सदन में विश्वासमत का बूस्टर डोज लेगी हेमंत सरकार , भाजपा हलकान



रांची : पिछले एक महीने से भी ज्यादा समय से झारखंड की सियासी पिच पर खेल चालू है। लेकिन इस खेल का कोई परिणाम सामने नहीं आ रहा है। इस बीच दोनों तरफ की टीम मैदान में डटी हुई है। विपक्ष के द्वारा फेंके जा रहे एक-एक बाउंसर का जवाब अब तक मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन देते आ रहे हैं। इस दौरान हेमन्त सोरेन ने कई शॉट ऐसे भी लगाए हैं जिससे विपक्ष चारों खाने चित है। पुरानी पेंशन स्कीम इनमें से एक है। विपक्ष को सिर्फ राजभवन का भरोसा है और उनके कई नेता यह भी कह चुके हैं कि उन लोगों को राजभवन के निर्णय का इंतजार है। हेमन्त सोरेन भी इस बार तय कर चुके हैं कि विपक्ष को वह घेराबंदी का कोई मौका नहीं देंगे। राजनीतिक तौर पर हेमन्त न सिर्फ विपक्ष के हर वार को कुंदते जा रहे हैं बल्कि अपनी तरफ से भी ऐसी ऐसी चाल चल रहे है जो विपक्ष पर भारी पड़ता जा रहा है। झारखंड विधानसभा का अचानक से सत्र बुलाना इसी की एक कड़ी है। सोमवार को विधानसभा का सत्र होना है और राज्य की हेमन्त सरकार सदन से विश्वासमत का बूस्टर डोज लेगी। संख्या बल के हिसाब से हेमन्त सरकार को विश्वासमत हासिल करने में कोई खतरा नहीं दिख रहा है लेकिन सदन के भीतर क्या होता है यह अभी कहना थोड़ी जल्दबाजी होगी। इतना तो तय है कि हेमन्त सोरेन ने सदन से विश्वासमत लेने की योजना तैयार कर भाजपा नेताओं की नींद उड़ा दी है। हेमन्त के इस फैसले से झारखंड भाजपा हलकान है।

आखिर विश्वासमत क्यों हासिल करना चाहती है हेमन्त सरकार ?
सवाल यह उठ रहा है कि जब सरकार के पास पूर्ण बहुमत है तो आखिर क्यों सदन में विश्वासमत हासिल करने की योजना है ? अमूमन देखा गया है कि विपक्ष की तरफ से सरकार के खिलाफ अविश्वास का प्रस्ताव लाया जाता है। झारखंड में भी पूर्व में सरकार के खिलाफ अविश्वास का प्रस्ताव लाया गया है। लेकिन यह झारखंड के इतिहास में पहली बार हो रहा है कि पूर्ण बहुमत रहते हुए भी सरकार ही सदन में विश्वास प्रस्ताव लाया रही है। इस मामले पर जानकारों का कहना है कि सरकार पर किसी ने अभी तक अविश्वास प्रस्ताव नहीं जताया, बहुमत अभी तक सरकार के पास है ऐसे में साफ़ दिखता है कि इस सत्र का पॉलिटिकल माइलेज लेने की कोशिश की जा सकती है। मुख्यमंत्री के ऊपर करप्शन का चार्ज है ऐसे में सदन के मार्फत वह अपनी बात रखकर उसका राजनीतिक लाभ ले सकते हैं। संवैधानिक प्रावधानों के अंतर्गत सरकार को एक बार विश्वास मत हासिल करने के बाद 6 माह तक दोबारा विश्वास मत हासिल करने की जरूरत नहीं होगी। अगर गवर्नर के आदेश के बाद सीएम की विधानसभा से सदस्यता जाती भी है तो सीएम हेमंत स्वयं या किसी अन्य व्यक्ति को सीएम बनाने को दावा पेश कर सकते हैं। राजनीतिक तौर पर यह भी कह सकते हैं कि यूपीए के पास बहुमत है केवल नेता बदले गए।

अपने खिलाडियों पर भी कड़ा एक्शन ले चुके हैं हेमंत

सियासी खेल में बाजी को अपने हाथों में ही रखने का हर हथकंडा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन उठा रहे है। इसी की नजीर है कि हेमंत सोरेन ने सियासी खेला शुरू होते ही अपने खिलाडियों का कड़ा एक्शन लेकर बाकि खिलाडियों को सकते में डाल दिए हैं। मालूम हो कि कांग्रेस के पूर्व प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह की प्लानिंग लगभग पूरी तरह लागू भी हो गई थी, लेकिन इससे ठीक पहले कांग्रेस के तीन विधायक इरफान अंसारी, राजेश कच्छप और नमन विक्सल कोंगाड़ी कैश के साथ कोलकाता में धरे गए। इसके बाद टूट का खेल बिगड़ गया। कांग्रेस के प्रभारी ने उन्हें इस पूरे खेल का खुलासा करने के लिए कहा, लेकिन जब उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया तो अब पार्टी उनके खिलाफ एक्शन लेने के मोड में है। उनकी विधायकी पर भी तलवार लटक सकती है

सदन में मुख्यमंत्री कर सकते हैं कई बड़ी घोषणाएं

जानकारी के अनुसार विधानसभा के सत्र में मुख्यमंत्री कई ऐसे मुद्दे पर घोषणा कर सकते हैं जिसका उन्हें सीधा राजनीतिक लाभ मिलेगा साथ ही विपक्षी गठबंधन को भी झटका लगेगा। इन घोषणाओं में महत्वपूर्ण है आरक्षण का प्रतिशत बढ़ाना, 1932 या लास्ट सर्वे ऑफ़ सेटेलमेंट के आधार पर स्थानीय निति की घोषणा करना और जातीय जनगणना कराना। यदि सदन में मुख्यमंत्री इसकी घोषणा करते हैं तो यह खासकर उनकी पार्टी के लिए बहुत बड़ा मास्टर स्ट्रोक होगा। हालाँकि यह भी कहा जा रहा है कि स्थानीय निति पर कांग्रेस के लोग 1932 के आधार पर सहमत नहीं हों। लेकिन यह भी सच है कि हर तरह की आशंका को देखते हुए मुख्यमंत्री कल बड़ा ट्रंप कार्ड खेलेंगे।

रायपुर से सीधे विधानसभा पहुंचेंगे
विधायक

इधर, जानकारी मिल रही है कि कल सुबह यूपीए के विधायकों को रायपुर से रांची लाया जाएगा। उनके लिए इंडिगो का 72 सीट वाला विमान बुक है। एयरपोर्ट से सभी विधायकों को सीधे विधानसभा ले जाया जाएगा। विधायकों के लिए भोजन का प्रबंध भी विधानसभा में ही किया गया है।

सत्र को लेकर भाजपा बनाएगी रणनीति

इस बीच भाजपा की तरफ से भी विधानसभा सत्र को लेकर तैयारी शुरू कर दी गयी है। रविवार को संध्या छह बजे भाजपा विधायक दल की बैठक है। बैठक में विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी के साथ-साथ प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश, संगठन महामंत्री करमवीर सिंह भी शामिल होंगे। भाजपा विधायकों का कहना है कि पार्टी की क्या रणनीति होगी यह तो बैठक के बाद ही क्लियर होगा। लेकिन भाजपा खेमे से यह भी कहा जा रहा है कि यदि राज्यपाल का निर्णय सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले आ जाएगा तो वे लोग अपनी रणनीति पर पुनर्विचार भी कर सकते हैं।

चुनाव आयोग को राज‌भवन के पत्र का इंतजार

चुनाव आयोग के एक बड़े पदाधिकारी की मानें तो गेंद अभी भी राजभवन के पाले में हैं। चुनाव आयोग ने पहले ही मामले की पूरी जांच-पड़ताल के बाद अपना निर्णय सुना दिया है। आदेश राज्यपाल को जारी करना है। राजभवन के निर्देश के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। राजभवन इस संबंध में गैजेट जारी करेंगे, जिसे राज्य निर्वाचन आयोग विधानसभा स्पीकर को देगा , इसके बाद आगे की कार्रवाई शुरू की जाएगी।

Related posts