धनबाद: लघु पत्रिका मेला का दूसरे दिन के सत्र का संचालन पहले दिन की तरह बरनाली गुप्ता जो धनबाद जिला की जाने माने संचालिका है जिनका बंगला हिंदी अंग्रेजी में समान पकड़ है। उनके द्वारा दूसरे दिन के सत्र भी बहुत अच्छे ढंग से संचालित किया गया।
दूसरे दिन के प्रथम सत्र में कहानी और कविता का आधुनिक समाज में क्या भूमिका होगी इस पर बातचीत शुरू हुई ।इस सत्र का अध्यक्षता प्रोफेसर डॉक्टर ब्रज गोपाल मजूमदार त्रिपुरा और विद्युत राय बिहार ने संयुक्त रुप से की।छत्तीसगढ़ भिलाई से आई हुई वाणी चक्रवर्ती जो कवित्री है , उन्होंने कविता पाठ किया उसके बाद पूर्णिया बिहार से आए हुए अजय सान्याल जो लेखक और कवि है उन्होंने अपने बातों को रखा अंजन भट्टाचार्य ने भी अपने बात को रखा समरेंद्र विश्वास जो लेखक है और छत्तीसगढ़ भिलाई से उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में पत्रिकाओं का क्या महत्व है और डिजिटल माध्यम के चुनौती को हम कैसे निपटे और समाज में ऐसे कैसे ले जाएंगे ।त्रिपुरा से आए हुए विख्यात उपन्यासकार अपने बातचीत को जोड़ते हुए त्रिपुरा समाज के बारे में वर्णन किया। अमलेंडु चक्रवर्ती स्थानीय लेखक चंदन सरकार स्थानीय लेखक ने भी अपने विचार रखे । फटिक चौधरी दुर्गादास मिद्या पश्चिम बंगाल से आए लेखक ने भी अपने बातों को रखा ।
दूसरे दिन के दूसरे सत्र में आज के परिस्थिति में लघु पत्रिका की भूमिका क्या होगी इस पर बात चीत रखते हए सुबह की धूप के संपादक शिवांकर प्रसाद ने कहा की आम जनता के लिए लिखना होगा।राधेश्याम मंगोलपुरी प्रख्यात लेखक जो पूरी जिंदगी गरीबों के बारे में लिखते रहे है उन्होंने कहा की लेखक का काम प्रश्न उठाना है। मृणाल राय जो लखनऊ से आए है स्वतंत्र पत्रकार है उन्होंने कहा की कलम कभी भी गुलाम नही बना सकता है।अंजन चक्रवर्ती भागलपुर के बंगालियों के भूमिका के बारे में बताया।कवि कंकण गुप्ता ने भी अपना विचार रखा।पूरे सत्र को संचालन प्रो. तन्मय बीर ने किया।कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्व पूर्ण भूमिका विनय राय,सुखेंदु दत्ता, सुमिता दत्ता, शुभ्रा कोनार, मनोज मजूमदार , स्थानीय कवि और साहित्य प्रेमी का महत्वपूर्ण भूमिका रहा।सांस्कृतिक कार्यक्रम का प्रस्तुतिकरण संथाल परगना, दुमका, रानीश्वर प्रखंड के भारत सेवा आश्रम पथुरिया के छात्रों ने शानदार प्रदर्शन किया।
लिंडसे क्लब और शिल्पे अनन्या के साथियों की महत्व पूर्ण भूमिका रही।
सांस्कृतिक कार्यक्रम में अभया सुंदरी स्कूल के आदिवासी छात्राओं ने समा बांधा। संध्या में सांस्कृतिक कार्यक्रम अरुण बनर्जी के द्वारा निर्देशित किया गया ।इसके साथ साथ शिल्पे अनन्या पत्रिका की ओर से पंपा पाल, अर्जिता सिन्हा, शरबानी मजूमदार, इप्शिता सिन्हा, शांतोना, कुम कुम बनर्जी भी उपस्थित थी।कार्यक्रम में प्रो. डा. डी. के. सेन लगातार कार्यक्रम में उपस्थित थे ।कार्यक्रम में बंगला भाषा आंदोलन के बारिन दत्ता भी उपस्थित थे।
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