तुम्हारी जीत से ज्यादा मेरी हार के चर्चे यह कहावत सटीक साबित हुआ

तुम्हारी जीत से ज्यादा मेरी हार के चर्चे

झारखंड की राजनीति में इस बार ये लाइन जेएलकेएम यानी झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा पर बिल्कुल सटीक बैठती है। 71 सीटों पर लड़ाई लड़ी, लेकिन जीते सिर्फ एक। और उस एक जीत के बाद भी उनके चर्चे उनकी हार से ज्यादा हैं। जीत तो बस डुमरी की थी, लेकिन हार ने बीजेपी और आजसू का समीकरण बिगाड़ दिया।

एक जीत और 70 हार की कहानी
दो महीने पुरानी पार्टी। चुनाव आयोग में रजिस्टर्ड और सीधे विधानसभा चुनाव में 71 उम्मीदवार। सुनने में लगा था कि जयराम महतो कोई बड़ा राजनीतिक तूफान लाने वाले हैं, लेकिन उन्होंने खुद डुमरी से जीतकर और बाकी 70 सीटों पर हारकर एनडीए का गणित जरूर हिला दिया।

एनडीए की लुटिया डुबोने वाला खेल
एनडीए को उम्मीद थी कि कुर्मी समाज के वोट आजसू और बीजेपी के पक्ष में जाएंगे। लेकिन जयराम महतो ने वोट काटकर वह खेल खराब कर दिया।

जेएमएम की जीती 34 सीटों में से 15 सीटों पर जेएलकेएम तीसरे स्थान पर रही।
कांग्रेस की 16 सीटों में से 6 सीटों और भाकपा माले की 2 सीटों पर भी जेएलकेएम ने वोट काटे।
एनडीए की जीती 24 सीटों में से भी 9 सीटों पर जेएलकेएम ने तीसरा स्थान हासिल किया।
सुदेश महतो का दर्द
अब आइए सिल्ली सीट पर। यहां सुदेश महतो, जो कुर्मी समाज के सबसे बड़े चेहरे माने जाते हैं, उन्हें 23,867 वोटों से हार का सामना करना पड़ा। और हराने वाले थे जेएलकेएम के उम्मीदवार देवेंद्रनाथ महतो, जिन्होंने 41,725 वोट लेकर सुदेश महतो का खेल खत्म कर दिया।

राजनीतिक संदेश
झारखंड की 81 सीटों में एनडीए सिर्फ 24 पर सिमट गई, जबकि इंडिया गठबंधन ने 56 सीटें जीत लीं। जेएलकेएम ने भले ही सिर्फ एक सीट जीती, लेकिन उसकी छाया हर तरफ रही। कैंची छाप के उम्मीदवारों ने कई जगह एनडीए को नुकसान पहुंचाया। जयराम महतो ने कुर्मी समाज के 15% वोट बैंक को साधने की कोशिश की, लेकिन उनके पास संसाधन और राजनीतिक नेटवर्क की कमी थी। यह चुनाव यह बताता है कि छोटे दल सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि बड़े दलों के लिए भी कितना बड़ा खतरा बन सकते हैं। झारखंड में इस बार की राजनीति एक बड़ा संदेश देती है। जयराम महतो की जीत से ज्यादा उनकी हार ने सुर्खियां बटोरीं। कभी-कभी राजनीति में हार जीत से बड़ी कहानी बन जाती है। एनडीए को समझना होगा कि क्षेत्रीय पार्टियों के उभार को नजरअंदाज करना उनके लिए भारी पड़ सकता है। क्योंकि राजनीति में एक सीट भी पूरा गणित बदल सकती है।

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