प्रयागराज के बाद काशी नगरी बनेगी महाकुंभ का पड़ाव, गंगा तट पर सजेगा मिनी कुंभ, 8 फरवरी को होगा नागा साधुओं का नगर प्रवेश, जबकि 12 फरवरी को निकलेगी भव्य शोभायात्रा
*वाराणसी :* महाकुंभ में अमृत स्नान के बाद 13 अखाड़ों के नागा साधु काशी पहुंचेंगे जहां गंगा तट पर मिनी कुंभ सजेगा। घाटों मठों और धर्मशालाओं में संन्यासियों के डेरों से पूरा क्षेत्र भगवामय हो जाएगा।
8 फरवरी को जूना अखाड़े के नागा संन्यासियों का नगर प्रवेश होगा जबकि 12 फरवरी को भव्य शोभायात्रा निकलेगी।
महाशिवरात्रि पर राजसी सवारी बाबा विश्वनाथ मंदिर पहुंचेगी जहां विशेष पूजन-अर्चन होगा।
आठ फरवरी को जूना सहित सभी 13 अखाड़ों के नागा साधु पहुंचेंगे बाबा विश्वनाथ की नगरी
महाशिवरात्रि को निकलेगी राजसी सवारी, एक घंटे नागा साधु करेंगे बाबा की आराधना
शैलेश अस्थाना, वाराणसी। वसंत पंचमी पर अमृत स्नान के बाद संगम तट पर महाकुंभ में उमड़े सभी 13 अखाड़ों के साधु-संन्यासियों और नागा साधुओं का अगला पड़ाव बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी बनती है। इसमें किन्नर अखाड़े के संन्यासी भी शामिल होंगे। प्राय: वसंत पंचमी के बाद त्रिवेणी तट से शिविर खुलने लगता है और काशी में गंगा तट पर मिनी कुंभ सजता है।
इस पार के घाटों से लेकर उस पार रेती तक और विभिन्न मठों, आश्रमों, धर्मशालाओं में नागा साधुओं का डेरा पड़ जाता है, तंबुओं की नगरी सज जाती है, हर ओर भगवा, भूत-भभूत, जटा-जूट का रेला और अध्यात्म का अद्भुत मेला लगता है। काशी होली पर्व तक हजारों नागा साधुओं की छावनी बनी रहती है।
काशी में होने वाले इस मिनी कुंभ की तैयारियों में प्रशासन व मठ-मंदिर जुट गए हैं। चार शैव अखाड़ों का मुख्यालय, 13 अखाड़ों की शाखाएं काशी में आदि शंकराचार्य द्वारा धर्म रक्षा के लिए स्थापित किए गए नागा साधुओं के सबसे बड़े अखाड़ों शामिल श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा सहित चार प्रमुख शैव संन्यासी अखाड़ों का मुख्यालय काशी में ही है।
इनमें हनुमान घाट पर श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा, दशाश्वमेध घाट पर श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा, हनुमान चैक कपिलधारा में श्रीपंच अटल अखाड़ा और शिवाला घाट पर महानिरंजनी अखाड़ा के मुख्यालय हैं। इनके अतिरिक्त राजघाट पर श्रीअग्नि अखाड़ा, कपिलधारा पर आनंद अखाड़ा, पद्मश्री सिनेमा के पास कुरुक्षेत्र पोखरा पर वैष्णव संप्रदाय का बड़ा उदासीन अखाड़ा, निर्मल अखाड़ा, निर्मोही अखाड़ा, अनी अखाड़ा आदि 13 अखाड़ों की शाखाएं हैं। इन मुख्यालयों व शाखाओं में हजारों संन्यासी रहते हैं।
*आठ फरवरी को होगा जूना अखाड़े का नगर प्रवेश, 12 को शोभायात्रा*
हनुमान घाट स्थित श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के पुजारी संतोष मिश्र ने बताया कि जूना अखाड़ा के साथ अग्नि व आवाहन अखाड़ों के नागा संन्यासी महाकुंभ में वसंत पंचमी पर संगम स्नान के बाद काशी की ओर प्रस्थान करेंगे। इनके साथ ही या बाद में अटल और निरंजनी अखाड़ों के संन्यासी भी आ जाते है.
वाहनों, घोड़ों के माध्यम से तथा पैदल चलकर सभी संन्यासी काशी पहुंचते हैं। आठ फरवरी को रमता पंच के नेतृत्व में बाजे-गाजे के साथ पैदल और हाथी-घोड़ों, रथों पर सवार संन्यासियों की भव्य शोभायात्रा का नगर प्रवेश होगा। स्थानीय साधु-संत व अखाड़े के अधिकारी-कर्मचारी, प्रशासन के लोग तथा काशीवासी मोहन सराय के पास उनकी अगवानी करेंगे।
अधिकांश संन्यासी बैजनत्था स्थित जपेश्वर मठ पर रुक जाते हैं। फिर 12 फरवरी को माघी पूर्णिमा पर जपेश्वर मठ से शोभायात्रा निकलेगी और सभी अपने-अपने लाव-लश्कर, अस्त्र-शस्त्र के साथ हनुमान घाट पहुंचेंगे। काशी नगर प्रवेश के बाद सभी संन्यासियों के जत्थे अपने-अपने आश्रमों-मठों के साथ गंगा तट के दोनों ओर पड़े तंबुओं, छावनियों में डेरा जमाएंगे। फिर होली तक यह जमावड़ा काशी में बना रहेगा।
महाशिवरात्रि को निकलेगी राजसी सवारी
परंपरा के अनुसार महाशिवरात्रि पर्व पर जूना अखाड़े के नागा संन्यासियों की राजसी यात्रा हनुमान घाट स्थित मुख्यालय से निकलती है। रथों, घोड़ों पर सवार आचार्य महामंडलेश्वर, महामंडलेश्वर, थानापति आदि नागा साधु प्रात: काल श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर की ओर प्रस्थान करते हैं। इस शोभायात्रा में लगभग पांच-छह हजार नागा साधु होते हैं। इनमें जूना के अतिरिक्त अग्नि, आवाहन, निरंजनी, अटल अखाड़ों के संन्यासी भी शामिल होते हैं।
यह राजसी सवारी बाबा दरबार में पहुंचती है। उस दौरान मंदिर परिसर को आम श्रद्धालुओं से खाली करा लिया जाता है। लगभग घंटे भर बाबा विश्वनाथ के पूजन-अर्चन, अभिषेक के पश्चात नागा सन्यासियों का यह समूह वहां से निकलता है और फिर होली तक काशी में गंगा स्नान, बाबा के दर्शन-पूजन आदि के साथ जप-तप, साधना में लगा रहता है।
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