गौतम बुद्ध शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में व्याख्यानमाला का आयोजन




हजारीबाग गौतम बुद्ध शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय, मुकुंदगंज, हजारीबाग में आजादी के अमृत महोत्सव के चौथे दिन राजकीय बालिका प्लस टू उच्च विद्यालय के पूर्व प्राचार्य, रामइकबाल सिंह ने अपने व्याख्यान में कहा कि देश आजाद करने के लिए लाखों स्वतंत्रता सेनानियों ने बलिदान दिया। अंग्रेजों ने भारत को उपनिवेश बनाया तथा देशवासियों का शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक रूप से शोषण किया। अंग्रेजों ने भारत में जमींदारी प्रथा शुरू किया तथा जमींदारों के साथ मिलकर हम देशवासियों का शोषण किया। जिसका विरोध करने के लिए तिलका माँझी, बिरसा मुण्डा, चाँद भैरव आदि ने कोल विद्रोह, संथाल विद्रोह का संचालन किया। सिद्धु-कान्हु ने हूूल विद्रोह किया जिसके कारण उन्हे फॉंसी दे दी गई थी। 1857 ई॰ की क्रांति में सभी भारतवासियों में एकता की कमी थी जिसके कारण यह क्रांति सफल नहीं हो सकी लेकिन इस क्रांति ने आजादी की शुरूआत कर दी थी। बहादुर शाह जफर, वीर कुवँर सिंह, टीकैत उमराँव सिंह ने आजादी की प्रथम विद्रोह की शुरूआत की । शेख भिखारी, सहदेव इत्यादि स्वतंत्रता सेनानियों को फाँसी के दी गई। झाँसी की रानी, तात्या टोपे इत्यादि को बलिदान ने हमें स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया। इसलिए हमें इस स्वतंत्रता को उन वीर सपूतों की कुर्बानी का पुरस्कार समझना चाहिए तथा उन्हें कभी भुलना नहीं चाहिए।
उन्होंने कहा कि हमारा देश दो दलों में बँट गया एक नरम दल और दूसरा गरम दल। नरम दल का मानना था कि धीरे-धीरे आजादी मिल जायेगी परन्तु गरम दल ने क्रांति के द्वारा आजादी हासिल करनी चाही। जिसमें भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव प्रमुख थे। इन्हीं वीर सपूतों ने हमें स्वतंत्रता रूपी अमृत कलश प्रदान की है। चन्द्रशेखर आजाद, विस्मिल्ला खाँ, सुभाष चन्द्र बोस जैसे वीरों ने जहर का घूंट पी कर हमें आजादी की अमृत यात्रा प्रदान की है।
अशिक्षा, भ्रष्टाचार, गरीबी, बेरोजगारी, अत्याचार, व्यभिचार, दुराचार की वजह से हमें पूरी तरह आजादी नही मिली है । इन बेडियों से आजादी की आवश्यकता है और इसकी जिम्मेदारी भावी पीढ़ी पर है। अपने अधिकारों की रक्षा हमें स्वयं करनी होगी। मौके पर प्राचार्य डॉ अरविंद कुमार समेत सभी सहायक प्राध्यापक एवं बी.एड. तथा डी.एल.एड. के प्रशिक्षु उपस्थित थे।

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