गया में दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय ( सीयूएसबी)
में सोमवार 20 दिसम्बर 2021अंतरराष्ट्रीय मानव एकता दिवस के अवसर पर “मानव मूल्यों की ओर” नाम से विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया है।इस व्याख्यान का उद्घाटन दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो कामेश्वर नाथ सिंह और व्याख्यान के लिए विशेष तौर पर आएं दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ पवन सिन्हा ने संयुक्त रूप से किया गया है अपने सम्बोधन में कुलपति प्रो. के. एन. सिंह ने कहा कि वसुधैव कुटुम्बकम हमारे भारतीय संस्कृति का गहना है। भारतीय संस्कृति में आदिकाल से विश्व बंधुत्व और एकात्मकता की बातें प्रचलित रही हैं। मानवीय एकता के लिए भारतीय संस्कृति ने हमेशा शांति और एकता का पाठ पढ़ाया है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मानव एकता दिवस पर सभी को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि एकता में शक्ति की बात हमारी संस्कृति के मूल में रही है और वर्तमान परिदृश्य में एकात्मकता से ही विकास संभव हो सकता है।मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. पवन सिन्हा ने कहा कि मूल्यों का जब जब क्षरण होगा तब तब मनुष्यों में असुरक्षा का भाव उत्पन्न होना आम बात है। मूल्यों के ह्रास से वैमनस्यता बढ़ती है और खुशियां समाप्त हो जाती है। जीवन की सुंदरता नष्ट हो जाती है और तनाव बढ़ता जाता है। उन्होंने कीमत और मूल्यों में अंतर बताते हुए कहा कि विद्यार्थियों को समझने की जरूरत है कि भौतिक और आंतरिक मूल्यों में अंतर होता है। मूल्य आंतरिक खूबियों पर होते हैं जो बेशकीमती होते हैं और कीमत बाह्य और लागत खर्च पर आधारित होते हैं। उन्होंने आगे कहा कि सभी देश अपनी सीमाओं की सुरक्षा में अपना 70% वार्षिक आगत धन को लगा देते हैं वें अपने लोगों की खुशहाली को सुनिश्चित करने के लिए कीमत देने को तैयार हो जाते हैं। मूल्यों के ह्रास से मानसिक, सामाजिक और सुरक्षा से सम्बंधित असुरक्षा का भाव पनपता है।छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. आतिश पराशर ने कहा कि मानवीय मूल्यों और संवेदनाओं के लिए सांस्कृतिक सम्पन्नता आधार प्रदान करता है और भारतीय संस्कृति मानवीय मूल्यों को मजबूती से स्थापित करती है।डॉ.चंदन श्रीवास्तव ने धन्यवाद ज्ञापन दिया गया है।इसकार्यक्रम में प्रो. उषा शर्मा, प्रॉक्टर डॉ. उमेश सिंह, डॉ.प्रणव कुमार, प्रो.कौशल किशोर सहित शोधार्थी और छात्र-छात्राएं शामिल रहें।

