जमुई से सरोज कुमार दुबे की रिपोर्ट
जिले के सोनो प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाएं मरीजों को मयस्सर नहीं हो रही है।सरकार से लेकर सिस्टम तक के सारे दावे हकीकत में फेल हैं। अस्पतालों में न तो डॉक्टर मिलते हैं और न ही उपचार होता है जिससे स्वास्थ्य सेवाएं हवा हो गई है। जिम्मेदारों की लापरवाही मरीजों पर भारी पड़ रही है। यही कारण है कि मरीजों का सरकारी अस्पतालों से भरोसा उठता जा रहा है। लगातार लापरवाही उजागर होने के बाद भी चिकित्सक सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। प्रखंड मुख्यालय का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जिस पर इलाके के सैकड़ों गांव के लाखों लोग यकीन करते हैं कि उनके इलाज हेतु सरकार द्वारा यहां एक अस्पताल बनवाया गया लेकिन हकीकत उन लोगों को जान पड़ती है जो इस अस्पताल में पहुंचते हैं। इलाज के लिए कई बार मौत जिंदगी के बीच जूझ रही जिंदगियां यहां पहुंचती है और उन्हें भी निराशा ही हाथ
लगती है। खैर यह दीगर बात है लेकिन मंगलवार की सुबह यहां जो घटना घटी उसे जान लोग हैरान है।दरअसल मंगलवार की सुबह सर्पदंश के शिकार एक युवक को बिना इलाज के ही अस्पताल परिसर से रेफर किए जाने का मामला सामने आया है। थाना क्षेत्र के बानाडीह गांव का कारु मंडल (35)को मंगलवार की सुबह सर्पदंश के बाद गंभीर स्थिति में लेकर परिजन इलाज के लिए सोनो अस्पताल पहुंचे। सुबह खेत में जाने के दौरान उसे विषैले सांप ने काट लिया था। अचेतावस्था में उसे
इलाज के लिए अस्पताल लाया गया था। एक घंटे तक कारू के परिजन अस्पताल परिसर में भाग – दौड़ करते रहे लेकिन उसका इलाज नहीं हुआ।पर जरूर उसे बिना देखे ही रेफर कर दिया गया। ना ही उसे सर्पदंश से बचाव के लिए एंटीवेनम दिया गया और ना ही कोई इलाज हुआ। लिहाजा उसकी स्थिति बिगड़ने लगी।कारू की किस्मत अच्छी थी कि इसी दौरान किसी काम से एसआई मुकेश कुमार केहरी वहां पहुंचे।कारु की गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्होंने मामले में हस्तक्षेप किया।इसके बाद एम्बुलेंस में ही उसका इलाज शुरू हुआ। इलाज के बाद उसे फिर जमुई के लिए रेफर किया गया।
इलाज नहीं, यहां होता है रेफर
सोनो अस्तपाल में सर्पदंश की दवा उपलब्ध है। मंगलवार को ड्यूटी पर मौजूद चिकित्सक ने सर्पदंश के शिकार कारू का उपचार आखिर क्यों नहीं किया। उसे बिना ईलाज के ही पहले क्यों रेफर कर दिया गया। क्या सोनो अस्पताल सिर्फ रेफर अस्पताल बनकर रह गया है।
एसआई मुकेश कुमार केहरी के हस्तक्षेप के बाद फिर कैसे सर्पदंश के शिकार कारू का इलाज किया गया। शायद कारु जैसी किस्मत दूसरे की ना हो कि मौके पर पुलिस पदाधिकारी या अन्य लोग पहुंचकर मामले में हस्तक्षेप करें और मरीज का इलाज हो। सिस्टम की ऐसी लापरवाही क्यों जिसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़े।ऐसे कुछ सवाल हैं जिनका जवाब जानना जरूरी है।