धनबाद रेलवे स्टेशन के दक्षिणी गेट पर अवैध गतिविधियाँ
और प्रशासन की निष्क्रियता
धनबाद:(dhanbad) रेलवे प्रशासन ने धनबाद रेलवे स्टेशन के दक्षिणी हिस्से में करोड़ों रुपये की लागत से एक नई सड़क और अन्य यात्री सुविधाओं का निर्माण किया। इन सुविधाओं को विकसित करने का मुख्य उद्देश्य यात्रियों को सुगम और सुरक्षित यात्रा अनुभव प्रदान करना था। लेकिन दुर्भाग्य से, रेलवे पुलिस की निष्क्रियता और गैर-जिम्मेदाराना रवैये के कारण यह इलाका असामाजिक तत्वों का अड्डा बनता जा रहा है। खासकर, रेलवे स्टेशन के दक्षिणी गेट के सामने अवैध शराब की खुलेआम बिक्री और यात्रियों से जबरन वसूली की घटनाएँ लगातार बढ़ रही हैं।
यह एक गंभीर समस्या है, जो न केवल यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा बन रही है, बल्कि रेलवे की छवि को भी धूमिल कर रही है। सवाल यह उठता है कि जब रेलवे प्रशासन करोड़ों रुपये खर्च करके आधारभूत संरचना विकसित कर सकता है, तो फिर इन अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए प्रभावी कदम क्यों नहीं उठाए जा रहे हैं? रेलवे पुलिस की निष्क्रियता आखिर किस कारण से है? क्या वे इन अपराधियों के साथ मिलीभगत में हैं, या फिर अपने कर्तव्यों के प्रति उदासीन हो गए हैं?
धनबाद रेलवे स्टेशन की स्थिति और नई सुविधाएँ
धनबाद रेलवे स्टेशन झारखंड के सबसे महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशनों में से एक है। यह न केवल कोयलांचल का प्रमुख रेलवे जंक्शन है, बल्कि यह पूर्व मध्य रेलवे (ECR) के तहत आने वाले सबसे व्यस्त स्टेशनों में से एक है। यात्रियों की सुविधा के लिए रेलवे ने दक्षिणी गेट के पास एक नई सड़क बनाई और कई अन्य सुविधाएँ विकसित कीं, जिनमें शामिल हैं:
1. यात्रियों के लिए बेहतर सड़क और प्रवेश द्वार – दक्षिणी गेट के आसपास की सड़क को चौड़ा किया गया, जिससे आवागमन सुगम हो सके।
2. स्टेशन परिसर में बेहतर रोशनी और बैठने की व्यवस्था – यात्रियों के लिए अतिरिक्त बेंच और लाइटिंग की सुविधा बढ़ाई गई।
3. स्वच्छता और साफ-सफाई पर विशेष ध्यान – रेलवे ने स्टेशन परिसर को स्वच्छ और यात्रियों के लिए आरामदायक बनाने की दिशा में प्रयास किए।
4. ऑटो-रिक्शा और टैक्सी स्टैंड की व्यवस्था – यात्रियों की सुविधा के लिए ऑटो और टैक्सी स्टैंड की व्यवस्था की गई।
लेकिन इन सब प्रयासों के बावजूद, रेलवे पुलिस की निष्क्रियता के कारण यह क्षेत्र असामाजिक तत्वों का अड्डा बनता जा रहा है।
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अवैध शराब और जबरन वसूली: एक बड़ी समस्या
स्टेशन के दक्षिणी गेट पर खुलेआम अवैध शराब की बिक्री हो रही है। शाम ढलते ही यहाँ असामाजिक तत्वों की भीड़ जमा हो जाती है, जिससे यात्रियों को असुरक्षित महसूस होता है। यह समस्या कई रूपों में देखी जा सकती है:
1. अवैध शराब की खुलेआम बिक्री – स्टेशन परिसर के पास कई जगहों पर अवैध शराब बेची जा रही है। शराब पीकर उपद्रव करने वाले लोग यात्रियों को परेशान करते हैं और माहौल को असुरक्षित बनाते हैं।
2. यात्रियों से जबरन पैसे की वसूली – कुछ स्थानीय गिरोह सक्रिय हैं, जो यात्रियों को धमकाकर उनसे पैसे ऐंठने का काम करते हैं। ये लोग खासकर बाहर से आने वाले यात्रियों को निशाना बनाते हैं।
3. महिला यात्रियों की सुरक्षा पर खतरा – अवैध शराब और असामाजिक तत्वों की मौजूदगी से महिला यात्रियों की सुरक्षा पर भी खतरा मंडराने लगा है।
रेलवे पुलिस की निष्क्रियता के कारण इन अपराधियों का मनोबल बढ़ता जा रहा है। रेलवे पुलिस अक्सर इन घटनाओं को नजरअंदाज करती है, जिससे इन असामाजिक तत्वों को और अधिक बढ़ावा मिलता है।
रेलवे पुलिस की निष्क्रियता: कौन है जिम्मेदार?
रेलवे पुलिस (RPF) औरGovernment Railway Police (GRP) की प्राथमिक जिम्मेदारी यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और रेलवे परिसर में कानून-व्यवस्था बनाए रखना है। लेकिन धनबाद रेलवे स्टेशन के दक्षिणी गेट पर उनकी निष्क्रियता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। इस मामले में कई संभावित कारण हो सकते हैं:
1. पुलिस की मिलीभगत – यह संभव है कि कुछ भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत के कारण असामाजिक तत्वों को खुली छूट मिली हुई हो।
2. कर्तव्यों के प्रति लापरवाही – कई बार पुलिसकर्मी ड्यूटी पर रहते हुए भी घटनाओं को नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे अपराधियों का मनोबल बढ़ता है।
3. कानूनी कार्रवाई का अभाव – यदि पुलिस समय रहते इन मामलों में कड़ी कार्रवाई करती, तो स्थिति इतनी बिगड़ती नहीं। लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
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समस्या का समाधान कैसे निकले?
यह समस्या केवल रेलवे पुलिस पर छोड़ देने से हल नहीं होगी। इसके लिए यात्रियों, प्रशासन और समाज के अन्य जिम्मेदार नागरिकों को भी सक्रिय भूमिका निभानी होगी।
1. रेलवे प्रशासन को शिकायत दर्ज कराना
यात्रियों को चाहिए कि वे रेलवे हेल्पलाइन नंबर (139) पर कॉल करें और इस समस्या की शिकायत दर्ज कराएँ। साथ ही, रेलवे अधिकारियों को लिखित रूप में भी शिकायत दी जा सकती है।
2. स्थानीय पुलिस को सूचित करना
यदि रेलवे पुलिस कार्रवाई नहीं करती है, तो राज्य पुलिस प्रशासन को इसकी जानकारी देना जरूरी है। स्थानीय थाने में एफआईआर दर्ज कराकर इस समस्या को कानूनी रूप से उठाया जा सकता है।
3. मीडिया और सोशल मीडिया का सहारा लेना
आज के दौर में सोशल मीडिया बहुत शक्तिशाली माध्यम बन चुका है। इस मुद्दे को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम) पर उठाया जाए, जिससे रेलवे प्रशासन पर दबाव बनाया जा सके। स्थानीय अखबारों और टीवी चैनलों के जरिए भी इस मुद्दे को उजागर किया जा सकता है।
4. RTI (सूचना का अधिकार) का उपयोग करना
अगर रेलवे पुलिस इस मामले में निष्क्रिय बनी रहती है, तो सूचना का अधिकार (RTI) के तहत यह पूछा जा सकता है कि अब तक इस समस्या के समाधान के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।
5. यात्रियों को जागरूक करना
यात्रियों को सतर्क रहने और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत रिपोर्ट करने के लिए प्रेरित करना जरूरी है।
6. सामूहिक विरोध प्रदर्शन और जनप्रतिनिधियों से संपर्क
अगर समस्या बनी रहती है, तो स्थानीय जनप्रतिनिधियों (विधायक, सांसद) से संपर्क करके इस मुद्दे को उठाया जा सकता है। इसके अलावा, जरूरत पड़ने पर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन भी किया जा सकता है।
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निष्कर्ष
धनबाद रेलवे स्टेशन का दक्षिणी गेट यात्रियों की सुविधा के लिए बनाया गया था, लेकिन प्रशासन की लापरवाही के कारण यह असामाजिक तत्वों का गढ़ बनता जा रहा है। अवैध शराब की बिक्री और जबरन वसूली जैसी समस्याओं ने यात्रियों की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि रेलवे पुलिस इन घटनाओं पर मूकदर्शक बनी हुई है।
इस समस्या के समाधान के लिए यात्रियों को सतर्क रहना होगा और अपनी आवाज बुलंद करनी होगी। यदि समय रहते रेलवे प्रशासन, पुलिस और अन्य संबंधित एजेंसियां इस पर ध्यान नहीं देतीं, तो यह समस्या और भी विकराल रूप ले सकती है। अब समय आ गया है कि हम सभी मिलकर इस समस्या के खिलाफ आवाज उठाएँ और धनबाद रेलवे स्टेशन को सुरक्षित बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाएँ।
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