*आजाद दुनिया न्यूज*
रांची: राजधानी के बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर ठंड का मौसम आते ही कुहासा के कारण विमानों का डाइवर्ट होना या फिर समय पर लैंड नहीं होना सबसे बड़ी समस्या बन जाती है. इस धने कोहरे में इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम भी काम नहीं कर रहा है. 21 दिसंबर 2022 को भारतीय विमान प्राधिकरण रांची के निदेशक केएल अग्रवाल ने घोषणा की थी कि एयरपोर्ट परिसर में लैंडिंग की समस्या का समाधान ढूंढ़ लिया गया है.यह मशीन इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम है, जो ठंड अथवा कुहासे में भी किसी भी विमानों की लैंडिंग में उपयुक्त माहौल प्रदान करता है. विमान के डायवर्ट होने की समस्या कम होने का दावा भी अब झूठा साबित हो रहा है, क्योंकि रांची से प्रत्येक दिन कुंहासे की वजह से विमान डायवर्ट हो रहे हैं और दो से तीन घंटे से अधिक समय तक देर से रांची में लैंड कर रहे हैं.
विमानों के कप्तान अपने विमानों के डायवर्ट होने अथवा विलंब के लिए बता रहे हैं कि रांची में लैंडिंग करने के लिए विजिबिलिटी की दर 15 सौ मीटर से भी कम है. इसलिए लैंड नहीं हो सकता है. एयर ट्रैफिक कंट्रोल भी रांची में विमानों को उतरने के लिए यही कारण बता रहा है. नतीजन बेंगलुरू, मुंबई, हैदराबाद, नयी दिल्ली से सुबह में आनेवाले अधिकतर विमान देर से रांची पहुंच रहे हैं अथवा कोलकाता तथा पटना एयरपोर्ट के लिए डायवर्ट कर दिये जा रहे हैं. सबसे ज्यादा परेशानी सुबह में चेन्नई वाया हैदराबाद होकर रांची पहुंचनेवाले विमानों को हो रही है. यह विमान हैदराबाद से सुबह आठ बजे उड़ती है. पर इस विमान को हैदराबाद एयरपोर्ट पर ही चार से अधिक घंटे तक रोक लिया जा रहा है और दोपहर 12 बजे के बाद आठ बजेवाला विमान रांची के लिए उड़ान भर रहा है.
रांची पहुंचने पर भी विमान को एक बार में लैंडिंग करने की अनुमति नहीं दी जा रही है. दो-तीन चक्कर लगाने के बाद विमान की लैंडिंग रांची में करायी जा रही है. एयरपोर्ट निदेशक ने दावा किया था कि आइएलएस सिस्टम के लागू होने के बाद रांची में 13 सौ मीटर की विजिबिलिटी पर विमानों को उतारा जा सकता है, जो यह मशीन नहीं लगने के पहले 25 सौ मीटर था. रांची एयरपोर्ट से प्रति दिन 29 से अधिक विमान कोलकाता, बेंगलुरू, पुने, लखनऊ, दिल्ली, अहमदाबाद, चेन्नई, हैदराबाद, भुवनेश्वर, मुंबई, पटना के लिए उड़ान भरते हैं. रोजाना छह हजार से अधिक पैसेंजर रांची एयरपोर्ट से आना-जाना करते हैं.

