धनबाद- आंखों में आंसू और हाथ में दुकानों के समान लिए 70 से अधिक दुकानदार और उनके परिजन धनबाद के हाउसिंग बोर्ड के कार्यपालक अभियंता से पूछ रहे थे कि- अब वह कहां जाएं, कैसे कारोबार करें ,उनका घर -परिवार कैसे चलेगा, उनके बच्चे कैसे पढ़ेंगे ,घर का चूल्हा कैसे जलेगा ,लेकिन इसका कोई जवाब उन्हें नहीं मिल रहा था. दुकानदार चिल्ला -चिल्ला कर यह चेतावनी दे रहे थे कि वे सामूहिक रूप से आत्मदाह कर लेंगे. हालांकि सब कुछ के बावजूद धनबाद के बरटांड़ के जनता मार्केट की दुकानों को सील करने की कार्रवाई आज शुरू हो गई है. अधिकतर दुकानें सील कर दी गई है.
भारी संख्या में पुलिस बल की मौजूदगी के बीच सील की कार्रवाई
भारी संख्या में पुलिस बल की मौजूदगी है. हाउसिंग बोर्ड को अंदेशा था कि दुकानदार इस कार्रवाई का विरोध कर सकते हैं, इसलिए पुलिस की भारी बंदोबस्ती की गई है. दुकानदारों का कहना है कि उनके साथ अन्याय हो रहा है, जिस जगह पर वह वर्ष1988 से 30-35 साल से अधिक समय से कारोबार कर रहे हैं ,उन्हें 24 घंटे के नोटिस पर विस्थापित करना या दुकानों से हटाना कहां तक उचित है. उन्हें समय मिलना चाहिए था ताकि वे कुछ रास्ता ढूंढ सके. कानून की शरण में जा सकें, लेकिन हाउसिंग बोर्ड ने उन्हें ऐसा करने का कोई मौका ही नहीं दिया.
30 अक्टूबर 2019 में तय हुआ नए सिरे से भाड़ा
दुकानदारों ने बताया कि जब झारखंड में रघुवर दास की सरकार थी तो 30 अक्टूबर 2019 यह तय हुआ था कि दुकानदारों को हटाया नहीं जाएगा ,इसके लिए हाउसिंग बोर्ड ने सर्वे भी कराया था.फॉर्म भी दुकानदारों से भरवाया गया था. निर्णय लिया गया था कि मासिक किराया निर्धारित कर किराया हाउसिंग बोर्ड लेगा. लेकिन 2019 में कोरोना के कारण सरकार से बातचीत का सिलसिला टूट गया और उसके बाद सरकार भी बदल गई. नई सरकार से आगे बातचीत नहीं हो सकी. दुकानदारों का कहना है कि बिजली का बिल उनके नाम का है ,जीएसटी का पता भी यही है ,फिर उनके साथ अन्याय क्यों. बता दें कि झारखंड के हाईकोर्ट ने एक आदेश पारित किया था कि हाउसिंग बोर्ड के अतिक्रमित जमीन पर से अतिक्रमणकारियों का कब्जा हटाया जाए, इसी आदेश का आज पालन हो रहा है. दुकानदारों ने सवाल किया है कि कोर्ट के आदेश के अलोक में धनबाद के एसडीओ कोर्ट से 25 जनवरी को आदेश लिया गया है लेकिन आखिर क्यों हाउसिंग बोर्ड उस आदेश को सार्वजनिक नहीं किया.
हाउसिंग बोर्ड बनाएगा नई बिल्डिंग और मार्केट कॉम्प्लेक्स
हाउसिंग बोर्ड के कार्यपालक अभियंता अनूप सामंता का कहना है कि हाउसिंग बोर्ड बिल्डिंग को तोड़कर नया मार्केट कंपलेक्स बनाएगा. पता चला है कि जनता मार्केट के मालिक चौधरी व प्रामाणिक ने टाइटल का मुक़दमा हार गया है.जमीन मालिक ही दुकानदारों से भाड़ा वसूलता था लेकिन केस हारने के बाद वह भाड़ा लेना बंद कर दिया और दुकानदार यह समझ नहीं पाए कि आखिर भाड़ा किसको दें, इसी बीच आज दुकान सील करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है.
शुक्रवार तक दुकानें खाली कर देने का दिया था आदेश
बता दें कि झारखंड राज्य आवास बोर्ड ने दुकानदारों को नोटिस देकर शुक्रवार तक दुकानें खाली कर देने का आदेश दिया था, नोटिस में कहा गया था कि शनिवार को दुकानें सील की जाएंगी. दंडाधिकारी व पुलिस बल के सहयोग से बलपूर्वक दुकानों को खाली कराया जाएगा. दुकान के अंदर के सारे सामानों की जवाबदेही दुकानदारों की होगी. दुकान सील होने के बाद किसी भी दुकान को फिर से नहीं खोला जाएगा, बिना अनुमति लिए दुकान खोलने पर कार्रवाई की जाएगी. नोटिस के आलोक में आज दुकानें सील हो रही है, गलती चाहे जिसकी भी हो लेकिन जनता मार्केट के अगल-बगल का दृश्य आज बहुत ही कारुणिक दिख रहा था. दुकानदार विचलित दिख रहे थे. दुकानदारों का कहना है कि जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों तक भी उन्होंने गुहार लगाई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

