वंदे भारत ट्रेन सहित 70,000 कोच तैयार करने वाली फैक्टरी ICF (इंटीग्रल कोच फैक्टरी ) को साइड लाइन करने की तैयारी हो रही है। रेलवे बोर्ड ने एक निजी कंपनी को ICF में मौजूद संयंत्र, मशीनरी व डिजाइन सहित परिसर की सभी सुविधाओं का उपयोग करने की अनुमति दी है। यह इल्जाम एटक और आईसीएफ की ज्वाइंट एक्शन काउंसिल के प्रतिनिधियों का है। इनका इल्जाम है कि रेल मंत्रालय ने एक निजी कंपनी, टीटागढ़ रेल सिस्टम लिमिटेड के साथ एक समझौता किया है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एटक महासचिव अमरजीत कौर ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र लिखा है। पत्र में इस बात का जिक्र किया गया है कि रेल कोच निर्माण का निजीकरण, देश हित में नहीं है। इस फैसले को वापस लिया जाना चाहिये। रेल मंत्रालय द्वारा इस तरह का कदम उठाने के पीछे ICF प्रबंधन की ओर से यह वजह बताई जा रही है कि मौजूदा मैनपावर के साथ उत्पादन लक्ष्य पूरा नहीं किया जा सकता है। 68 गौरवशाली वर्ष पूरे कर चुकी इंटीग्रल कोच फैक्टरी चेन्नई, के कर्मचारियों में बेहद नाराजगी है। इसके पीछे का वजह यह है कि वंदे भारत ट्रेन के ‘स्लीपर सेट्स’ को निजी कंपनी से तैयार कराना है। गौर करने वाली बात यह है कि निजी कंपनी को ICF के अंडर ही काम करने की इजाजत दी गई है। ICF चेन्नई के इस फैक्टरी ने गुणवत्ता, डिजाइन और संख्यात्मक मामले में खुद को साबित कर दिखाया है। इस फैक्टरी ने 70 हजार से अधिक कोच बनाये हैं। दुनिया में किसी भी रेल कोच निर्माता द्वारा सबसे अधिक हैं।
14049/14050 गोड्डा-दिल्ली-गोड्डा एक्सप्रेस का
धनबाद मंडल के न्यू गिरीडीह-कोडरमा रेलखंड के
धनवार स्टेशन पर ठहराव
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