धनबाद के बहुचर्चित कोयला व्यवसायी प्रमोद सिंह हत्याकांड में 19 वर्ष के लम्बे इंतजार के बाद शुक्रवार 4 फरवरी को सीबीआई कोर्ट 3 रजनीकांत पाठक ने फैसला सुनाते हुए सभी 6 आरोपियों कांग्रेस नेता रणविजय सिंह, संतोष सिंह, अयूब खान, दारोगा एमपी खरवार, अरशद अली और हीरा खान को बरी कर दिया है. फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस नेता रणविजय सिंह ने कहा कि न्यायालय पर उन्हें पूरा भरोसा था. कहा कि थोड़ा इंतजार करना पड़ा, कोर्ट के चक्कर लगाने पड़े, लेकिन फैसला सही आया है. कांग्रेस नेता संतोष सिंह ने कहा कि सीबीआई ने असली मुजरिम को बचाते हुए उन लोगों पर झूठा आरोप लगाया था. सच्चाई सामने आ गई है.

प्रतिशोध में राजीव रंजन की हो गई थी हत्या
प्रमोद सिंह के बारे में बताया जाता है कि वह यूपी के डान बृजेश सिंह के रिश्तेदार थे. उनकी हत्या के प्रतिशोध में झरिया के दिवंगत विधायक सूरजदेव सिंह के बेटे राजीव रंजन की हावड़ा में गोली मार कर हत्या कर दी गई. प्रमोद सिंह हत्याकांड के मुख्य अभियुक्त सुरेश सिंह अब जीवित नहीं हैं. उनकी भी हत्या हो चुकी है.


जिन्होंने अस्पताल पहुंचाया, वही बनाए गए आरोपी
बता दें कि धनसार के कोयला व्यवसायी प्रमोद सिंह की हत्या 3 अक्टूबर 2003 को धनसार थाना क्षेत्र स्थित उनके घर बीएम अग्रवाल कॉलोनी के पास गोली मारकर कर दी गई थी. बताते हैं कि सुरेश सिंह, रणविजय सिंह तथा संतोष सिंह ने ही घायल प्रमोद सिंह को केंद्रीय अस्पताल पहुंचाया था, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया था. प्रमोद सिंह के कथित मृत्यु पूर्व बयान के आधार पर पुलिस ने रामधीर सिंह तथा राजीव रंजन सिंह को नामजद आरोपी बनाया था. सुरेश सिंह, रणविजय सिंह और संतोष सिंह का पुलिस ने धारा 164 के तहत बयान कराया था. धनसार थाना में रामधीर सिंह और राजीव रंजन सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी. साथ ही उनको गवाह भी बनाया गया था.


सीबीआई ने मृत्यु पूर्व बयान और पुलिस को झूठा बताया
बाद में यह मामला सीबीआई के सौप दिया गया. सीबीआई ने अपनी जांच में रामधीर सिंह और राजीव रंजन को क्लीन चिट दे दी, जबकि धनसार थाना में दर्ज प्राथमिकी और प्रमोद सिंह के कथित मृत्यु पूर्व बयान को झूठा करार दिया था. सीबीआइ की जांच में पुलिस की कहानी को झूठा बताया गया. सीबीआई ने सरायढेला थाना के तत्कालीन थानेदार मदन प्रसाद खरवार को भी झूठा गवाह दर्ज करने के मामले में आरोपी बनाया था. इसके अलावा अरशद, अयूब खान, हीरा खान, रणविजय सिंह, संतोष सिंह और सुरेश सिंह को भी आरोपी बनाया गया था. वर्ष 2006 में सीबीआई ने सभी अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था. ट्रायल के दौरान सुरेश सिंह व एक अन्य आरोपी कश्मीरा खान की मौत हो चुकी है.

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