बुलन्दशहर सिकन्दराबाद में चल रही रामलीला में आज मेघनाथ ने चलाया ब्रह्रास्त्र तो लक्ष्मण हुए मूर्छित, भगवान श्री राम ने कुंभकर्ण का वध कर पहुँचाया निज धाम


बता दे की हमारे भारत देश में सनातन धर्म में भगवान श्री की अहम भूमिका मानी जाती है भगवान राम ने जब जन्म लिया था जब पृथ्वी पर घोर अत्याचार व राक्षस का भरपूर आतंक चारों तरफ फैलने लगा। तब जाकर भगवान श्री राम जी ने पृथ्वी लोक पर अयोध्या के राजा दशरथ के घर जन्म लिया। उसी भगवान श्री राम की लीला को लेकर देश में जगह-जगह भगवान श्री राम की लीला का मंचन होने लगा।
उसी क्रम में यूपी के जिला बुलन्दशहर के तहसील सिकन्दराबाद में चल रही रामलीला में आज मेघनाथ ने प्रथम दिवस के युद्ध में लक्ष्मण जी पर चलाया ब्रह्रास्त्र तो मूर्छित हो गये तो हनुमान जी ने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी के प्राण बचाये फिर द्वितीय दिवस में भगवान श्री राम ने कुंभकर्ण का बध कर निज धाम पहुँचा दिया।
बताते चले कि आज की लीला में जब भगवान श्री राम की सेना लंका के द्वार पर डेरा जमा दिया तो घबराकर लंकापति रावण ने अपने पुत्र मेघनाथ को सेनापति बनाकर युद्ध के मैदान में उतार दिया। मेघनाथ के युद्ध में आने खबर लगते ही भगवान श्री राम ने लक्ष्मण जी को युद्ध करने के लिए हनुमान के साथ युद्ध करने के लिए भेज दिया दोनों का खुब जमकर द्वदं युद्ध हुआ जब मेघनाथ युद्ध में हारता नजर आया तो मेघनाथ ने ब्रह्रास्त्र लक्ष्मण जी पर चला दिया तो लक्ष्मण जी मूर्छीत हो गये। इस बात की खबर जब भगवान श्री राम को लगी ओर लक्ष्मण जी देखा तो भगवान श्री राम रोने बिलकते लगे तो विभीषण बोले भगवन लंका में सुषेन वैद्य लक्ष्मण जी के प्राण बचा सकते है तभी हनुमान जी सुषेन वैद्य को ले आये ओर बताया की संजीवनी बूटी इनके प्राण बचा सकते है ओर बताया की बूटी सूरज निकलने से पूर्व आ जानी चाहिए तभी हनुमान जी राम जी का आदेश पाकर बूटी लेने चले गए तो रास्ते में कालनेम नाम का मायावी राक्षस रास्ता रोकने के मिल गया तो हनुमान जी ने उसका भी प्राणांत कर दिया ओर बूटी नही बल्कि पूरा पर्वत उखाड़ ले चले तो अयोध्या के उपर से जब हनुमान जा रहे थे तभी भरतलाल ने देखा की कोई राक्षस पहाड़ ले जा रहा है अगर यह पहाड़ अयोध्या में गिर गया तो नुकसान हो जायेगा इस नियत भरतलाल ने हनुमान पर बाण चला दिया तो हनुमान जी जख्मी होकर राम नाम लेकर नीचे उतर आये इस आवाज़ को सुनकर भरतलाल हनुमान जी के पास पहुंच गये ओर सबकुछ हाल जानकर दुखी होने लगे ओर कहा की हनुमान जी आप जल्द से जाओ ओर भाई लक्ष्मण जी के प्राण बचाओं तभी हनुमान वहां से चलकर रामादल में पहुंच गये ओर बूटी पाकर सभी मे खुशी का माहौल छा गया ओर सुषेन वैद्य ने बूटी से लक्ष्मण के प्राण बचा लिए। दूसरी तरफ जब लंकापति को लक्ष्मण जी के मूर्छित होने की खबर लगी तो बडा खुश हुआ मगर जब पता चला कि हनुमान बूटी लेने गये तो लंकापति रावण कालनेम के पास जाकर रास्ता रोकने के लिए कहने लगा तो कालनेम मायावी राक्षस रास्ता रोकने को रास्ते में साधू का रुप रखकर बैठ गया हनुमान जी ने उसे मार दिया ओर जब लंकापति को पता चला की लक्ष्मण जी पुनः जीवित हो गये तो रावण ने अपने भाई कुंभकर्ण को युद्ध मैदान में उतार दिया तभी भगवान श्री राम व लक्ष्मण सहित युद्ध करने लगे ओर भगवान श्री राम ने कुंभकर्ण का वध कर निज धाम पहुँचा दिया। यहाँ की लीला का मंचन बड़े सुंदर तरीके से वृदावन से आये कथा व्यास पंकज शर्मा ने कर दिखाया।
आज की लीला का मंच संचालन अरविंद दीक्षित ने बड़े सुंदर तरीके से किया
इस लीला की झलकी पेश है।
ब्यूरों- पवन शर्मा बुलन्दशहर।
आजाद दुनियां न्यूज

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