धनबाद शहर के बेकार बांध स्थित एपल रेस्टोरेन्ट मे सामाजिक सुरक्षा के मुद्दे पर नास के द्वारा एक राज्य स्तरिए कार्यशाला का आयोजन किया गया इस कार्यशाला को संबोधित करते हुए नासवी के दीपक ने कहा की कुल कार्यबल का 93% अनौपचारिक श्रमिक हैं जो सकल घरेलू उत्पाद का एक बड़ा हिस्सा योगदान करते हैं। अधिकांश कार्यबल प्रति दिन रु. 200/- से कम कमाते हुए जीवित रहते हैं। देश में 500 मिलियन आबादी वाले अनौपचारिक श्रमिकों के पास विधायी सुरक्षा के साथ प्रदान किए गए कोई सामाजिक सुरक्षा उपाय नहीं थे। श्रम एक समवर्ती सूची के अंतर्गत आता है जिसमें राज्य और केंद्र की समान जिम्मेदारी और सूची में शामिल विषयों पर कानून बनाने की शक्ति होती है। . भारत सरकार ने 2020 में 16 श्रम कल्याण कानूनों को मिलाकर सामाजिक सुरक्षा कोड अधिनियमित किया, सामाजिक सुरक्षा कोड 2020 ने नियम बनाए हैं और सभी अनौपचारिक श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा कवरेज के विस्तार की बात कही है। सामाजिक सुरक्षा संहिता के अधिनियमन के बाद, राज्य को सामाजिक सुरक्षा लाभों को लागू करने के लिए नियम तैयार करने चाहिए। इस संदर्भ में, एनएएसएस ने राज्यों को नियमों में 5 प्रमुख मांगों को शामिल करने की सिफारिश की है। । इस कार्यशाला को संबोधित करते हुए श्रम आधिक्ष्क हरेन्द्र सिंह ने मजदूरो के लिय झारखंड सरकार द्वारा चलाए जा रही योजना पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला । इस कार्यशाला को ट्रेड यूनियन लीडर विमलेश जी एवं रांची,चायबासा,धनबाद,हजारीबाग,रामगढ़,देवघर, गिरिडीह ,बोकारो एवं फूसरो शहर के प्रतिन्धियों ने भी अपना अपना विचार रखा ।
पांच प्रमुख मांग निम्न है:
• हम कार्यकर्ता हैं, हमें पहचानिए और रजिस्टर कीजिए।
• हमें 60,000 रुपये (6 महीने का न्यूनतम वेतन) का मातृत्व लाभ दें।
• हमें प्रति माह 5,000 रुपये (न्यूनतम वेतन का 50%) की पेंशन का भुगतान करें।
• हमें सभी लाभों वाली ईएसआई योजना से जोड़ें।
• 5,00,000 रुपये (विकृति और मृत्यु) के न्यूनतम मुआवजे का भुगतान करें।