धनबाद:सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के शुभारंभ पर निकाली गयी 101 भव्य मंगल कलश यात्रा



श्रीमद् भागवत कथा कोई साधारण ग्रंथ नहीं अपितु इसमे साक्षात भगवान कृष्ण का वास है: कृष्णप्रिया

धनबाद: जोडफाटक में सप्त दिवसीय श्रीमदभागवत कथा के शुभारंभ पर 101 भव्य मंगल कलश यात्रा निकाली गई। महिलाओं ने अपने सिर पर कलश सजाकर नाचते गाते हुए नगर परिक्रमा की।
कलश पूजन के बाद मंदिर से यात्रा का शुभारंभ हुआ। विभिन्न मार्गों से होते हुए कथा स्थल पहुंची। लोगों ने यात्रा का जगह-जगह स्वागत किया। भागवत कथा पोथी को नगर परिक्रमा के दौरान कथा मुख्य यजमान सिर पर रखकर साथ साथ चल रहे थे। श्रद्धालु हरि कीर्तन करते हुए कलश यात्रा के पीछे-पीछे चल रहे थे।
यात्रा में सभी भक्तजन नाचते गाते हुए भगवान के भजनों पर आनंद लेते हुए यात्रा में चले। वहीं भव्य कलश यात्रा से पूरा क्षेत्र भक्तिमय हो गया.राधे नाम के जयकारों से पूरा क्षेत्र गूंजमान हो गया।

*कथावाचक ने भागवत कथा का बताया महत्व*

शक्ति मंदिर परिसर में पटवारी परिवार द्वारा आयोजित सप्तदिवसीय श्रीमद्भागवत के प्रथम दिवस पर श्रीमद्भागवत कथा का अलौकिक महत्व बताते हुए कथा व्यास परमपूज्या कृष्णप्रिया ने बताया श्रीमद्भागवत कथा कोई साधारण ग्रन्थ नहीं है अपितु इसमें साक्षात भगवान कृष्ण का वास है।इसके श्रवण मात्र से जन्म जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है और प्रभु की मीठी – मीठी लीलाओं द्वारा उनके प्रति प्रेम जागृत होता है। कलियुग में भागवत कथा को वैतरणी कहा गया है जिसके द्वारा मनुष्य भवसागर को पार कर जाता है,जहां कहीं भी भागवत कथा होती हैं वहां अवश्य सुनने जाना चाहिए क्योंकि कथा सुनने मात्र से मनुष्य का कल्याण होता है।”

आगे उन्होंने “श्रीमद्भागवत कथा व “श्रीमद्भागवत गीता” में अंतर बताते हुए कहा कि- “भगवत गीता और भागवत पुराण में बहुत अंतर है समानता यह है कि दोनों के ही नायक श्री कृष्ण जी हैं। जहां भगवत कथा हमारे जीवन के परम लक्ष्य सच्चिदानन्द पूर्ण परमात्मा तक पहुंचती है। और 84 लाख योनियों में भटक रहे जीवो को मुक्ति का मार्ग दर्शाती है और मनवांछित फल प्रदान कर जन मरण के बन्धन से मुक्त कराती हैं। वहीं भगवत गीता में 18 अध्याय होते हैं और लगभग 700 श्लोक होते हैं। यह हमारे सभी संदेहों को दूर कर आत्मतत्व का ज्ञान कराती है। जब गांगा में स्नान करने से हमारे सभी पाप धूल जाते हैं जो कि श्री कृष्ण के पैरों से निकली हैं जबकि भगवदगीता श्री कृष्ण के मुख से निकली हैं इसलिए श्रीमद्भागवत गीता को जीवन मे अवश्य पढ़ना चाहिए।”


जीवन मे दुःखो का कारण बताते हुए उन्होंने कथा कि – ” जब हम भगवान के अलावा अन्य किसी व्यक्ति या वस्तु अपेक्षा करते हैं तो ये हमारे दुख का कारण बनती हैं। आज के समय मे हम इतने व्यस्त हो गए हैं कि ईश्वर के लिए समय ही नहीं निकालते इसीलिए हमारे अंतर्मन में व्याप्त परमात्मा से नहीं जुड़ पाते। जीवन में भक्ति आवश्य होनी चाहिए क्योंकि यह मानसिक शांति के साथ साथ ईश्वर की कृपा देने वाली है। श्रीमद् भागवत में से आपको शिक्षा मिलती है जब साथ छोड़ देते है जब आप अपना सब कुछ उस पूर्ण परमात्मा पर छोड़ देते है। तब श्री कृष्णा आपके कष्टों का पहाड़ उठा लेते है और आपकी रक्षा करते है।”


कथा के मध्य में अनेक दिव्य भजनों का गायन करते हुए देवी जी ने भगवान के अनेक अवतारों और कृपा की कथाएँ श्रवण करायी । देवी जी के दिव्यमयी भजनों पर सभी श्रद्धालु जमकर झूमे और अंत मे आरती कर कथा प्रथम दिवस की को विश्राम किया गया।

कथा के प्रथम दिवस से ही कथा पंडाल में कथाप्रेमियों का दूर दूर से आगमन हो रहा है। सैकड़ों की संख्या में लोग देवी के मुखारविंद से श्रीमद्भागवत कथा का रसपान करने आ रहे हैं।

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