कोयलांचल के दंगल में इस बार कई धुरंधर दिखाई नहीं देंगे. जबकि कई पहली बार चुनावी मैदान में हैं. झारखंड के पूर्व मंत्री मो मन्नान मल्लिक इस बार नहीं है.
धनबाद : कोयलांचल के राजनीतिक अखाड़ा में इस बार कई चिर-परिचित दिग्गज चेहरे नहीं दिखेंगे. जबकि कई नये चेहरे पहली बार चुनावी मैदान में ताल ठोंकते नजर आयेंगे. धनबाद, बोकारो व गिरिडीह जिला के 16 विधानसभा क्षेत्र में इस बार राजनीतिक समीकरण बदला हुआ नजर आयेगा. धनबाद विधानसभा क्षेत्र में इस बार कांग्रेस के दिग्गज नेता व पूर्व मंत्री मो मन्नान मल्लिक नहीं उतरेंगे. मन्नान मल्लिक लगातार पांच बार धनबाद विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े. इसमें एक बार उन्हें सफलता मिली. जबकि चार बार दूसरे स्थान पर रहे. एक बार झरिया विधानसभा क्षेत्र से भी चुनाव लड़ चुके हैं. एक बार बिहार के गोपालगंज से भी चुनाव लड़े हैं. इस बार बढ़ती उम्र व स्वास्थ्य कारणों से चुनावी राजनीति से दूर हैं. फिलहाल यहां के एक निजी अस्पताल में इलाज करा रहे हैं. उनके पुत्र इस बार चुनाव लड़ सकते हैं.
चार बार विधायक रहे आनंद महतो की जगह पुत्र लड़ेंगे चुनाव
धनबाद के सिंदरी विधानसभा क्षेत्र से चार बार विधायक रहे आनंद महतो इस बार चुनावी मैदान में नहीं उतरेंगे. श्री महतो आठ बार चुनाव लड़े. इसमें चार बार जीते व चार बार हारे. एक बार धनबाद लोकसभा सीट से भी मासस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े हैं. 47 वर्ष बाद चुनावी राजनीति में श्री महतो की जगह उनके पुत्र चंद्रदेव उर्फ बबलू महतो दिखेंगे. 1977 से 2019 के बीच हुए विधानसभा चुनावों में सिर्फ एक चुनाव में आनंद महतो नहीं लड़े थे. 1985 के चुनाव में मासस नेता ने यह सीट झारखंड के दिग्गज नेता बिनोद बिहारी महतो के लिए यह सीट छोड़ी थी. आनंद महतो चारों बार बिहार विधानसभा के सदस्य बने थे. अलग झारखंड राज्य बनने के बाद हुए चारों विधानसभा चुनाव में उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा. हर बार दूसरे स्थान पर ही रहना पड़ा.
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चार बार के विधायक माधव लाल सिंह की जगह बेटे उतरेंगे चुनावी मैदान में
गोमिया विधानसभा क्षेत्र से माधव लाल सिंह आठ बार चुनावी मैदान में उतर चुके हैं. इनमें से चार बार उन्हें जीत मिली. जबकि चार बार पराजय का सामना करना पड़ा. यह भी अजीब संयोग है कि श्री सिंह ने चार में से तीन बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत हासिल की. जबकि सिर्फ एक बार कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में जीते. वह बिहार व झारखंड दोनों विधानसभा के सदस्य रहे. साथ ही दोनों राज्यों में मंत्री भी रहे. इस बार चुनाव में उनकी राजनीतिक विरासत संभालने के लिए पुत्र प्रकाश लाल सिंह उतरेंगे. वह भी निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे. इसकी विधिवत घोषणा भी हो चुकी है.
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