बता दे की जब नारद जी का मोह भंग के लिए विष्णु जी ने नारद जी का बंदर जैसा रुप बना दिया था ओर कहा कि तुमसे सुंदर कोई नहीं है। तो वह शीलनिधी राज की पुत्री के स्वंयवर में गये ओर वहां पर उनकी शक्ल को देखकर सबने हँसी उडायी तो वहाँ से आकर नारद जी ने विष्णु जी को श्राप देते हुए कहा था कि जैसे में आज स्त्री मोह में भटकते हुए रो झींक रहा हूँ वैसे तुम भी अपनी भार्या के बिछड़ जाने के वियोग में दर दर भटकते रहेगो ओर तुम्हारा साथ बंदर ही देंगे।
वहीं श्राप आज की लीला में पूरा होता नजर आ रहा है कि जब भगवान श्री राम नरलीला करते हुए अपनी भार्या को तलाशते हुए वन वन भटक रहे थे तभी उनकी मुलाकात किष्किंधा पर्वत पर हनुमान जी द्वारा सुग्रीव से हुई तो सबकुछ सुनकर उन बंदर जाती ने भगवान श्री राम की सहायता कर माता सीता का पता लगाने का वचन दिया तब बदले में भगवान श्री राम ने बाली का बध कर सुग्रीव को किष्किंधा का राज दे दिया ओर उधर हनुमान जी ने लंका में जाकर लंका दहन कर दिया उसके बाद अंगद ने रावण को समझाते हुए अपना पैर लंका में जमा दिया ओर फिर युद्ध हुआ युद्ध में लक्ष्मण जी को मेघनाथ द्वारा प्राणघातक बाण चलाकर लक्ष्मण जी मूरछित कर दिया। तब हनुमान जी ने बुटी लाकर लक्ष्मण जी के प्राण बचाये।
यहाँ तक की लीला का मंचन व्यास पंडित पंकज शर्मा ने बड़े ही सुंदर तरीके से किया।
आज की इस रामलीला का मंचन संचालन पं अरविंद दीक्षित ने बड़े सुंदर तरीके से लगातार कर रहे हैं।
इस लीला की रिपोर्ट पेश है।
ब्यूरों पवन शर्मा बुलन्दशहर।
आजाद दुनिया न्यूज।
दि0-07/10/2022